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زبور 42:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 क़ोरह की औलाद का ज़बूर। हिकमत का गीत। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। ऐ अल्लाह, जिस तरह हिरनी नदियों के ताज़ा पानी के लिए तड़पती है उसी तरह मेरी जान तेरे लिए तड़पती है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 جِس طرح ہِرنی پانی کے نالوں کو ترستی ہے، وَیسے ہی اَے میرے خُدا، میری جان آپ کے لیٔے ترستی ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

1 جَیسے ہرنی پانی کے نالوں کو ترستی ہے وَیسے ہی اَے خُدا! میری رُوح تیرے لِئے ترستی ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 قورح کی اولاد کا زبور۔ حکمت کا گیت۔ موسیقی کے راہنما کے لئے۔ اے اللہ، جس طرح ہرنی ندیوں کے تازہ پانی کے لئے تڑپتی ہے اُسی طرح میری جان تیرے لئے تڑپتی ہے۔

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زبور 42:1
21 حوالہ جات  

मैं तेरे फ़रमानों के लिए इतना प्यासा हूँ कि मुँह खोलकर हाँप रहा हूँ।


गीत। क़ोरह की औलाद का ज़बूर। रब अज़ीम और बड़ी तारीफ़ के लायक़ है। उसका मुक़द्दस पहाड़ हमारे ख़ुदा के शहर में है।


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। गीत का तर्ज़ : कुँवारियाँ। अल्लाह हमारी पनाहगाह और क़ुव्वत है। मुसीबत के वक़्त वह हमारा मज़बूत सहारा साबित हुआ है।


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। ऐ रब, पहले तूने अपने मुल्क को पसंद किया, पहले याक़ूब को बहाल किया।


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। हिकमत और मुहब्बत का गीत। तर्ज़ : सोसन के फूल। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। मेरे दिल से ख़ूबसूरत गीत छलक रहा है, मैं उसे बादशाह को पेश करूँगा। मेरी ज़बान माहिर कातिब के क़लम की मानिंद हो!


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। ऐ तमाम क़ौमो, ताली बजाओ! ख़ुशी के नारे लगाकर अल्लाह की मद्हसराई करो!


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। हिकमत का गीत। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। ऐ अल्लाह, जो कुछ तूने हमारे बापदादा के ऐयाम में यानी क़दीम ज़माने में किया वह हमने अपने कानों से उनसे सुना है।


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। ऐ तमाम क़ौमो, सुनो! दुनिया के तमाम बाशिंदो, ध्यान दो!


उसने अपना मुँह खोलकर उन्हें, उनके ख़ानदानों को, क़ोरह के तमाम लोगों को और उनका सारा सामान हड़प कर लिया।


एक दिन क़ोरह बिन इज़हार मूसा के ख़िलाफ़ उठा। वह लावी के क़बीले का क़िहाती था। उसके साथ रूबिन के क़बीले के तीन आदमी थे, इलियाब के बेटे दातन और अबीराम और ओन बिन पलत। उनके साथ 250 और आदमी भी थे जो जमात के सरदार और असरो-रसूख़वाले थे, और जो कौंसल के लिए चुने गए थे।


लेकिन क़ोरह की पूरी नसल मिटाई नहीं गई थी।


क़ोरह के तीन बेटे अस्सीर, इलक़ाना और अबियासफ़ थे। उनसे क़ोरहियों की तीन शाख़ें निकलीं।


क़िहात के हाँ अम्मीनदाब पैदा हुआ, अम्मीनदाब के क़ोरह, क़ोरह के अस्सीर,


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। गीत। उस की बुनियाद मुक़द्दस पहाड़ों पर रखी गई है।


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : महलत लअन्नोत। हैमान इज़राही का हिकमत का गीत। ऐ रब, ऐ मेरी नजात के ख़ुदा, दिन-रात मैं तेरे हुज़ूर चीख़ता-चिल्लाता हूँ।


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