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زبور 61:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 मैं हमेशा के लिए तेरे ख़ैमे में रहना, तेरे परों तले पनाह लेना चाहता हूँ। (सिलाह)

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 میں ہمیشہ کے لیٔے آپ کے خیمہ میں سکونت پزیر ہونے اَور آپ کے پروں کی آڑ میں پناہ لینے کا خواہاں ہُوں۔

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کِتابِ مُقادّس

4 مَیں ہمیشہ تیرے خَیمہ میں رہُوں گا۔ مَیں تیرے پروں کے سایہ میں پناہ لُوں گا۔ (سِلاہ)

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 مَیں ہمیشہ کے لئے تیرے خیمے میں رہنا، تیرے پَروں تلے پناہ لینا چاہتا ہوں۔ (سِلاہ)

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زبور 61:4
18 حوالہ جات  

रब से मेरी एक गुज़ारिश है, मैं एक ही बात चाहता हूँ। यह कि जीते-जी रब के घर में रहकर उस की शफ़क़त से लुत्फ़अंदोज़ हो सकूँ, कि उस की सुकूनतगाह में ठहरकर महवे-ख़याल रह सकूँ।


यक़ीनन भलाई और शफ़क़त उम्र-भर मेरे साथ साथ रहेंगी, और मैं जीते-जी रब के घर में सुकूनत करूँगा।


आँख की पुतली की तरह मेरी हिफ़ाज़त कर, अपने परों के साये में मुझे छुपा ले।


वह तुझे अपने शाहपरों के नीचे ढाँप लेगा, और तू उसके परों तले पनाह ले सकेगा। उस की वफ़ादारी तेरी ढाल और पुश्ता रहेगी।


क्योंकि तू मेरी मदद करने आया, और मैं तेरे परों के साये में ख़ुशी के नारे लगाता हूँ।


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : तबाह न कर। यह सुनहरा गीत उस वक़्त से मुताल्लिक़ है जब वह साऊल से भागकर ग़ार में छुप गया। ऐ अल्लाह, मुझ पर मेहरबानी कर, मुझ पर मेहरबानी कर! क्योंकि मेरी जान तुझमें पनाह लेती है। जब तक आफ़त मुझ पर से गुज़र न जाए मैं तेरे परों के साये में पनाह लूँगा।


दाऊद का ज़बूर। ऐ रब, कौन तेरे ख़ैमे में ठहर सकता है? किस को तेरे मुक़द्दस पहाड़ पर रहने की इजाज़त है?


हाय यरूशलम, यरूशलम! तू जो नबियों को क़त्ल करती और अपने पास भेजे हुए पैग़ंबरों को संगसार करती है। मैंने कितनी ही बार तेरी औलाद को जमा करना चाहा, बिलकुल उसी तरह जिस तरह मुरग़ी अपने बच्चों को अपने परों तले जमा करके महफ़ूज़ कर लेती है। लेकिन तुमने न चाहा।


मेरी नजात और इज़्ज़त अल्लाह पर मबनी है, वही मेरी महफ़ूज़ चट्टान है। अल्लाह में मैं पनाह लेता हूँ।


आप रब इसराईल के ख़ुदा के परों तले पनाह लेने आई हैं। अब वह आपको आपकी नेकी का पूरा अज्र दे।”


जो ग़ालिब आएगा उसे मैं अपने ख़ुदा के घर में सतून बनाऊँगा, ऐसा सतून जो उसे कभी नहीं छोड़ेगा। मैं उस पर अपने ख़ुदा का नाम और अपने ख़ुदा के शहर का नाम लिख दूँगा, उस नए यरूशलम का नाम जो मेरे ख़ुदा के हाँ से उतरनेवाला है। हाँ, मैं उस पर अपना नया नाम भी लिख दूँगा।


जो अल्लाह तआला की पनाह में रहे वह क़ादिरे-मुतलक़ के साये में सुकूनत करेगा।


ग़रज़, यह दो बातें क़ायम रही हैं, अल्लाह का वादा और उस की क़सम। वह इन्हें न तो बदल सकता न इनके बारे में झूट बोल सकता है। यों हम जिन्होंने उसके पास पनाह ली है बड़ी तसल्ली पाकर उस उम्मीद को मज़बूती से थामे रख सकते हैं जो हमें पेश की गई है।


जो पौदे रब की सुकूनतगाह में लगाए गए हैं वह हमारे ख़ुदा की बारगाहों में फलें-फूलेंगे।


मर्दे-ख़ुदा मूसा की दुआ। ऐ रब, पुश्त-दर-पुश्त तू हमारी पनाहगाह रहा है।


वह हमेशा तक अल्लाह के हुज़ूर तख़्तनशीन रहे। शफ़क़त और वफ़ादारी उस की हिफ़ाज़त करें।


रब का नाम मज़बूत बुर्ज है जिसमें रास्तबाज़ भागकर महफ़ूज़ रहता है।


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