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زبور 36:8 - किताबे-मुक़द्दस

8 वह तेरे घर के उम्दा खाने से तरो-ताज़ा हो जाते हैं, और तू उन्हें अपनी ख़ुशियों की नदी में से पिलाता है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

8 وہ آپ کے گھر کی نِعمتوں سے فیضیاب ہوتے ہیں؛ اَور آپ اَپنی خُوشنودی کے دریا میں سے اُنہیں پِلاتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

8 وہ تیرے گھر کی نِعمتوں سے خُوب آسُودہ ہوں گے۔ تُو اُن کو اپنی خُوشنُودی کے دریا میں سے پِلائے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

8 وہ تیرے گھر کے عمدہ کھانے سے تر و تازہ ہو جاتے ہیں، اور تُو اُنہیں اپنی خوشیوں کی ندی میں سے پلاتا ہے۔

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زبور 36:8
19 حوالہ جات  

तू मुझे ज़िंदगी की राह से आगाह करता है। तेरे हुज़ूर से भरपूर ख़ुशियाँ, तेरे दहने हाथ से अबदी मसर्रतें हासिल होती हैं।


मुबारक है वह जिसे तू चुनकर क़रीब आने देता है, जो तेरी बारगाहों में बस सकता है। बख़्श दे कि हम तेरे घर, तेरी मुक़द्दस सुकूनतगाह की अच्छी चीज़ों से सेर हो जाएँ।


रब हमेशा तेरी क़ियादत करेगा, वह झुलसते हुए इलाक़ों में भी तेरी जान की ज़रूरियात पूरी करेगा और तेरे आज़ा को तक़वियत देगा। तब तू सेराब बाग़ की मानिंद होगा, उस चश्मे की मानिंद जिसका पानी कभी ख़त्म नहीं होता।


यहीं कोहे-सिय्यून पर रब्बुल-अफ़वाज तमाम अक़वाम की ज़बरदस्त ज़ियाफ़त करेगा। बेहतरीन क़िस्म की क़दीम और साफ़-शफ़्फ़ाफ़ मै पी जाएगी, उम्दा और लज़ीज़तरीन खाना खाया जाएगा।


मेरी जान उम्दा ग़िज़ा से सेर हो जाएगी, मेरा मुँह ख़ुशी के नारे लगाकर तेरी हम्दो-सना करेगा।


मुबारक हैं वह जिन्हें रास्तबाज़ी की भूक और प्यास है, क्योंकि वह सेर हो जाएंगे।


दरिया की शाख़ें अल्लाह के शहर को ख़ुश करती हैं, उस शहर को जो अल्लाह तआला की मुक़द्दस सुकूनतगाह है।


उन्हें प्यास न लगी जब उसने उन्हें रेगिस्तान में से गुज़रने दिया। उसके हुक्म पर पत्थर में से पानी बह निकला। जब उसने चट्टान को चीर डाला तो पानी फूट निकला।


वह नदियों से लुत्फ़अंदोज़ नहीं होगा, शहद और बालाई की नहरों से मज़ा नहीं लेगा।


ईद के आख़िरी दिन जो सबसे अहम है ईसा खड़ा हुआ और ऊँची आवाज़ से पुकार उठा, “जो प्यासा हो वह मेरे पास आए,


जंगली जानवर, गीदड़ और उक़ाबी उल्लू मेरा एहतराम करेंगे, क्योंकि मैं रेगिस्तान में पानी मुहैया करूँगा, बयाबान में नहरें बनाऊँगा ताकि अपनी बरगुज़ीदा क़ौम को पानी पिलाऊँ।


लेकिन मैं ख़ुद रास्तबाज़ साबित होकर तेरे चेहरे का मुशाहदा करूँगा, मैं जागकर तेरी सूरत से सेर हो जाऊँगा।


मेरी बहन, मेरी दुलहन, अब मैं अपने बाग़ में दाख़िल हो गया हूँ। मैंने अपना मुर अपने बलसान समेत चुन लिया, अपना छत्ता शहद समेत खा लिया, अपनी मै अपने दूध समेत पी ली है। खाओ, मेरे दोस्तो, खाओ और पियो, मुहब्बत से सरशार हो जाओ!


वह कितने दिलकश और ख़ूबसूरत लगेंगे! अनाज और मै की कसरत से कुँवारे-कुँवारियाँ फलने फूलने लगेंगे।


आँख की पुतली की तरह मेरी हिफ़ाज़त कर, अपने परों के साये में मुझे छुपा ले।


तू उन्हें अपने चेहरे की आड़ में लोगों के हमलों से छुपा लेता, उन्हें ख़ैमे में लाकर इलज़ामतराश ज़बानों से महफ़ूज़ रखता है।


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