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زبور 87:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 क़ोरह की औलाद का ज़बूर। गीत। उस की बुनियाद मुक़द्दस पहाड़ों पर रखी गई है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 یَاہوِہ نے اَپنی بُنیاد مُقدّس پہاڑ پر رکھی ہے؛

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کِتابِ مُقادّس

1 اُس کی بُنیاد مُقدّس پہاڑوں میں ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 قورح کی اولاد کا زبور۔ گیت۔ اُس کی بنیاد مُقدّس پہاڑوں پر رکھی گئی ہے۔

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زبور 87:1
17 حوالہ جات  

क्योंकि मैं उन्हें अपने मुक़द्दस पहाड़ के पास लाकर अपने दुआ के घर में ख़ुशी दिलाऊँगा। जब वह मेरी क़ुरबानगाह पर अपनी भस्म होनेवाली और ज़बह की क़ुरबानियाँ चढ़ाएँगे तो वह मुझे पसंद आएँगी। क्योंकि मेरा घर तमाम क़ौमों के लिए दुआ का घर कहलाएगा।”


इसके जवाब में रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है, “देखो, मैं सिय्यून में एक पत्थर रख देता हूँ, कोने का एक आज़मूदा और क़ीमती पत्थर जो मज़बूत बुनियाद पर लगा है। जो ईमान लाएगा वह कभी नहीं हिलेगा।


मैं तुझे यह भी बताता हूँ कि तू पतरस यानी पत्थर है, और इसी पत्थर पर मैं अपनी जमात को तामीर करूँगा, ऐसी जमात जिस पर पाताल के दरवाज़े भी ग़ालिब नहीं आएँगे।


रब फ़रमाता है कि मैं सिय्यून के पास वापस आऊँगा, दुबारा यरूशलम के बीच में सुकूनत करूँगा। तब यरूशलम ‘वफ़ादारी का शहर’ और रब्बुल-अफ़वाज का पहाड़ ‘कोहे-मुक़द्दस’ कहलाएगा।


जब हम उसके साथ मुक़द्दस पहाड़ पर थे तो हमने ख़ुद यह आवाज़ आसमान से आती सुनी।


ऐ पहाड़ की मुतअद्दिद चोटियो, तुम उस पहाड़ को क्यों रश्क की निगाह से देखती हो जिसे अल्लाह ने अपनी सुकूनतगाह के लिए पसंद किया है? यक़ीनन रब वहाँ हमेशा के लिए सुकूनत करेगा।


सुलेमान ने रब के घर को यरूशलम की पहाड़ी मोरियाह पर तामीर किया। उसका बाप दाऊद यह मक़ाम मुक़र्रर कर चुका था। यहीं जहाँ पहले उरनान यानी अरौनाह यबूसी अपना अनाज गाहता था रब दाऊद पर ज़ाहिर हुआ था।


ज़ियारत का गीत। मैं अपनी आँखों को पहाड़ों की तरफ़ उठाता हूँ। मेरी मदद कहाँ से आती है?


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। हिकमत का गीत। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। ऐ अल्लाह, जिस तरह हिरनी नदियों के ताज़ा पानी के लिए तड़पती है उसी तरह मेरी जान तेरे लिए तड़पती है।


उसने अपना मक़दिस बुलंदियों की मानिंद बनाया, ज़मीन की मानिंद जिसे उसने हमेशा के लिए क़ायम किया है।


ऐ यरूशलम, अब हमारे पाँव तेरे दरवाज़ों में खड़े हैं।


तो फिर हमारे पास भेजे हुए क़ासिदों को हम क्या जवाब दें? यह कि रब ने सिय्यून को क़ायम रखा है, कि उस की क़ौम के मज़लूम उसी में पनाह लेंगे।


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