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زبور 49:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 ऐसे लोग अपनी मिलकियत पर एतमाद और अपनी बड़ी दौलत पर फ़ख़र करते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 جِن کا بھروسا اَپنی دولت پر ہے اَورجو اَپنے مال و زَر کی کثرت پر فخر کرتے ہیں؟

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کِتابِ مُقادّس

6 جو اپنی دَولت پر بھروسا رکھتے اور اپنے مال کی کثرت پر فخر کرتے ہیں

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 ایسے لوگ اپنی ملکیت پر اعتماد اور اپنی بڑی دولت پر فخر کرتے ہیں۔

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زبور 49:6
17 حوالہ جات  

जो मौजूदा दुनिया में अमीर हैं उन्हें समझाएँ कि वह मग़रूर न हों, न दौलत जैसी ग़ैरयक़ीनी चीज़ पर उम्मीद रखें। इसकी बजाए वह अल्लाह पर उम्मीद रखें जो हमें फ़ैयाज़ी से सब कुछ मुहैया करता है ताकि हम उससे लुत्फ़अंदोज़ हो जाएँ।


रब फ़रमाता है, “न दानिशमंद अपनी हिकमत पर फ़ख़र करे, न ज़ोरावर अपने ज़ोर पर या अमीर अपनी दौलत पर।


“लो, यह वह आदमी है जिसने अल्लाह में पनाह न ली बल्कि अपनी बड़ी दौलत पर एतमाद किया, जो अपने तबाहकुन मनसूबों से ताक़तवर हो गया था।”


शागिर्द उसके यह अलफ़ाज़ सुनकर हैरान हुए। लेकिन ईसा ने दुबारा कहा, “बच्चो! अल्लाह की बादशाही में दाख़िल होना कितना मुश्किल है।


फिर मैं अपने आपसे कहूँगा कि लो, इन अच्छी चीज़ों से तेरी ज़रूरियात बहुत सालों तक पूरी होती रहेंगी। अब आराम कर। खा, पी और ख़ुशी मना।’


वह कहता है, “मैं अमीर हो गया हूँ, मैंने कसरत की दौलत पाई है। कोई साबित नहीं कर सकेगा कि मुझसे यह तमाम मिलकियत हासिल करने में कोई क़ुसूर या गुनाह सरज़द हुआ है।”


एक नज़र दौलत पर डाल तो वह ओझल हो जाती है, और पर लगाकर उक़ाब की तरह आसमान की तरफ़ उड़ जाती है।


जो अपनी दौलत पर भरोसा रखे वह गिर जाएगा, लेकिन रास्तबाज़ हरे-भरे पत्तों की तरह फलें-फूलेंगे।


अमीर की दौलत क़िलाबंद शहर है जिसमें वह महफ़ूज़ है जबकि ग़रीब की ग़ुरबत उस की तबाही का बाइस है।


ज़ुल्म पर एतमाद न करो, चोरी करने पर फ़ज़ूल उम्मीद न रखो। और अगर दौलत बढ़ जाए तो तुम्हारा दिल उससे लिपट न जाए।


उनके सामने अपनी ज़बरदस्त दौलत और मुतअद्दिद बेटों पर शेख़ी मारने लगा। उसने उन्हें उन सारे मौक़ों की फ़हरिस्त सुनाई जिन पर बादशाह ने उस की इज़्ज़त की थी और फ़ख़र किया कि बादशाह ने मुझे तमाम बाक़ी शुरफ़ा और अफ़सरों से ज़्यादा ऊँचा ओहदा दिया है।


दिन-भर वह मेरे अलफ़ाज़ को तोड़-मरोड़कर ग़लत मानी निकालते, अपने तमाम मनसूबों से मुझे ज़रर पहुँचाना चाहते हैं।


जो ऐसी शरीर हरकतें करते हैं, क्या उन्हें बचना चाहिए? हरगिज़ नहीं! ऐ अल्लाह, अक़वाम को ग़ुस्से में ख़ाक में मिला दे।


वह बुरी ख़बर मिलने से नहीं डरता। उसका दिल मज़बूत है, और वह रब पर भरोसा रखता है।


उसका दिल मुस्तहकम है। वह सहमा हुआ नहीं रहता, क्योंकि वह जानता है कि एक दिन मैं अपने दुश्मनों की शिकस्त देखकर ख़ुश हूँगा।


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