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زبور 14:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 रब ने आसमान से इनसान पर नज़र डाली ताकि देखे कि क्या कोई समझदार है? क्या कोई अल्लाह का तालिब है?

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 یَاہوِہ آسمان پر سے نیچے بنی آدمؔ پر نگاہ کرتے ہیں تاکہ دیکھیں کہ کویٔی دانشمند، اَور کویٔی خُدا کا طالب ہے یا نہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

2 خُداوند نے آسمان پر سے بنی آدمؔ پر نِگاہ کی تاکہ دیکھے کہ کوئی دانِش مند کوئی خُدا کا طالِب ہے یا نہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 رب نے آسمان سے انسان پر نظر ڈالی تاکہ دیکھے کہ کیا کوئی سمجھ دار ہے؟ کیا کوئی اللہ کا طالب ہے؟

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زبور 14:2
29 حوالہ جات  

कोई नहीं जो समझदार है, कोई नहीं जो अल्लाह का तालिब है।


और ईमान रखे बग़ैर हम अल्लाह को पसंद नहीं आ सकते। क्योंकि लाज़िम है कि अल्लाह के हुज़ूर आनेवाला ईमान रखे कि वह है और कि वह उन्हें अज्र देता है जो उसके तालिब हैं।


जहाँ भी अल्लाह देखता दुनिया ख़राब थी, क्योंकि तमाम जानदारों ने ज़मीन पर अपनी रविश को बिगाड़ दिया था।


बहुतों को आज़माकर पाक-साफ़ और ख़ालिस किया जाएगा। लेकिन बेदीन बेदीन ही रहेंगे। कोई भी बेदीन यह नहीं समझेगा, लेकिन समझदारों को समझ आएगी।


क्योंकि इस क़ौम का दिल बेहिस हो गया है। वह मुश्किल से अपने कानों से सुनते हैं, उन्होंने अपनी आँखों को बंद कर रखा है, ऐसा न हो कि वह अपनी आँखों से देखें, अपने कानों से सुनें, अपने दिल से समझें, मेरी तरफ़ रुजू करें और मैं उन्हें शफ़ा दूँ।’


तो भी आपमें अच्छी बातें भी पाई जाती हैं। आपने यसीरत देवी के खंबों को मुल्क से दूर करके अल्लाह के तालिब होने का पक्का इरादा कर रखा है।”


“जो सादालौह है वह मेरे पास आए।” जो नासमझ हैं उनसे वह कहती है,


लेकिन वह कुछ नहीं जानते, उन्हें समझ ही नहीं आती। वह तारीकी में टटोल टटोलकर घुमते-फिरते हैं जबकि ज़मीन की तमाम बुनियादें झूमने लगी हैं।


ऐ अल्लाह, आसमान से हम पर नज़र डाल, बुलंदियों पर अपनी मुक़द्दस और शानदार सुकूनतगाह से देख! इस वक़्त तेरी ग़ैरत और क़ुदरत कहाँ है? हम तेरी नरमी और मेहरबानियों से महरूम रह गए हैं!


“मेरी क़ौम अहमक़ है और मुझे नहीं जानती। वह बेवुक़ूफ़ और नासमझ बच्चे हैं। गो वह ग़लत काम करने में बहुत तेज़ हैं, लेकिन भलाई करना उनकी समझ से बाहर है।”


अभी रब को तलाश करो जबकि उसे पाया जा सकता है। अभी उसे पुकारो जबकि वह क़रीब ही है।


तब उस की शाख़ें सूख जाएँगी और औरतें उन्हें तोड़ तोड़कर जलाएँगी। क्योंकि यह क़ौम समझ से ख़ाली है, लिहाज़ा उसका ख़ालिक़ उस पर तरस नहीं खाएगा, जिसने उसे तश्कील दिया वह उस पर मेहरबानी नहीं करेगा।


लोग तुम्हें मशवरा देते हैं, “जाओ, मुरदों से राबिता करनेवालों और क़िस्मत का हाल बतानेवालों से पता करो, उनसे जो बारीक आवाज़ें निकालते और बुड़बुड़ाते हुए जवाब देते हैं।” लेकिन उनसे कहो, “क्या मुनासिब नहीं कि क़ौम अपने ख़ुदा से मशवरा करे? हम ज़िंदों की ख़ातिर मर्दों से बात क्यों करें?”


ऐ सादालौहो, होशियारी सीख लो! ऐ अहमक़ो, समझ अपना लो!


तब तुझे रास्ती, इनसाफ़, दियानतदारी और हर अच्छी राह की समझ आएगी।


नादान यह नहीं जानता, अहमक़ को इसकी समझ नहीं आती।


जब तक रब आसमान से झाँककर मुझ पर ध्यान न दे।


“जो सादालौह है, वह मेरे पास आए।” नासमझ लोगों से वह कहती है,


कौन दानिशमंद है? वह इस पर ध्यान दे, वह रब की मेहरबानियों पर ग़ौर करे।


मैं उतरकर उनके पास जा रहा हूँ ताकि देखूँ कि यह इलज़ाम वाक़ई सच हैं जो मुझ तक पहुँचे हैं। अगर ऐसा नहीं है तो मैं यह जानना चाहता हूँ।”


लेकिन रब उस शहर और बुर्ज को देखने के लिए उतर आया जिसे लोग बना रहे थे।


काश तू आसमान को फाड़कर उतर आए, कि पहाड़ तेरे सामने थरथराएँ।


हलीम अल्लाह का काम देखकर ख़ुश हो जाएंगे। ऐ अल्लाह के तालिबो, तसल्ली पाओ!


जो पूरे दिल से रब अपने बापदादा के ख़ुदा का तालिब रहने का इरादा रखता है, ख़ाह उसे मक़दिस के लिए दरकार पाकीज़गी हासिल न भी हो।”


भला इनसान क्या है कि पाक-साफ़ ठहरे? औरत से पैदा हुई मख़लूक़ क्या है कि रास्तबाज़ साबित हो? कुछ भी नहीं!


लेकिन रब अपनी मुक़द्दस सुकूनतगाह में है, रब का तख़्त आसमान पर है। वहाँ से वह देखता है, वहाँ से उस की आँखें आदमज़ादों को परखती हैं।


“यरूशलम की गलियों में घूमो फिरो! हर जगह का मुलाहज़ा करके पता करो कि क्या हो रहा है। उसके चौकों की तफ़तीश भी करो। अगर तुम्हें एक भी शख़्स मिल जाए जो इनसाफ़ करे और दियानतदारी का तालिब रहे तो मैं शहर को मुआफ़ कर दूँगा।


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