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زبور 6:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तारदार साज़ों के साथ गाना है। ऐ रब, ग़ुस्से में मुझे सज़ा न दे, तैश में मुझे तंबीह न कर।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اَے یَاہوِہ، آپ اَپنے قہر میں مُجھے نہ جھڑکیں، اَور نہ اَپنے غضب میں مُجھے تنبیہ کریں۔

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کِتابِ مُقادّس

1 اَے خُداوند! تُو مُجھے اپنے قہر میں نہ جِھڑک اور اپنے غَیظ و غضب میں مُجھے تنبِیہ نہ دے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 داؤد کا زبور۔ موسیقی کے راہنما کے لئے۔ تاردار سازوں کے ساتھ گانا ہے۔ اے رب، غصے میں مجھے سزا نہ دے، طیش میں مجھے تنبیہ نہ کر۔

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زبور 6:1
12 حوالہ جات  

दाऊद का ज़बूर। याददाश्त के लिए। ऐ रब, अपने ग़ज़ब में मुझे सज़ा न दे, क़हर में मुझे तंबीह न कर!


रब फ़रमाता है, “ऐ याक़ूब मेरे ख़ादिम, ख़ौफ़ न खा, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ। मैं उन तमाम क़ौमों को नेस्तो-नाबूद कर दूँगा जिनमें मैंने तुझे मुंतशिर कर दिया है, लेकिन तुझे मैं इस तरह सफ़हाए-हस्ती से नहीं मिटाऊँगा। अलबत्ता मैं मुनासिब हद तक तेरी तंबीह करूँगा, क्योंकि मैं तुझे सज़ा दिए बग़ैर नहीं छोड़ सकता।”


गो रब ने मेरी सख़्त तादीब की है, उसने मुझे मौत के हवाले नहीं किया।


ऐ रब, मेरी तंबीह कर, लेकिन मुनासिब हद तक। तैश में आकर मेरी तंबीह न कर, वरना मैं भस्म हो जाऊँगा।


क्योंकि मैं हमेशा तक उनके साथ नहीं झगड़ूँगा, अबद तक नाराज़ नहीं रहूँगा। वरना उनकी रूह मेरे हुज़ूर निढाल हो जाती, उन लोगों की जान जिन्हें मैंने ख़ुद ख़लक़ किया।


मत्तितियाह, इलीफ़लेहू, मिक़नियाह, ओबेद-अदोम, यइयेल और अज़ज़ियाह को शमीनीत के तर्ज़ पर सरोद बजाने के लिए चुना गया।


“बड़े सैलाब के बाद मैंने नूह से क़सम खाई थी कि आइंदा सैलाब कभी पूरी ज़मीन पर नहीं आएगा। इसी तरह अब मैं क़सम खाकर वादा करता हूँ कि आइंदा न मैं कभी तुझसे नाराज़ हूँगा, न तुझे मलामत करूँगा।


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तारदार साज़ों के साथ गाना है। ऐ मेरी रास्ती के ख़ुदा, मेरी सुन जब मैं तुझे पुकारता हूँ। ऐ तू जो मुसीबत में मेरी मख़लसी रहा है मुझ पर मेहरबानी करके मेरी इल्तिजा सुन!


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : शमीनीत। ऐ रब, मदद फ़रमा! क्योंकि ईमानदार ख़त्म हो गए हैं। दियानतदार इनसानों में से मिट गए हैं।


फिर वह ग़ुस्से से उन्हें डाँटता, अपना शदीद ग़ज़ब उन पर नाज़िल करके उन्हें डराता है।


ज़करियाह, अज़ियेल, समीरामोत, यहियेल, उन्नी, इलियाब, मासियाह और बिनायाह को अलामूत के तर्ज़ पर सितार बजाना था।


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