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زبور 124:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 दाऊद का ज़ियारत का गीत। इसराईल कहे, “अगर रब हमारे साथ न होता,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اگر یَاہوِہ ہماری طرف نہ ہوتے۔ اِسرائیل یُوں کہے،

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کِتابِ مُقادّس

1 اب اِسرائیل یُوں کہے۔ اگر خُداوند ہماری طرف نہ ہوتا۔

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1 اسرائیل کہے، ”اگر رب ہمارے ساتھ نہ ہوتا،

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زبور 124:1
27 حوالہ جات  

इन तमाम बातों के जवाब में हम क्या कहें? अगर अल्लाह हमारे हक़ में है तो कौन हमारे ख़िलाफ़ हो सकता है?


फिर जब मैं तुझे पुकारूँगा तो मेरे दुश्मन मुझसे बाज़ आएँगे। यह मैंने जान लिया है कि अल्लाह मेरे साथ है!


लेकिन अल्लाह मेरा सहारा है, रब मेरी ज़िंदगी क़ायम रखता है।


ज़ियारत का गीत। मुसीबत में मैंने रब को पुकारा, और उसने मेरी सुनी।


अगर रब मेरा सहारा न होता तो मेरी जान जल्द ही ख़ामोशी के मुल्क में जा बसती।


ज़ियारत का गीत। मैं अपनी आँखों को पहाड़ों की तरफ़ उठाता हूँ। मेरी मदद कहाँ से आती है?


ज़ियारत का गीत। जो रब पर भरोसा रखते हैं वह कोहे-सिय्यून की मानिंद हैं जो कभी नहीं डगमगाता बल्कि अबद तक क़ायम रहता है।


रब्बुल-अफ़वाज हमारे साथ है, याक़ूब का ख़ुदा हमारा क़िला है। (सिलाह)


दाऊद का ज़बूर। रब मेरी रौशनी और मेरी नजात है, मैं किससे डरूँ? रब मेरी जान की पनाहगाह है, मैं किससे दहशत खाऊँ?


सुलेमान का ज़ियारत का गीत। अगर रब घर को तामीर न करे तो उस पर काम करनेवालों की मेहनत अबस है। अगर रब शहर की पहरादारी न करे तो इनसानी पहरेदारों की निगहबानी अबस है।


ज़ियारत का गीत। इसराईल कहे, “मेरी जवानी से ही मेरे दुश्मन बार बार मुझ पर हमलाआवर हुए हैं।


ज़ियारत का गीत। ऐ रब, मैं तुझे गहराइयों से पुकारता हूँ।


ज़ियारत का गीत। मुबारक है वह जो रब का ख़ौफ़ मानकर उस की राहों पर चलता है।


दाऊद का ज़बूर। ज़ियारत का गीत। जब भाई मिलकर और यगांगत से रहते हैं यह कितना अच्छा और प्यारा है।


ज़ियारत का गीत। जब रब ने सिय्यून को बहाल किया तो ऐसा लग रहा था कि हम ख़ाब देख रहे हैं।


तब मूसा और इसराईलियों ने रब के लिए यह गीत गाया, “मैं रब की तमजीद में गीत गाऊँगा, क्योंकि वह निहायत अज़ीम है। घोड़े और उसके सवार को उसने समुंदर में पटख़ दिया है।


ज़ियारत का गीत। ऐ रब, दाऊद का ख़याल रख, उस की तमाम मुसीबतों को याद कर।


ज़ियारत का गीत। मैं अपनी आँखों को तेरी तरफ़ उठाता हूँ, तेरी तरफ़ जो आसमान पर तख़्तनशीन है।


दाऊद का ज़ियारत का गीत। मैं उनसे ख़ुश हुआ जिन्होंने मुझसे कहा, “आओ, हम रब के घर चलें।”


रब्बुल-अफ़वाज हमारे साथ है। याक़ूब का ख़ुदा हमारा क़िला है। (सिलाह)


ज़ियारत का गीत। आओ, रब की सताइश करो, ऐ रब के तमाम ख़ादिमो जो रात के वक़्त रब के घर में खड़े हो।


ज़ियारत का गीत। ऐ रब, न मेरा दिल घमंडी है, न मेरी आँखें मग़रूर हैं। जो बातें इतनी अज़ीम और हैरानकुन हैं कि मैं उनसे निपट नहीं सकता उन्हें मैं नहीं छेड़ता।


अगर मेरे बाप इसहाक़ का ख़ुदा और मेरे दादा इब्राहीम का माबूद मेरे साथ न होता तो आप मुझे ज़रूर ख़ाली हाथ रुख़सत करते। लेकिन अल्लाह ने मेरी मुसीबत और मेरी सख़्त मेहनत-मशक़्क़त देखी है, इसलिए उसने कल रात को मेरे हक़ में फ़ैसला दिया।”


अल्लाह के कलाम पर मेरा फ़ख़र है, रब के कलाम पर मेरा फ़ख़र है।


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