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زبور 65:13 - किताबे-मुक़द्दस

13 सब्ज़ाज़ार भेड़-बकरियों से आरास्ता हैं, वादियाँ अनाज से ढकी हुई हैं। सब ख़ुशी के नारे लगा रहे हैं, सब गीत गा रहे हैं!

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

13 سبزہ زاروں میں بھیڑ بکریوں کے غول پھیلے ہوتے ہیں؛ اَور وادیاں اناج سے ڈھکی ہوتی ہیں؛ وہ خُوشی کے مارے للکارتی اَور نغمہ گاتی ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

13 چراگاہوں میں جُھنڈ کے جُھنڈ پَھیلے ہُوئے ہیں۔ وادِیاں اناج سے ڈھکی ہُوئی ہیں۔ وہ خُوشی کے مارے للکارتی اور گاتی ہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

13 سبزہ زار بھیڑبکریوں سے آراستہ ہیں، وادیاں اناج سے ڈھکی ہوئی ہیں۔ سب خوشی کے نعرے لگا رہے ہیں، سب گیت گا رہے ہیں!

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زبور 65:13
17 حوالہ جات  

क्योंकि तुम ख़ुशी से निकलोगे, तुम्हें सलामती से लाया जाएगा। पहाड़ और पहाड़ियाँ तुम्हारे आने पर बाग़ बाग़ होकर शादियाना बजाएँगी, और मैदान के तमाम दरख़्त तालियाँ बजाएंगे।


तो भी उसने ऐसी चीज़ें आपके पास रहने दी हैं जो उस की गवाही देती हैं। उस की मेहरबानी इससे ज़ाहिर होती है कि वह आपको बारिश भेजकर हर मौसम की फ़सलें मुहैया करता है और आप सेर होकर ख़ुशी से भर जाते हैं।”


ऐ आसमान, ख़ुशी के नारे लगा, क्योंकि रब ने सब कुछ किया है। ऐ ज़मीन की गहराइयो, शादियाना बजाओ! ऐ पहाड़ो और जंगलो, अपने तमाम दरख़्तों समेत ख़ुशी के गीत गाओ, क्योंकि रब ने एवज़ाना देकर याक़ूब को छुड़ाया है, इसराईल में उसने अपना जलाल ज़ाहिर किया है।


बीज बोते वक़्त रब तेरे खेतों पर बारिश भेजकर बेहतरीन फ़सलें पकने देगा, ग़िज़ाइयतबख़्श ख़ुराक मुहैया करेगा। उस दिन तेरी भेड़-बकरियाँ और गाय-बैल वसी चरागाहों में चरेंगे।


वह कितने दिलकश और ख़ूबसूरत लगेंगे! अनाज और मै की कसरत से कुँवारे-कुँवारियाँ फलने फूलने लगेंगे।


अब ख़ुशीओ-शादमानी मोआब के बाग़ों और खेतों से जाती रही है। मैंने अंगूर का रस निकालने का काम रोक दिया है। कोई ख़ुशी के नारे लगा लगाकर अंगूर को पाँवों तले नहीं रौंदता। शोर तो मच रहा है, लेकिन ख़ुशी के नारे बुलंद नहीं हो रहे बल्कि जंग के।


ऐ यरूशलम के खंडरात, शादियाना बजाओ, ख़ुशी के गीत गाओ! क्योंकि रब ने अपनी क़ौम को तसल्ली दी है, उसने एवज़ाना देकर यरूशलम को छुड़ाया है।


जितनों को रब ने फ़िद्या देकर रिहा किया है वह वापस आएँगे और गीत गाते हुए सिय्यून में दाख़िल होंगे। उनके सर पर अबदी ख़ुशी का ताज होगा, और वह इतने मसरूर और शादमान होंगे कि मातम और गिर्याओ-ज़ारी उनके आगे आगे भाग जाएगी।


हमारे गोदाम भरे रहें और हर क़िस्म की ख़ुराक मुहैया करें। हमारी भेड़-बकरियाँ हमारे मैदानों में हज़ारों बल्कि बेशुमार बच्चे जन्म दें।


मुल्क में अनाज की कसरत हो, पहाड़ों की चोटियों पर भी उस की फ़सलें लहलहाएँ। उसका फल लुबनान के फल जैसा उम्दा हो, शहरों के बाशिंदे हरियाली की तरह फलें-फूलें।


यों वह बादलों से क़ौमों की परवरिश करता, उन्हें कसरत की ख़ुराक मुहैया करता है।


ऐ आसमान, ख़ुशी के नारे लगा! ऐ ज़मीन, बाग़ बाग़ हो जा! ऐ पहाड़ो, शादमानी के गीत गाओ! क्योंकि रब ने अपनी क़ौम को तसल्ली दी है, उसे अपने मुसीबतज़दा लोगों पर तरस आया है।


ऐ जंगली जानवरो, मत डरना, क्योंकि खुले मैदान की हरियाली दुबारा उगने लगी है। दरख़्त नए सिरे से फल ला रहे हैं, अंजीर और अंगूर की बड़ी फ़सल पक रही है।


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