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زبور 31:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 क्योंकि तू मेरी चट्टान, मेरा क़िला है, अपने नाम की ख़ातिर मेरी राहनुमाई, मेरी क़ियादत कर।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 چونکہ آپ میری چٹّان اَور میرا قلعہ ہیں، اِس لیٔے اَپنے نام کی خاطِر میری رہبری اَور رہنمائی کریں۔

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کِتابِ مُقادّس

3 کیونکہ تُو ہی میری چٹان اور میرا قلعہ ہے۔ اِس لِئے اپنے نام کی خاطِر میری رہبری اور رہنُمائی کر۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 کیونکہ تُو میری چٹان، میرا قلعہ ہے، اپنے نام کی خاطر میری راہنمائی، میری قیادت کر۔

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زبور 31:3
21 حوالہ جات  

उस की रौशनी उन पर फैल जाएगी जो अंधेरे और मौत के साये में बैठे हैं, हाँ वह हमारे क़दमों को सलामती की राह पर पहुँचाएगी।”


ऐ हमारी नजात के ख़ुदा, हमारी मदद कर ताकि तेरे नाम को जलाल मिले। हमें बचा, अपने नाम की ख़ातिर हमारे गुनाहों को मुआफ़ कर।


जब सच्चाई का रूह आएगा तो वह पूरी सच्चाई की तरफ़ तुम्हारी राहनुमाई करेगा। वह अपनी मरज़ी से बात नहीं करेगा बल्कि सिर्फ़ वही कुछ कहेगा जो वह ख़ुद सुनेगा। वही तुमको मुस्तक़बिल के बारे में भी बताएगा।


ऐ रब, हमारे गुनाह हमारे ख़िलाफ़ गवाही दे रहे हैं। तो भी अपने नाम की ख़ातिर हम पर रहम कर। हम मानते हैं कि बुरी तरह बेवफ़ा हो गए हैं, हमने तेरा ही गुनाह किया है।


न उन्हें भूक सताएगी न प्यास। न तपती गरमी, न धूप उन्हें झुलसाएगी। क्योंकि जो उन पर तरस खाता है वह उनकी क़ियादत करके उन्हें चश्मों के पास ले जाएगा।


मैं नुक़सानदेह राह पर तो नहीं चल रहा? अबदी राह पर मेरी क़ियादत कर!


अपनी रौशनी और सच्चाई को भेज ताकि वह मेरी राहनुमाई करके मुझे तेरे मुक़द्दस पहाड़ और तेरी सुकूनतगाह के पास पहुँचाएँ।


ऐ रब, मेरा क़ुसूर संगीन है, लेकिन अपने नाम की ख़ातिर उसे मुआफ़ कर।


अपनी सच्चाई के मुताबिक़ मेरी राहनुमाई कर, मुझे तालीम दे। क्योंकि तू मेरी नजात का ख़ुदा है। दिन-भर मैं तेरे इंतज़ार में रहता हूँ।


दिन के वक़्त तूने बादल के सतून से और रात के वक़्त आग के सतून से अपनी क़ौम की राहनुमाई की। यों वह रास्ता अंधेरे में भी रौशन रहा जिस पर उन्हें चलना था।


वह फ़रोतनों की इनसाफ़ की राह पर राहनुमाई करता, हलीमों को अपनी राह की तालीम देता है।


रब मेरी चट्टान, मेरा क़िला और मेरा नजातदहिंदा है। मेरा ख़ुदा मेरी चट्टान है जिसमें मैं पनाह लेता हूँ। वह मेरी ढाल, मेरी नजात का पहाड़, मेरा बुलंद हिसार है।


लेकिन तू बहुत रहमदिल है, इसलिए तूने उन्हें रेगिस्तान में न छोड़ा। दिन के वक़्त बादल का सतून उनकी राहनुमाई करता रहा, और रात के वक़्त आग का सतून वह रास्ता रौशन करता रहा जिस पर उन्हें चलना था।


कनानी और मुल्क की बाक़ी क़ौमें यह सुनकर हमें घेर लेंगी और हमारा नामो-निशान मिटा देंगी। अगर ऐसा होगा तो फिर तू ख़ुद अपना अज़ीम नाम क़ायम रखने के लिए क्या करेगा?”


और वह चाहता है कि हम उसके जलाल की सताइश का बाइस बनें, हम जिन्होंने पहले से मसीह पर उम्मीद रखी।


मेरे लिए चट्टान पर महफ़ूज़ घर हो जिसमें मैं हर वक़्त पनाह ले सकूँ। तूने फ़रमाया है कि मुझे नजात देगा, क्योंकि तू ही मेरी चट्टान और मेरा क़िला है।


क्योंकि मेरे दिन धुएँ की तरह ग़ायब हो रहे हैं, मेरी हड्डियाँ कोयलों की तरह दहक रही हैं।


उसने अपना कान मेरी तरफ़ झुकाया है, इसलिए मैं उम्र-भर उसे पुकारूँगा।


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