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زبور 55:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। हिकमत का यह गीत तारदार साज़ों के साथ गाना है। ऐ अल्लाह, मेरी दुआ पर ध्यान दे, अपने आपको मेरी इल्तिजा से छुपाए न रख।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اَے خُدا، میری دعا پر کان لگائیں، میری مِنّت کو نظرانداز نہ کریں؛

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کِتابِ مُقادّس

1 اَے خُدا! میری دُعا پر کان لگا اور میری مِنّت سے مُنہ نہ پھیر۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 داؤد کا زبور۔ موسیقی کے راہنما کے لئے۔ حکمت کا یہ گیت تاردار سازوں کے ساتھ گانا ہے۔ اے اللہ، میری دعا پر دھیان دے، اپنے آپ کو میری التجا سے چھپائے نہ رکھ۔

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زبور 55:1
16 حوالہ جات  

क्योंकि रब की आँखें रास्तबाज़ों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उनकी दुआओं की तरफ़ मायल हैं। लेकिन रब का चेहरा उनके ख़िलाफ़ है जो ग़लत काम करते हैं।”


ऐ रब, मेरी दुआ सुन, मेरी इल्तिजाओं पर तवज्जुह कर।


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तारदार साज़ के साथ गाना है। ऐ अल्लाह, मेरी आहो-ज़ारी सुन, मेरी दुआ पर तवज्जुह दे।


अपने चेहरे को मुझसे छुपाए न रख, अपने ख़ादिम को ग़ुस्से से अपने हुज़ूर से न निकाल। क्योंकि तू ही मेरा सहारा रहा है। ऐ मेरी नजात के ख़ुदा, मुझे न छोड़, मुझे तर्क न कर।


आसफ़ का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : अहद के सोसन। ऐ इसराईल के गल्लाबान, हम पर ध्यान दे! तू जो यूसुफ़ की रेवड़ की तरह राहनुमाई करता है, हम पर तवज्जुह कर! तू जो करूबी फ़रिश्तों के दरमियान तख़्तनशीन है, अपना नूर चमका!


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। ऐ अल्लाह, सुन जब मैं अपनी आहो-ज़ारी पेश करता हूँ। मेरी ज़िंदगी दुश्मन की दहशत से महफ़ूज़ रख।


ऐ रब, ऐ लशकरों के ख़ुदा, मेरी दुआ सुन! ऐ याक़ूब के ख़ुदा, ध्यान दे! (सिलाह)


ऐ रब, लशकरों के ख़ुदा, तेरा ग़ज़ब कब तक भड़कता रहेगा, हालाँकि तेरी क़ौम तुझसे इल्तिजा कर रही है?


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। इसे बाँसरी के साथ गाना है। ऐ रब, मेरी बातें सुन, मेरी आहों पर ध्यान दे!


ख़ाह मैं मदद के लिए कितनी चीख़ें क्यों न मारूँ वह मेरी इल्तिजाएँ अपने हुज़ूर पहुँचने नहीं देता।


ऐ रब, मेरी सुनने में जल्दी कर। मेरी जान तो ख़त्म होनेवाली है। अपना चेहरा मुझसे छुपाए न रख, वरना मैं गढ़े में उतरनेवालों की मानिंद हो जाऊँगा।


दाऊद का ज़बूर। ऐ रब, मैं तुझे पुकारता हूँ। ऐ मेरी चट्टान, ख़ामोशी से अपना मुँह मुझसे न फेर। क्योंकि अगर तू चुप रहे तो मैं मौत के गढ़े में उतरनेवालों की मानिंद हो जाऊँगा।


दाऊद की दुआ। ऐ रब, इनसाफ़ के लिए मेरी फ़रियाद सुन, मेरी आहो-ज़ारी पर ध्यान दे। मेरी दुआ पर ग़ौर कर, क्योंकि वह फ़रेबदेह होंटों से नहीं निकलती।


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तारदार साज़ों के साथ गाना है। ऐ रब, ग़ुस्से में मुझे सज़ा न दे, तैश में मुझे तंबीह न कर।


मैंने इल्तिजा की, “अपना कान बंद न रख बल्कि मेरी आहें और चीख़ें सुन!” और तूने मेरी सुनी।


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