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زبور 22:15 - किताबे-मुक़द्दस

15 मेरी ताक़त ठीकरे की तरह ख़ुश्क हो गई, मेरी ज़बान तालू से चिपक गई है। हाँ, तूने मुझे मौत की ख़ाक में लिटा दिया है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

15 میری قُوّت ٹھیکرے کی مانند خشک ہو چُکی ہے، اَور میری زبان میرے تالُو سے چپک گئی ہے؛ اَور آپ نے مُجھے موت کی خاک میں مِلا دیا۔

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کِتابِ مُقادّس

15 میری قُوّت ٹِھیکرے کی مانِند خُشک ہو گئی اور میری زُبان میرے تالُو سے چِپک گئی اور تُو نے مُجھے مَوت کی خاک میں مِلا دِیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

15 میری طاقت ٹھیکرے کی طرح خشک ہو گئی، میری زبان تالو سے چپک گئی ہے۔ ہاں، تُو نے مجھے موت کی خاک میں لٹا دیا ہے۔

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زبور 22:15
22 حوالہ جات  

इसके बाद जब ईसा ने जान लिया कि मेरा मिशन तकमील तक पहुँच चुका है तो उसने कहा, “मुझे प्यास लगी है।” (इससे भी कलामे-मुक़द्दस की एक पेशगोई पूरी हुई।)


मैं चिल्लाते चिल्लाते थक गया हूँ। मेरा गला बैठ गया है। अपने ख़ुदा का इंतज़ार करते करते मेरी आँखें धुँधला गईं।


इसलिए मैं उसे बड़ों में हिस्सा दूँगा, और वह ज़ोरावरों के साथ लूट का माल तक़सीम करेगा। क्योंकि उसने अपनी जान को मौत के हवाले कर दिया, और उसे मुजरिमों में शुमार किया गया। हाँ, उसने बहुतों का गुनाह उठाकर दूर कर दिया और मुजरिमों की शफ़ाअत की।


उन्होंने मेरी ख़ुराक में कड़वा ज़हर मिलाया, मुझे सिरका पिलाया जब प्यासा था।


मेरा दिल ज़ोर से धड़कता, मेरी ताक़त जवाब दे गई बल्कि मेरी आँखों की रौशनी भी जाती रही है।


क्योंकि मैंने इस पर ख़ास ज़ोर दिया कि वही कुछ आपके सुपुर्द करूँ जो मुझे भी मिला है। यह कि मसीह ने पाक नविश्तों के मुताबिक़ हमारे गुनाहों की ख़ातिर अपनी जान दी,


जब तू अपना चेहरा छुपा लेता है तो उनके हवास गुम हो जाते हैं। जब तू उनका दम निकाल लेता है तो वह नेस्त होकर दुबारा ख़ाक में मिल जाते हैं।


लेकिन ईसा ने दुबारा बड़े ज़ोर से चिल्लाकर दम छोड़ दिया।


ख़ुशबाश दिल पूरे जिस्म को शफ़ा देता है, लेकिन शिकस्ता रूह हड्डियों को ख़ुश्क कर देती है।


शुरफ़ा की आवाज़ दब जाती और उनकी ज़बान तालू से चिपक जाती थी।


तब ख़ाक में सोए हुए मुतअद्दिद लोग जाग उठेंगे, कुछ अबदी ज़िंदगी पाने के लिए और कुछ अबदी रुसवाई और घिन का निशाना बनने के लिए।


शीरख़ार बच्चे की ज़बान प्यास के मारे तालू से चिपक गई है। छोटे बच्चे भूक के मारे रोटी माँगते हैं, लेकिन खिलानेवाला कोई नहीं है।


“क्या फ़ायदा है अगर मैं हलाक होकर मौत के गढ़े में उतर जाऊँ? क्या ख़ाक तेरी सताइश करेगी? क्या वह लोगों को तेरी वफ़ादारी के बारे में बताएगी?


तो तमाम लोग दम छोड़कर दुबारा ख़ाक हो जाएंगे।


ज़रा इसका ख़याल रख कि तूने मुझे मिट्टी से बनाया। अब तू मुझे दुबारा ख़ाक में तबदील कर रहा है।


इब्राहीम ने कहा, “मैं मुआफ़ी चाहता हूँ कि मैंने रब से बात करने की जुर्रत की है अगरचे मैं ख़ाक और राख ही हूँ।


पसीना बहा बहाकर तुझे रोटी कमाने के लिए भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। और यह सिलसिला मौत तक जारी रहेगा। तू मेहनत करते करते दुबारा ज़मीन में लौट जाएगा, क्योंकि तू उसी से लिया गया है। तू ख़ाक है और दुबारा ख़ाक में मिल जाएगा।”


तू मेरा जुर्म मुआफ़ क्यों नहीं करता, मेरा क़ुसूर दरगुज़र क्यों नहीं करता? क्योंकि जल्द ही मैं ख़ाक हो जाऊँगा। अगर तू मुझे तलाश भी करे तो नहीं मिलूँगा, क्योंकि मैं हूँगा नहीं।”


बेशक हम सबको किसी वक़्त मरना है। हम सब ज़मीन पर उंडेले गए पानी की मानिंद हैं जिसे ज़मीन जज़ब कर लेती है और जो दुबारा जमा नहीं किया जा सकता। लेकिन अल्लाह हमारी ज़िंदगी को बिलावजह मिटा नहीं देता बल्कि ऐसे मनसूबे तैयार रखता है जिनके ज़रीए मरदूद शख़्स भी उसके पास वापस आ सके और उससे दूर न रहे।


मेरी जिल्द सुकड़कर मेरी हड्डियों के साथ जा लगी है। मैं मौत से बाल बाल बच गया हूँ।


और अब मेरी जान निकल रही है, मैं मुसीबत के दिनों के क़ाबू में आ गया हूँ।


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