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زبور 6:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 मैं कराहते कराहते थक गया हूँ। पूरी रात रोने से बिस्तर भीग गया है, मेरे आँसुओं से पलंग गल गया है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 میں کراہتے کراہتے تھک گیا؛ رات بھر رو رو کر میں اَپنا بِستر بھگوتا ہُوں اَور اَپنا پلنگ آنسُوؤں سے تربتر کرتا ہُوں۔

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کِتابِ مُقادّس

6 مَیں کراہتے کراہتے تھک گیا۔ مَیں اپنا پلنگ آنسُوؤں سے بِھگوتا ہُوں۔ ہر رات میرا بِستر تَیرتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 مَیں کراہتے کراہتے تھک گیا ہوں۔ پوری رات رونے سے بستر بھیگ گیا ہے، میرے آنسوؤں سے پلنگ گل گیا ہے۔

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زبور 6:6
23 حوالہ جات  

मैं चिल्लाते चिल्लाते थक गया हूँ। मेरा गला बैठ गया है। अपने ख़ुदा का इंतज़ार करते करते मेरी आँखें धुँधला गईं।


दिन-रात मेरे आँसू मेरी ग़िज़ा रहे हैं। क्योंकि पूरा दिन मुझसे कहा जाता है, “तेरा ख़ुदा कहाँ है?”


ऐ रब, मेरी तमाम आरज़ू तेरे सामने है, मेरी आहें तुझसे पोशीदा नहीं रहतीं।


मेरी आँखें रो रोकर थक गई हैं, शदीद दर्द ने मेरे दिल को बेहाल कर दिया है। क्योंकि मेरी क़ौम नेस्त हो गई है। शहर के चौकों में बच्चे पज़मुरदा हालत में फिर रहे हैं, शीरख़ार बच्चे ग़श खा रहे हैं। यह देखकर मेरा कलेजा फट रहा है।


इसलिए मैं रो रही हूँ, मेरी आँखों से आँसू टपकते रहते हैं। क्योंकि क़रीब कोई नहीं है जो मुझे तसल्ली देकर मेरी जान को तरो-ताज़ा करे। मेरे बच्चे तबाह हैं, क्योंकि दुश्मन ग़ालिब आ गया है।”


रात को वह रो रोकर गुज़ारती है, उसके गाल आँसुओं से तर रहते हैं। आशिक़ों में से कोई नहीं रहा जो उसे तसल्ली दे। दोस्त सबके सब बेवफ़ा होकर उसके दुश्मन बन गए हैं।


“बेशक आज मेरी शिकायत सरकशी का इज़हार है, हालाँकि मैं अपनी आहों पर क़ाबू पाने की कोशिश कर रहा हूँ।


मेरी आहो-ज़ारी मेरा तरजुमान है, मैं बेख़ाबी से अल्लाह के इंतज़ार में रहता हूँ।


मुझे भी बेमानी महीने और मुसीबत की रातें नसीब हुई हैं।


पीछे से उसके पाँवों के पास खड़ी हो गई। वह रो पड़ी और उसके आँसू टपक टपककर ईसा के पाँवों को तर करने लगे। फिर उसने उसके पाँवों को अपने बालों से पोंछकर उन्हें चूमा और उन पर इत्र डाला।


ऐ यरमियाह, उन्हें यह कलाम सुना, ‘दिन-रात मेरे आँसू बह रहे हैं। वह रुक नहीं सकते, क्योंकि मेरी क़ौम, मेरी कुँवारी बेटी को गहरी चोट लग गई है, ऐसा ज़ख़म जो भर नहीं सकता।


मेरी आँखें ग़म के मारे पज़मुरदा हो गई हैं। ऐ रब, दिन-भर मैं तुझे पुकारता, अपने हाथ तेरी तरफ़ उठाए रखता हूँ।


ऐ रब, मेरी दुआ सुन और मदद के लिए मेरी आहों पर तवज्जुह दे। मेरे आँसुओं को देखकर ख़ामोश न रह। क्योंकि मैं तेरे हुज़ूर रहनेवाला परदेसी, अपने तमाम बापदादा की तरह तेरे हुज़ूर बसनेवाला ग़ैरशहरी हूँ।


मुझे अपनी जान से घिन आती है। मैं आज़ादी से आहो-ज़ारी करूँगा, खुले तौर पर अपना दिली ग़म बयान करूँगा।


ऐ रब, मेरी सुन, मुझ पर मेहरबानी कर। ऐ रब, मेरी मदद करने के लिए आ!”


क्या लोग क़ब्र में तेरी शफ़क़त या पाताल में तेरी वफ़ा बयान करेंगे?


ऐ रब, मुरदे तेरी सताइश नहीं करते, ख़ामोशी के मुल्क में उतरनेवालों में से कोई भी तेरी तमजीद नहीं करता।


क्योंकि पाताल तेरी हम्दो-सना नहीं करता, और मौत तेरी सताइश में गीत नहीं गाती, ज़मीन की गहराइयों में उतरे हुए तेरी वफ़ादारी के इंतज़ार में नहीं रहते।


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