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زبور 3:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 मैं बुलंद आवाज़ से रब को पुकारता हूँ, और वह अपने मुक़द्दस पहाड़ से मेरी सुनता है। (सिलाह)

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 یَاہوِہ! میں بُلند آواز سے آپ کو پُکارتا ہُوں، اَور آپ اَپنے مُقدّس پہاڑ پر سے مُجھے جَواب دیتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

4 مَیں بُلند آواز سے خُداوند کے حضُور فریاد کرتا ہُوں اور وہ اپنے کوہِ مُقدّس پر سے مُجھے جواب دیتا ہے۔ (سِلاہ)

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 مَیں بلند آواز سے رب کو پکارتا ہوں، اور وہ اپنے مُقدّس پہاڑ سے میری سنتا ہے۔ (سِلاہ)

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زبور 3:4
29 حوالہ جات  

मैंने रब को तलाश किया तो उसने मेरी सुनी। जिन चीज़ों से मैं दहशत खा रहा था उन सबसे उसने मुझे रिहाई दी।


वह मुझे पुकारेगा तो मैं उस की सुनूँगा। मुसीबत में मैं उसके साथ हूँगा। मैं उसे छुड़ाकर उस की इज़्ज़त करूँगा।


इससे पहले कि वह आवाज़ दें मैं जवाब दूँगा, वह अभी बोल रहे होंगे कि मैं उनकी सुनूँगा।”


इस नाचार ने पुकारा तो रब ने उस की सुनी, उसने उसे उस की तमाम मुसीबतों से नजात दी।


क्या आपमें से कोई मुसीबत में फँसा हुआ है? वह दुआ करे। क्या कोई ख़ुश है? वह सताइश के गीत गाए।


माँगते रहो तो तुमको दिया जाएगा। ढूँडते रहो तो तुमको मिल जाएगा। खटखटाते रहो तो तुम्हारे लिए दरवाज़ा खोल दिया जाएगा।


अपनी रौशनी और सच्चाई को भेज ताकि वह मेरी राहनुमाई करके मुझे तेरे मुक़द्दस पहाड़ और तेरी सुकूनतगाह के पास पहुँचाएँ।


वह फ़रमाता है, “मैंने ख़ुद अपने बादशाह को अपने मुक़द्दस पहाड़ सिय्यून पर मुक़र्रर किया है!”


जिस दिन मैंने तुझे पुकारा तूने मेरी सुनकर मेरी जान को बड़ी तक़वियत दी।


रब हमारे ख़ुदा की ताज़ीम करो और उसके मुक़द्दस पहाड़ पर सिजदा करो, क्योंकि रब हमारा ख़ुदा क़ुद्दूस है।


मुसीबत के दिन मुझे पुकार। तब मैं तुझे नजात दूँगा और तू मेरी तमजीद करेगा।”


इसके बाद रब रोया में अब्राम से हमकलाम हुआ, “अब्राम, मत डर। मैं ही तेरी सिपर हूँ, मैं ही तेरा बहुत बड़ा अज्र हूँ।”


मैं रब को पुकारता हूँ, उस की तमजीद हो! तब वह मुझे दुश्मनों से छुटकारा देता है।


अब मैं अपने दुश्मनों पर सरबुलंद हूँगा, अगरचे उन्होंने मुझे घेर रखा है। मैं उसके ख़ैमे में ख़ुशी के नारे लगाकर क़ुरबानियाँ पेश करूँगा, साज़ बजाकर रब की मद्हसराई करूँगा।


रब मेरी क़ुव्वत और मेरी ढाल है। उस पर मेरे दिल ने भरोसा रखा, उससे मुझे मदद मिली है। मेरा दिल शादियाना बजाता है, मैं गीत गाकर उस की सताइश करता हूँ।


ऐ उम्मत, हर वक़्त उस पर भरोसा रख! उसके हुज़ूर अपने दिल का रंजो-अलम पानी की तरह उंडेल दे। अल्लाह ही हमारी पनाहगाह है। (सिलाह)


ऐ रब्बुल-अफ़वाज, मुबारक है वह जो तुझ पर भरोसा रखता है!


माज़ी में तू रोया में अपने ईमानदारों से हमकलाम हुआ। उस वक़्त तूने फ़रमाया, “मैंने एक सूरमे को ताक़त से नवाज़ा है, क़ौम में से एक को चुनकर सरफ़राज़ किया है।


तू मेरी पनाहगाह और मेरी ढाल है, मैं तेरे कलाम के इंतज़ार में रहता हूँ।


वह सीधी राह पर चलनेवालों को कामयाबी फ़राहम करता और बेइलज़ाम ज़िंदगी गुज़ारनेवालों की ढाल बना रहता है।


मैंने इल्तिजा की, “अपना कान बंद न रख बल्कि मेरी आहें और चीख़ें सुन!” और तूने मेरी सुनी।


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