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زبور 88:9 - किताबे-मुक़द्दस

9 मेरी आँखें ग़म के मारे पज़मुरदा हो गई हैं। ऐ रब, दिन-भर मैं तुझे पुकारता, अपने हाथ तेरी तरफ़ उठाए रखता हूँ।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

9 رنج سے میری آنکھیں دھُندلا گئیں۔ اَے یَاہوِہ، میں ہر روز آپ کو پُکارتا ہُوں؛ اَور اَپنے ہاتھ آپ کے سامنے دعا کے لئے اُٹھاتا ہُوں۔

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کِتابِ مُقادّس

9 میری آنکھ دُکھ سے دُھندلا چلی۔ اَے خُداوند! مَیں نے ہر روز تُجھ سے دُعا کی ہے۔ مَیں نے اپنے ہاتھ تیری طرف پَھیلائے ہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

9 میری آنکھیں غم کے مارے پژمُردہ ہو گئی ہیں۔ اے رب، دن بھر مَیں تجھے پکارتا، اپنے ہاتھ تیری طرف اُٹھائے رکھتا ہوں۔

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زبور 88:9
19 حوالہ جات  

ऐ अय्यूब, अपना दिल पूरे ध्यान से अल्लाह की तरफ़ मायल कर और अपने हाथ उस की तरफ़ उठा!


ऐ रब, मुझ पर मेहरबानी कर, क्योंकि दिन-भर मैं तुझे पुकारता हूँ।


मैं अपने हाथ तेरी तरफ़ उठाता हूँ, मेरी जान ख़ुश्क ज़मीन की तरह तेरी प्यासी है। (सिलाह)


मेरा दिल ज़ोर से धड़कता, मेरी ताक़त जवाब दे गई बल्कि मेरी आँखों की रौशनी भी जाती रही है।


ईसा रो पड़ा।


रब मुझसे मज़ीद हमकलाम हुआ,


राख मेरी रोटी है, और जो कुछ पीता हूँ उसमें मेरे आँसू मिले होते हैं।


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : महलत लअन्नोत। हैमान इज़राही का हिकमत का गीत। ऐ रब, ऐ मेरी नजात के ख़ुदा, दिन-रात मैं तेरे हुज़ूर चीख़ता-चिल्लाता हूँ।


मिसर से सफ़ीर आएँगे, एथोपिया अपने हाथ अल्लाह की तरफ़ उठाएगा।


मैं हर वक़्त आहो-ज़ारी करता और कराहता रहता हूँ, ख़ाह सुबह हो, ख़ाह दोपहर या शाम। और वह मेरी सुनेगा।


अगर हम अपने ख़ुदा का नाम भूलकर अपने हाथ किसी और माबूद की तरफ़ उठाते


दिन-रात मेरे आँसू मेरी ग़िज़ा रहे हैं। क्योंकि पूरा दिन मुझसे कहा जाता है, “तेरा ख़ुदा कहाँ है?”


ग़म के मारे मेरी आँखें सूज गई हैं, मेरे मुख़ालिफ़ों के हमलों से वह ज़ाया होती जा रही हैं।


मेरी आँखें ग़म खा खाकर धुँधला गई हैं, मेरे आज़ा यहाँ तक सूख गए कि साया ही रह गया है।


मेरी आहो-ज़ारी मेरा तरजुमान है, मैं बेख़ाबी से अल्लाह के इंतज़ार में रहता हूँ।


अल्लाह उसको ज़िंदा क्यों रखता जिसकी नज़रों से रास्ता ओझल हो गया है और जिसके चारों तरफ़ उसने बाड़ लगाई है।


मेरे जानी दुश्मन फंदे बिछा रहे हैं, जो मुझे नुक़सान पहुँचाना चाहते हैं वह धमकियाँ दे रहे और सारा सारा दिन फ़रेबदेह मनसूबे बाँध रहे हैं।


उसने मुझे पीतल की भारी ज़ंजीरों में जकड़कर मेरे इर्दगिर्द ऐसी दीवारें खड़ी कीं जिनसे मैं निकल नहीं सकता।


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