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زبور 92:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 नादान यह नहीं जानता, अहमक़ को इसकी समझ नहीं आती।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 بے حس اِنسان نہیں جانتے، اَور احمق یہ نہیں سمجھتے،

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کِتابِ مُقادّس

6 حَیوان خصلت نہیں جانتا اور احمق اِس کو نہیں سمجھتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 نادان یہ نہیں جانتا، احمق کو اِس کی سمجھ نہیں آتی۔

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زبور 92:6
18 حوالہ جات  

तो मैं अहमक़ था। मैं कुछ नहीं समझता था बल्कि तेरे सामने मवेशी की मानिंद था।


ऐ क़ौम के नादानो, ध्यान दो! ऐ अहमक़ो, तुम्हें कब समझ आएगी?


“ऐ सादालौह लोगो, तुम कब तक अपनी सादालौही से मुहब्बत रखोगे? मज़ाक़ उड़ानेवाले कब तक अपने मज़ाक़ से लुत्फ़ उठाएँगे, अहमक़ कब तक इल्म से नफ़रत करेंगे?


क्योंकि हर एक देख सकता है कि दानिशमंद भी वफ़ात पाते और अहमक़ और नासमझ भी मिलकर हलाक हो जाते हैं। सबको अपनी दौलत दूसरों के लिए छोड़नी पड़ती है।


जो शख़्स रूहानी नहीं है वह अल्लाह के रूह की बातों को क़बूल नहीं करता क्योंकि वह उसके नज़दीक बेवुक़ूफ़ी हैं। वह उन्हें पहचान नहीं सकता क्योंकि उनकी परख सिर्फ़ रूहानी शख़्स ही कर सकता है।


तमाम इनसान अहमक़ और समझ से ख़ाली हैं। हर सुनार अपने बुतों के बाइस शरमिंदा हुआ है। उसके बुत धोका ही हैं, उनमें दम नहीं।


हिकमत इतनी बुलंदो-बाला है कि अहमक़ उसे पा नहीं सकता। जब बुज़ुर्ग शहर के दरवाज़े में फ़ैसला करने के लिए जमा होते हैं तो वह कुछ नहीं कह सकता।


लेकिन अल्लाह ने उससे कहा, ‘अहमक़! इसी रात तू मर जाएगा। तो फिर जो चीज़ें तूने जमा की हैं वह किसकी होंगी?’


बैल अपने मालिक को जानता और गधा अपने आक़ा की चरनी को पहचानता है, लेकिन इसराईल इतना नहीं जानता, मेरी क़ौम समझ से ख़ाली है।”


यक़ीनन मैं इनसानों में सबसे ज़्यादा नादान हूँ, मुझे इनसान की समझ हासिल नहीं।


नासमझ घोड़े या ख़च्चर की मानिंद न हो, जिन पर क़ाबू पाने के लिए लगाम और दहाने की ज़रूरत है, वरना वह तेरे पास नहीं आएँगे।”


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। अहमक़ दिल में कहता है, “अल्लाह है ही नहीं!” ऐसे लोग बदचलन हैं, उनकी हरकतें क़ाबिले-घिन हैं। एक भी नहीं है जो अच्छा काम करे।


शेख़ीबाज़ों से मैंने कहा, ‘डींगें मत मारो,’ और बेदीनों से, ‘अपने आप पर फ़ख़र मत करो।


ऐ रब, तेरे अनगिनत काम कितने अज़ीम हैं! तूने हर एक को हिकमत से बनाया, और ज़मीन तेरी मख़लूक़ात से भरी पड़ी है।


मैं तेरा शुक्र करता हूँ कि मुझे जलाली और मोजिज़ाना तौर से बनाया गया है। तेरे काम हैरतअंगेज़ हैं, और मेरी जान यह ख़ूब जानती है।


उसे यह इल्म भी रब्बुल-अफ़वाज से मिला है जो ज़बरदस्त मशवरों और कामिल हिकमत का मंबा है।


जितना आसमान ज़मीन से ऊँचा है उतनी ही मेरी राहें तुम्हारी राहों और मेरे ख़यालात तुम्हारे ख़यालात से बुलंद हैं।


तेरे मक़ासिद अज़ीम और तेरे काम ज़बरदस्त हैं, तेरी आँखें इनसान की तमाम राहों को देखती रहती हैं। तू हर एक को उसके चाल-चलन और आमाल का मुनासिब अज्र देता है।


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