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زبور 26:8 - किताबे-मुक़द्दस

8 ऐ रब, तेरी सुकूनतगाह मुझे प्यारी है, जिस जगह तेरा जलाल ठहरता है वह मुझे अज़ीज़ है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

8 اَے یَاہوِہ، مَیں آپ کی قِیام گاہ، اَور آپ کی جلالی بارگاہ کو عزیز رکھتا ہُوں۔

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کِتابِ مُقادّس

8 اَے خُداوند! مَیں تیری سکُونت گاہ اور تیرے جلال کے خَیمہ کو عزِیز رکھتا ہُوں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

8 اے رب، تیری سکونت گاہ مجھے پیاری ہے، جس جگہ تیرا جلال ٹھہرتا ہے وہ مجھے عزیز ہے۔

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زبور 26:8
22 حوالہ جات  

ईसा ने जवाब दिया, “आपको मुझे तलाश करने की क्या ज़रूरत थी? क्या आपको मालूम न था कि मुझे अपने बाप के घर में होना ज़रूर है?”


तीन दिन के बाद वह आख़िरकार बैतुल-मुक़द्दस में पहुँचे। वहाँ ईसा दीनी उस्तादों के दरमियान बैठा उनकी बातें सुन रहा और उनसे सवालात पूछ रहा था।


पहले हिज़क़ियाह ने पूछा था, “रब कौन-सा निशान देगा जिससे मुझे यक़ीन आए कि मैं दुबारा रब के घर की इबादत में शरीक हूँगा?”


रब मुझे बचाने के लिए तैयार था। आओ, हम उम्र-भर रब के घर में तारदार साज़ बजाएँ।”


रब हमारे ख़ुदा के घर की ख़ातिर मैं तेरी ख़ुशहाली का तालिब रहूँगा।


तेरी बारगाहों में एक दिन किसी और जगह पर हज़ार दिनों से बेहतर है। मुझे अपने ख़ुदा के घर के दरवाज़े पर हाज़िर रहना बेदीनों के घरों में बसने से कहीं ज़्यादा पसंद है।


पहले हालात याद करके मैं अपने सामने अपने दिल की आहो-ज़ारी उंडेल देता हूँ। कितना मज़ा आता था जब हमारा जुलूस निकलता था, जब मैं हुजूम के बीच में ख़ुशी और शुक्रगुज़ारी के नारे लगाते हुए अल्लाह की सुकूनतगाह की जानिब बढ़ता जाता था। कितना शोर मच जाता था जब हम जशन मनाते हुए घुमते-फिरते थे।


इमाम रब के घर में अपनी ख़िदमत अंजाम न दे सके, क्योंकि अल्लाह का घर उसके जलाल के बादल से मामूर हो गया था।


और चूँकि मुझमें अपने ख़ुदा का घर बनाने के लिए बोझ है इसलिए मैंने इन चीज़ों के अलावा अपने ज़ाती ख़ज़ानों से भी सोना और चाँदी दी है


फिर दाऊद सदोक़ से मुख़ातिब हुआ, “अल्लाह का संदूक़ शहर में वापस ले जाएँ। अगर रब की नज़रे-करम मुझ पर हुई तो वह किसी दिन मुझे शहर में वापस लाकर अहद के संदूक़ और उस की सुकूनतगाह को दुबारा देखने की इजाज़त देगा।


सुलेमान की इस दुआ के इख़्तिताम पर आग ने आसमान पर से नाज़िल होकर भस्म होनेवाली और ज़बह की क़ुरबानियों को भस्म कर दिया। साथ साथ रब का घर उसके जलाल से यों मामूर हुआ


कि इमाम उसमें दाख़िल न हो सके।


तब अल्लाह के रूह ने मुझे वहाँ से उठाया। मैंने अपने पीछे एक गिड़गिड़ाती आवाज़ सुनी : मुबारक हो रब का जलाल अपनी जगह से!


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