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زبور 18:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 जब मैं मुसीबत में फँस गया तो मैंने रब को पुकारा। मैंने मदद के लिए अपने ख़ुदा से फ़रियाद की तो उसने अपनी सुकूनतगाह से मेरी आवाज़ सुनी, मेरी चीख़ें उसके कान तक पहुँच गईं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 مَیں نے اَپنے خُدا سے فریاد کی؛ مَیں نے اَپنی مُصیبت میں یَاہوِہ کو پُکارا۔ اُنہُوں نے اَپنی ہیکل میں سے میری آواز سُنی؛ میری فریاد اُن کے کانوں میں پہُنچی۔

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کِتابِ مُقادّس

6 اپنی مُصِیبت میں مَیں نے خُداوند کو پُکارا اور اپنے خُدا سے فریاد کی۔ اُس نے اپنی ہَیکل میں سے میری آواز سُنی اور میری فریاد جو اُس کے حضُور تھی اُس کے کان میں پُہنچی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 جب مَیں مصیبت میں پھنس گیا تو مَیں نے رب کو پکارا۔ مَیں نے مدد کے لئے اپنے خدا سے فریاد کی تو اُس نے اپنی سکونت گاہ سے میری آواز سنی، میری چیخیں اُس کے کان تک پہنچ گئیں۔

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زبور 18:6
17 حوالہ جات  

मुसीबत के दिन मुझे पुकार। तब मैं तुझे नजात दूँगा और तू मेरी तमजीद करेगा।”


जब मैं मुसीबत में फँस गया तो मैंने रब को पुकारा। मैंने मदद के लिए अपने ख़ुदा से फ़रियाद की तो उसने अपनी सुकूनतगाह से मेरी आवाज़ सुनी, मेरी चीख़ें उसके कान तक पहुँच गईं।


रब की आँखें रास्तबाज़ों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उनकी इल्तिजाओं की तरफ़ मायल हैं।


ज़ियारत का गीत। मुसीबत में मैंने रब को पुकारा, और उसने मेरी सुनी।


यों पतरस क़ैदख़ाने में रहा। लेकिन ईमानदारों की जमात लगातार उसके लिए दुआ करती रही।


ईद के इख़्तिताम पर इमामों और लावियों ने खड़े होकर क़ौम को बरकत दी। और अल्लाह ने उनकी सुनी, उनकी दुआ आसमान पर उस की मुक़द्दस सुकूनतगाह तक पहुँची।


काफ़ी अरसा गुज़र गया। इतने में मिसर का बादशाह इंतक़ाल कर गया। इसराईली अपनी ग़ुलामी तले कराहते और मदद के लिए पुकारते रहे, और उनकी चीख़ें अल्लाह तक पहुँच गईं।


लेकिन रब अपने मुक़द्दस घर में मौजूद है। उसके हुज़ूर पूरी दुनिया ख़ामोश रहे।”


लेकिन रब अपनी मुक़द्दस सुकूनतगाह में है, रब का तख़्त आसमान पर है। वहाँ से वह देखता है, वहाँ से उस की आँखें आदमज़ादों को परखती हैं।


लेकिन मुझ पर तूने बड़ी मेहरबानी की है, इसलिए मैं तेरे घर में दाख़िल हो सकता, मैं तेरा ख़ौफ़ मानकर तेरी मुक़द्दस सुकूनतगाह के सामने सिजदा करता हूँ।


आसमान पर अल्लाह के घर को खोला गया और उसमें उसके अहद का संदूक़ नज़र आया। बिजली चमकने लगी, शोर मच गया, बादल गरजने और बड़े बड़े ओले पड़ने लगे।


उसने कहा, “ऐ अब्बा, ऐ बाप! तेरे लिए सब कुछ मुमकिन है। दुख का यह प्याला मुझसे हटा ले। लेकिन मेरी नहीं बल्कि तेरी मरज़ी पूरी हो।”


ख़ौफ़ और लरज़िश मुझ पर तारी हुई, हैबत मुझ पर ग़ालिब आ गई है।


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