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زبور 33:11 - किताबे-मुक़द्दस

11 लेकिन रब का मनसूबा हमेशा तक कामयाब रहता, उसके दिल के इरादे पुश्त-दर-पुश्त क़ायम रहते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

11 لیکن یَاہوِہ کے منصُوبے اَبد تک، اَور اُس کے دِل کے اِرادے پُشت در پُشت قائِم رہتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

11 خُداوند کی مصلحت ابد تک قائِم رہے گی اور اُس کے دِل کے خیال نسل در نسل۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

11 لیکن رب کا منصوبہ ہمیشہ تک کامیاب رہتا، اُس کے دل کے ارادے پشت در پشت قائم رہتے ہیں۔

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زبور 33:11
17 حوالہ جات  

इनसान दिल में मुतअद्दिद मनसूबे बाँधता रहता है, लेकिन रब का इरादा हमेशा पूरा हो जाता है।


मैं इब्तिदा से अंजाम का एलान, क़दीम ज़माने से आनेवाली बातों की पेशगोई करता आया हूँ। अब मैं फ़रमाता हूँ कि मेरा मनसूबा अटल है, मैं अपनी मरज़ी हर लिहाज़ से पूरी करूँगा।


अगर वह फ़ैसला करे तो कौन उसे रोक सकता है? जो कुछ भी वह करना चाहे उसे अमल में लाता है।


क्योंकि रब फ़रमाता है, ‘मैं उन मनसूबों से ख़ूब वाक़िफ़ हूँ जो मैंने तुम्हारे लिए बाँधे हैं। यह मनसूबे तुम्हें नुक़सान नहीं पहुँचाएँगे बल्कि तुम्हारी सलामती का बाइस होंगे, तुम्हें उम्मीद दिलाकर एक अच्छा मुस्तक़बिल फ़राहम करेंगे।


कौन कुछ करवा सकता है अगर रब ने इसका हुक्म न दिया हो?


रब्बुल-अफ़वाज ने क़सम खाकर फ़रमाया है, “यक़ीनन सब कुछ मेरे मनसूबे के मुताबिक़ ही होगा, मेरा इरादा ज़रूर पूरा हो जाएगा।


रब्बुल-अफ़वाज ने फ़ैसला कर लिया है, तो कौन इसे मनसूख़ करेगा? उसने अपना हाथ बढ़ा दिया है, तो कौन उसे रोकेगा?


अब मैं, नबूकदनज़्ज़र आसमान के बादशाह की हम्दो-सना करता हूँ। मैं उसी को जलाल देता हूँ, क्योंकि जो कुछ भी वह करे वह सहीह है। उस की तमाम राहें मुंसिफ़ाना हैं। जो मग़रूर होकर ज़िंदगी गुज़ारते हैं उन्हें वह पस्त करने के क़ाबिल है।


मसीह में हम आसमानी बादशाही के वारिस भी बन गए हैं। अल्लाह ने पहले से हमें इसके लिए मुक़र्रर किया, क्योंकि वह सब कुछ यों सरंजाम देता है कि उस की मरज़ी का इरादा पूरा हो जाए।


ऐ रब, तेरे काम कितने अज़ीम, तेरे ख़यालात कितने गहरे हैं।


लेकिन वह रब के ख़यालात को नहीं जानते, उसका मनसूबा नहीं समझते। उन्हें मालूम नहीं कि वह उन्हें गंदुम के पूलों की तरह इकट्ठा कर रहा है ताकि उन्हें गाह ले।


बल्कि यह उसे अज़ल से मालूम है।


ऐ असूरी बादशाह, क्या तूने नहीं सुना कि बड़ी देर से मैंने यह सब कुछ मुक़र्रर किया? क़दीम ज़माने में ही मैंने इसका मनसूबा बाँध लिया, और अब मैं इसे वुजूद में लाया। मेरी मरज़ी थी कि तू क़िलाबंद शहरों को ख़ाक में मिलाकर पत्थर के ढेरों में बदल दे।


मुझे समझ आई कि जो कुछ अल्लाह करे वह अबद तक क़ायम रहेगा। उसमें न इज़ाफ़ा हो सकता है न कमी। अल्लाह यह सब कुछ इसलिए करता है कि इनसान उसका ख़ौफ़ माने।


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