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زبور 37:31 - किताबे-मुक़द्दस

31 अल्लाह की शरीअत उसके दिल में है, और उसके क़दम कभी नहीं डगमगाएँगे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

31 اُس کے خُدا کے آئین اُس کے دِل میں ہے؛ اَور اُس کے پاؤں نہیں پھسلتے۔

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کِتابِ مُقادّس

31 اُس کے خُدا کی شرِیعت اُس کے دِل میں ہے۔ وہ اپنی روِش میں پِھسلے گا نہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

31 اللہ کی شریعت اُس کے دل میں ہے، اور اُس کے قدم کبھی نہیں ڈگمگائیں گے۔

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زبور 37:31
20 حوالہ جات  

ऐ मेरे ख़ुदा, मैं ख़ुशी से तेरी मरज़ी पूरी करता हूँ, तेरी शरीअत मेरे दिल में टिक गई है।”


जो अहकाम मैं तुझे आज बता रहा हूँ उन्हें अपने दिल पर नक़्श कर।


मैंने तेरा कलाम अपने दिल में महफ़ूज़ रखा है ताकि तेरा गुनाह न करूँ।


अगर किसी के पाँव जम जाएँ तो यह रब की तरफ़ से है। ऐसे शख़्स की राह को वह पसंद करता है।


“जो नया अहद मैं उन दिनों के बाद इसराईल के घराने के साथ बाँधूँगा उसके तहत मैं अपनी शरीअत उनके अंदर डालकर उनके दिलों पर कंदा करूँगा। तब मैं ही उनका ख़ुदा हूँगा, और वह मेरी क़ौम होंगे।


ऐ सहीह राह को जाननेवालो, ऐ क़ौम जिसके दिल में मेरी शरीअत है, मेरी बात सुनो! जब लोग तुम्हारी बेइज़्ज़ती करते हैं तो उनसे मत डरना, जब वह तुम्हें गालियाँ देते हैं तो मत घबराना।


ख़ुदावंद फ़रमाता है कि जो नया अहद मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँधूँगा उसके तहत मैं अपनी शरीअत उनके ज़हनों में डालकर उनके दिलों पर कंदा करूँगा। तब मैं ही उनका ख़ुदा हूँगा, और वह मेरी क़ौम होंगे।


तो मेरे बाप ने मुझे तालीम देकर कहा, “पूरे दिल से मेरे अलफ़ाज़ अपना ले और हर वक़्त मेरे अहकाम पर अमल कर तो तू जीता रहेगा।


वह तेरा पाँव फिसलने नहीं देगा। तेरा मुहाफ़िज़ ऊँघने का नहीं।


तेरा फ़रमान मुझे मेरे दुश्मनों से ज़्यादा दानिशमंद बना देता है, क्योंकि वह हमेशा तक मेरा ख़ज़ाना है।


न हमारा दिल बाग़ी हो गया, न हमारे क़दम तेरी राह से भटक गए हैं।


बल्कि रब की शरीअत से लुत्फ़अंदोज़ होता और दिन-रात उसी पर ग़ौरो-ख़ौज़ करता रहता है।


मेरे क़दम उस की राह में रहे हैं, मैं राह से न बाईं, न दाईं तरफ़ हटा बल्कि सीधा उस पर चलता रहा।


सादालौह हर एक की बात मान लेता है जबकि ज़हीन आदमी अपना हर क़दम सोच-समझकर उठाता है।


मैं क़दम बक़दम तेरी राहों में रहा, मेरे पाँव कभी न डगमगाए।


लेकिन मैं फिसलने को था, मेरे क़दम लग़ज़िश खाने को थे।


तेरे चप्पू बसन के बलूत के दरख़्तों से बनाए गए, जबकि तेरे फ़र्श के लिए क़ुबरुस से सरो की लकड़ी लाई गई, फिर उसे हाथीदाँत से आरास्ता किया गया।


मैंने बड़े इजतिमा में रास्ती की ख़ुशख़बरी सुनाई है। ऐ रब, यक़ीनन तू जानता है कि मैंने अपने होंटों को बंद न रखा।


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