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زبور 92:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 ख़ासकर जब साथ साथ दस तारोंवाला साज़, सितार और सरोद बजते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 دس تار والے بربط کے ساز پر اَور سِتار کے خُوش آہنگ نغموں کے ساتھ اِظہار کرنا کیا ہی بھلا ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

3 دس تار والے ساز اور بربط پر اور سِتار پر گُونجتی آواز کے ساتھ۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 خاص کر جب ساتھ ساتھ دس تاروں والا ساز، ستار اور سرود بجتے ہیں۔

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زبور 92:3
17 حوالہ جات  

सरोद बजाकर रब की हम्दो-सना करो। उस की तमजीद में दस तारोंवाला साज़ बजाओ।


आगे गुलूकार, फिर साज़ बजानेवाले चल रहे हैं। उनके आस-पास कुँवारियाँ दफ़ बजाते हुए फिर रही हैं।


फ़सील की मख़सूसियत के लिए पूरे मुल्क के लावियों को यरूशलम बुलाया गया ताकि वह ख़ुशी मनाने में मदद करके हम्दो-सना के गीत गाएँ और झाँझ, सितार और सरोद बजाएँ।


दूसरा शाही महल पर और तीसरा बुनियाद नामी दरवाज़े पर। बाक़ी सब आदमी रब के घर के सहनों में जमा हो जाएँ।


दाऊद और तमाम इसराईली गाड़ी के पीछे चल पड़े। सब अल्लाह के हुज़ूर पूरे ज़ोर से ख़ुशी मनाने लगे। जूनीपर की लकड़ी के मुख़्तलिफ़ साज़ भी बजाए जा रहे थे। फ़िज़ा सितारों, सरोदों, दफ़ों, झाँझों और तुरमों की आवाज़ों से गूँज उठी।


रब ने इनसाफ़ करके अपना इज़हार किया तो बेदीन अपने हाथ के फंदे में उलझ गया। (हिग्गायून का तर्ज़। सिलाह)


इसके बाद आप अल्लाह के जिबिया जाएंगे जहाँ फ़िलिस्तियों की चौकी है। शहर में दाख़िल होते वक़्त आपकी मुलाक़ात नबियों के एक जुलूस से होगी जो उस वक़्त पहाड़ी की क़ुरबानगाह से उतर रहा होगा। उनके आगे आगे सितार, दफ़, बाँसरियाँ और सरोद बजानेवाले चलेंगे, और वह नबुव्वत की हालत में होंगे।


वह नाचकर उसके नाम की सताइश करें, दफ़ और सरोद से उस की मद्हसराई करें।


ऐ मेरी जान, जाग उठ! ऐ सितार और सरोद, जाग उठो! आओ, मैं तुलूए-सुबह को जगाऊँ।


हिज़क़ियाह ने लावियों को झाँझ, सितार और सरोद थमाकर उन्हें रब के घर में खड़ा किया। सब कुछ उन हिदायात के मुताबिक़ हुआ जो रब ने दाऊद बादशाह, उसके ग़ैबबीन जाद और नातन नबी की मारिफ़त दी थीं।


यह सब अपने अपने बाप यानी आसफ़, यदूतून और हैमान की राहनुमाई में साज़ बजाते थे। जब कभी रब के घर में गीत गाए जाते थे तो यह मौसीक़ार साथ साथ झाँझ, सितार और सरोद बजाते थे। वह अपनी ख़िदमत बादशाह की हिदायात के मुताबिक़ सरंजाम देते थे।


दाऊद ने लावी सरबराहों को यह हुक्म भी दिया, “अपने क़बीले में से ऐसे आदमियों को चुन लें जो साज़, सितार, सरोद और झाँझ बजाते हुए ख़ुशी के गीत गाएँ।”


हर सुबह और शाम को उनके गुलूकार रब की हम्दो-सना करें।


सितार, सरोद और तुरम बजाते हुए वह यरूशलम में दाख़िल हुए और रब के घर के पास जा पहुँचे।


मैं अल्लाह अपनी चट्टान से कहूँगा, “तू मुझे क्यों भूल गया है? मैं अपने दुश्मन के ज़ुल्म के बाइस क्यों मातमी लिबास पहने फिरूँ?”


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