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زبور 90:10 - किताबे-मुक़द्दस

10 हमारी उम्र 70 साल या अगर ज़्यादा ताक़त हो तो 80 साल तक पहुँचती है, और जो दिन फ़ख़र का बाइस थे वह भी तकलीफ़देह और बेकार हैं। जल्द ही वह गुज़र जाते हैं, और हम परिंदों की तरह उड़कर चले जाते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

10 ہماری عمر کی میعاد محض ستّر بَرس ہے، اَور اگر ہم میں قُوّت ہو تو اسّی بَرس؛ لیکن یہ عرصہ محض مشقّت اَور رنج و غم میں گزر جاتا ہے، کیونکہ یہ دِن جلد چلے جاتے ہیں اَور ہم رخصت ہو جاتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

10 ہماری عُمر کی مِیعاد ستّر برس ہے۔ یا قُوّت ہو تو اَسّی برس۔ تَو بھی اُن کی رَونق محض مشقّت اور غم ہے کیونکہ وہ جلد جاتی رہتی ہے اور ہم اُڑ جاتے ہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

10 ہماری عمر 70 سال یا اگر زیادہ طاقت ہو تو 80 سال تک پہنچتی ہے، اور جو دن فخر کا باعث تھے وہ بھی تکلیف دہ اور بےکار ہیں۔ جلد ہی وہ گزر جاتے ہیں، اور ہم پرندوں کی طرح اُڑ کر چلے جاتے ہیں۔

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زبور 90:10
17 حوالہ جات  

देखें, आप यह भी नहीं जानते कि कल क्या होगा। आपकी ज़िंदगी चीज़ ही किया है! आप भाप ही हैं जो थोड़ी देर के लिए नज़र आती, फिर ग़ायब हो जाती है।


क्योंकि उसे याद रहा कि वह फ़ानी इनसान हैं, हवा का एक झोंका जो गुज़रकर कभी वापस नहीं आता।


मेरी उम्र 80 साल है। न मैं अच्छी और बुरी चीज़ों में इम्तियाज़ कर सकता, न मुझे खाने-पीने की चीज़ों का मज़ा आता है। गीत गानेवालों की आवाज़ें भी मुझसे सुनी नहीं जातीं। नहीं मेरे आक़ा और बादशाह, अगर मैं आपके साथ जाऊँ तो आपके लिए सिर्फ़ बोझ का बाइस हूँगा।


याक़ूब ने जवाब दिया, “मैं 130 साल से इस दुनिया का मेहमान हूँ। मेरी ज़िंदगी मुख़तसर और तकलीफ़देह थी, और मेरे बापदादा मुझसे ज़्यादा उम्ररसीदा हुए थे जब वह इस दुनिया के मेहमान थे।”


अपनी वफ़ात के वक़्त मूसा 120 साल का था। आख़िर तक न उस की आँखें धुँधलाईं, न उस की ताक़त कम हुई।


दाऊद बादशाह बहुत बूढ़ा हो चुका था। उसे हमेशा सर्दी लगती थी, और उस पर मज़ीद बिस्तर डालने से कोई फ़ायदा न होता था।


लमहा-भर के लिए वह सरफ़राज़ होते, लेकिन फिर नेस्तो-नाबूद हो जाते हैं। उन्हें ख़ाक में मिलाकर सबकी तरह जमा किया जाता है, वह गंदुम की कटी हुई बालों की तरह मुरझा जाते हैं।


लेकिन इनसान फ़रक़ है। मरते वक़्त उस की हर तरह की ताक़त जाती रहती है, दम छोड़ते वक़्त उसका नामो-निशान तक नहीं रहता।


मेरे घर को गल्लाबानों के ख़ैमे की तरह उतारा गया है, वह मेरे ऊपर से छीन लिया गया है। मैंने अपनी ज़िंदगी को जूलाहे की तरह इख़्तिताम तक बुन लिया है। अब उसने मुझे काटकर ताँत के धागों से अलग कर दिया है। एक दिन के अंदर अंदर तूने मुझे ख़त्म किया।


लेकिन अल्लाह ने उससे कहा, ‘अहमक़! इसी रात तू मर जाएगा। तो फिर जो चीज़ें तूने जमा की हैं वह किसकी होंगी?’


वह ख़ाब की तरह उड़ जाता और आइंदा कहीं नहीं पाया जाएगा, उसे रात की रोया की तरह भुला दिया जाता है।


फिर रब ने कहा, “मेरी रूह हमेशा के लिए इनसान में न रहे क्योंकि वह फ़ानी मख़लूक़ है। अब से वह 120 साल से ज़्यादा ज़िंदा नहीं रहेगा।”


साठ साल से बड़े आदमी के लिए चाँदी के 15 सिक्के और इसी उम्र की औरत के लिए चाँदी के 10 सिक्के।


और अब तक उतना ही ताक़तवर हूँ जितना कि उस वक़्त था जब मैं जासूस था। अब तक मेरी बाहर निकलने और जंग करने की वही क़ुव्वत क़ायम है।


इसकी ज़रूरत नहीं कि आप मुझे इस क़िस्म का मुआवज़ा दें। मैं बस आपके साथ दरियाए-यरदन को पार करूँगा


बल्कि इनसान ख़ुद इसका बाइस है, दुख-दर्द उस की विरासत में ही पाया जाता है। यह इतना यक़ीनी है जितना यह कि आग की चिंगारियाँ ऊपर की तरफ़ उड़ती हैं।


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