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زبور 80:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 तूने हमें पड़ोसियों के झगड़ों का निशाना बनाया। हमारे दुश्मन हमारा मज़ाक़ उड़ाते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 خُدا نے ہمیں اَپنے پڑوسیوں کے لیٔے تنازعہ کا باعث بنا دیا ہے، اَور ہمارے دُشمن ہمارا مضحکہ اُڑاتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

6 تُو ہم کو ہمارے پڑوسِیوں کے لِئے جھگڑے کا باعِث بناتا ہے اور ہمارے دُشمن آپس میں ہنستے ہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 تُو نے ہمیں پڑوسیوں کے جھگڑوں کا نشانہ بنایا۔ ہمارے دشمن ہمارا مذاق اُڑاتے ہیں۔

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زبور 80:6
11 حوالہ جات  

हमारे पड़ोसियों ने हमें मज़ाक़ का निशाना बना लिया है, इर्दगिर्द की क़ौमें हमारी हँसी उड़ाती और लान-तान करती हैं।


ज़मीन के बाशिंदे उनकी वजह से मसरूर होंगे और ख़ुशी मनाकर एक दूसरे को तोह्फ़े भेजेंगे, क्योंकि इन दो नबियों ने ज़मीन पर रहनेवालों को काफ़ी ईज़ा पहुँचाई थी।


चुनाँचे ऐ इसराईल के पहाड़ो, रब क़ादिरे-मुतलक़ का कलाम सुनो! रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ पहाड़ो और पहाड़ियो, ऐ घाटियो और वादियो, ऐ खंडरात और इनसान से ख़ाली शहरो, तुम गिर्दो-नवाह की अक़वाम के लिए लूट-मार और मज़ाक़ का निशाना बन गए हो।


तुम मोआबियों ने इसराईल को अपने मज़ाक़ का निशाना बनाया था। तुम यों उसे गालियाँ देते रहे जैसे उसे चोरी करते वक़्त पकड़ा गया हो।


ऐ मेरी माँ, मुझ पर अफ़सोस! अफ़सोस कि तूने मुझ जैसे शख़्स को जन्म दिया जिसके साथ पूरा मुल्क झगड़ता और लड़ता है। गो मैंने न उधार दिया न लिया तो भी सब मुझ पर लानत करते हैं।


क्या तू नहीं जानता कि किस को गालियाँ दीं और किसकी इहानत की है? क्या तुझे नहीं मालूम कि तूने किसके ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद की है? जिसकी तरफ़ तू ग़ुरूर की नज़र से देख रहा है वह इसराईल का क़ुद्दूस है!


आओ, मेरे आक़ा असूर के बादशाह से सौदा करो। मैं तुम्हें 2,000 घोड़े दूँगा बशर्तेकि तुम उनके लिए सवार मुहैया कर सको। लेकिन अफ़सोस, तुम्हारे पास इतने घुड़सवार हैं ही नहीं!


इस क़िस्म की बातें करते करते उनकी ख़ुशी की इंतहा न रही। तब वह चिल्लाने लगे, “समसून को बुलाओ ताकि वह हमारे दिलों को बहलाए।” चुनाँचे उसे उनकी तफ़रीह के लिए जेल से लाया गया और दो सतूनों के दरमियान खड़ा कर दिया गया।


पहले हालात याद करके मैं अपने सामने अपने दिल की आहो-ज़ारी उंडेल देता हूँ। कितना मज़ा आता था जब हमारा जुलूस निकलता था, जब मैं हुजूम के बीच में ख़ुशी और शुक्रगुज़ारी के नारे लगाते हुए अल्लाह की सुकूनतगाह की जानिब बढ़ता जाता था। कितना शोर मच जाता था जब हम जशन मनाते हुए घुमते-फिरते थे।


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