ऐ मेरी क़ौम, वह वक़्त याद कर जब मोआब के बादशाह बलक़ ने बिलाम बिन बओर को बुलाया ताकि तुझ पर लानत भेजे। लानत की बजाए उसने तुझे बरकत दी! वह सफ़र भी याद कर जब तू शित्तीम से रवाना होकर जिलजाल पहुँची। अगर तू इन तमाम बातों पर ग़ौर करे तो जान लेगी कि रब ने कितनी वफ़ादारी और इनसाफ़ से तेरे साथ सुलूक किया है।”
