Biblia Todo Logo
آن لائن بائبل

- اشتہارات -




زبور 82:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 पस्तहालों और यतीमों का इनसाफ़ करो, मुसीबतज़दों और ज़रूरतमंदों के हुक़ूक़ क़ायम रखो।

باب دیکھیں کاپی

اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 مظلوموں اَور یتیموں کی حمایت؛ مسکینوں اَور مظلوموں کے حُقُوق کی حِفاظت کرو۔

باب دیکھیں کاپی

کِتابِ مُقادّس

3 غرِیب اور یتِیم کا اِنصاف کرو۔ غم زدہ اور مُفلِس کے ساتھ اِنصاف سے پیش آؤ۔

باب دیکھیں کاپی

ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 پست حالوں اور یتیموں کا انصاف کرو، مصیبت زدوں اور ضرورت مندوں کے حقوق قائم رکھو۔

باب دیکھیں کاپی




زبور 82:3
16 حوالہ جات  

यतीमों और मज़लूमों का इनसाफ़ करेगा ताकि आइंदा कोई भी इनसान मुल्क में दहशत न फैलाए।


ख़ुदा बाप की नज़र में दीनदारी का पाक और बेदाग़ इज़हार यह है, यतीमों और बेवाओं की देख-भाल करना जब वह मुसीबत में हों और अपने आपको दुनिया की आलूदगी से बचाए रखना।


उसने तवज्जुह दी कि ग़रीबों और ज़रूरतमंदों का हक़ मारा न जाए, इसी लिए उसे कामयाबी हासिल हुई।” रब फ़रमाता है, “जो इसी तरह ज़िंदगी गुज़ारे वही मुझे सहीह तौर पर जानता है।


रब फ़रमाता है कि इनसाफ़ और रास्ती क़ायम रखो। जिसे लूट लिया गया है उसे ज़ालिम के हाथ से छुड़ाओ। परदेसी, यतीम और बेवा को मत दबाना, न उनसे ज़्यादती करना, और इस जगह बेक़ुसूर लोगों की ख़ूनरेज़ी मत करना।


और मोटे-ताज़े हो गए हैं। उनके ग़लत कामों की हद नहीं रहती। वह इनसाफ़ करते ही नहीं। न वह यतीमों की मदद करते हैं ताकि उन्हें वह कुछ मिल जाए जो उनका हक़ है, न ग़रीबों के हुक़ूक़ क़ायम रखते हैं।”


परदेसियों और यतीमों के हुक़ूक़ क़ायम रखना। उधार देते वक़्त ज़मानत के तौर पर बेवा की चादर न लेना।


तेरे बुज़ुर्ग हटधर्म और चोरों के यार हैं। यह रिश्वतख़ोर सब लोगों के पीछे पड़े रहते हैं ताकि चाय-पानी मिल जाए। न वह परवा करते हैं कि यतीमों को इनसाफ़ मिले, न बेवाओं की फ़रियाद उन तक पहुँचती है।


नेक काम करना सीख लो। इनसाफ़ के तालिब रहो, मज़लूमों का सहारा बनो, यतीमों का इनसाफ़ करो और बेवाओं के हक़ में लड़ो!”


वह यतीमों और बेवाओं का इनसाफ़ करता है। वह परदेसी से प्यार करता और उसे ख़ुराक और पोशाक मुहैया करता है।


लेकिन अदालत में किसी ग़रीब की तरफ़दारी भी न करना।


अदालत में ग़रीब के हुक़ूक़ न मारना।


क्योंकि जो मुसीबत में आकर आवाज़ देता उसे मैं बचाता, बेसहारा यतीम को छुटकारा देता था।


मैंने कभी भी यतीमों के ख़िलाफ़ हाथ नहीं उठाया, उस वक़्त भी नहीं जब शहर के दरवाज़े में बैठे बुज़ुर्ग मेरे हक़ में थे।


अपना मुँह खोलकर इनसाफ़ से अदालत कर और मुसीबतज़दा और ग़रीबों के हुक़ूक़ महफ़ूज़ रख।


ऐ दाऊद के घराने, रब फ़रमाता है कि हर सुबह लोगों का इनसाफ़ करो। जिसे लूट लिया गया हो उसे ज़ालिम के हाथ से बचाओ! ऐसा न हो कि मेरा ग़ज़ब तुम्हारी शरीर हरकतों की वजह से तुम पर नाज़िल होकर आग की तरह भड़क उठे और कोई न हो जो उसे बुझा सके।


“रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘अदालत में मुंसिफ़ाना फ़ैसले करो, एक दूसरे पर मेहरबानी और रहम करो!


ہمیں فالو کریں:

اشتہارات


اشتہارات