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زبور 122:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 दाऊद का ज़ियारत का गीत। मैं उनसे ख़ुश हुआ जिन्होंने मुझसे कहा, “आओ, हम रब के घर चलें।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 مَیں نے اُن لوگوں کے ساتھ مِل کر خُوشی منائی جنہوں نے مُجھ سے کہا: ”آؤ ہم یَاہوِہ کے گھر چلیں۔“

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کِتابِ مُقادّس

1 مَیں خُوش ہُؤا جب وہ مُجھ سے کہنے لگے آؤ خُداوند کے گھر چلیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 داؤد کا زیارت کا گیت۔ مَیں اُن سے خوش ہوا جنہوں نے مجھ سے کہا، ”آؤ، ہم رب کے گھر چلیں۔“

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زبور 122:1
27 حوالہ جات  

तेरी बारगाहों में एक दिन किसी और जगह पर हज़ार दिनों से बेहतर है। मुझे अपने ख़ुदा के घर के दरवाज़े पर हाज़िर रहना बेदीनों के घरों में बसने से कहीं ज़्यादा पसंद है।


और बेशुमार क़ौमें आकर कहेंगी, “आओ, हम रब के पहाड़ पर चढ़कर याक़ूब के ख़ुदा के घर के पास जाएँ ताकि वह हमें अपनी मरज़ी की तालीम दे और हम उस की राहों पर चलें।” क्योंकि सिय्यून पहाड़ से रब की हिदायत निकलेगी, और यरूशलम से उसका कलाम सादिर होगा।


और बेशुमार उम्मतें आकर कहेंगी, “आओ, हम रब के पहाड़ पर चढ़कर याक़ूब के ख़ुदा के घर के पास जाएँ ताकि वह हमें अपनी मरज़ी की तालीम दे और हम उस की राहों पर चलें।” क्योंकि सिय्यून पहाड़ से रब की हिदायत निकलेगी, और यरूशलम से उसका कलाम सादिर होगा।


ज़ियारत का गीत। आओ, रब की सताइश करो, ऐ रब के तमाम ख़ादिमो जो रात के वक़्त रब के घर में खड़े हो।


ज़ियारत का गीत। मुसीबत में मैंने रब को पुकारा, और उसने मेरी सुनी।


ज़ियारत का गीत। मुबारक है वह जो रब का ख़ौफ़ मानकर उस की राहों पर चलता है।


ज़ियारत का गीत। मैं अपनी आँखों को पहाड़ों की तरफ़ उठाता हूँ। मेरी मदद कहाँ से आती है?


ज़ियारत का गीत। मैं अपनी आँखों को तेरी तरफ़ उठाता हूँ, तेरी तरफ़ जो आसमान पर तख़्तनशीन है।


मेरी तेरे साथ कितनी अच्छी रिफ़ाक़त थी जब हम हुजूम के साथ अल्लाह के घर की तरफ़ चलते गए!


क्योंकि वह दिन आनेवाला है जब पहरेदार इफ़राईम पहाड़ पर आवाज़ देकर कहेंगे, ‘आओ हम सिय्यून के पास जाएँ ताकि रब अपने ख़ुदा को सिजदा करें’।”


दाऊद का ज़बूर। ज़ियारत का गीत। जब भाई मिलकर और यगांगत से रहते हैं यह कितना अच्छा और प्यारा है।


ज़ियारत का गीत। ऐ रब, न मेरा दिल घमंडी है, न मेरी आँखें मग़रूर हैं। जो बातें इतनी अज़ीम और हैरानकुन हैं कि मैं उनसे निपट नहीं सकता उन्हें मैं नहीं छेड़ता।


ज़ियारत का गीत। ऐ रब, मैं तुझे गहराइयों से पुकारता हूँ।


सुलेमान का ज़ियारत का गीत। अगर रब घर को तामीर न करे तो उस पर काम करनेवालों की मेहनत अबस है। अगर रब शहर की पहरादारी न करे तो इनसानी पहरेदारों की निगहबानी अबस है।


ज़ियारत का गीत। जो रब पर भरोसा रखते हैं वह कोहे-सिय्यून की मानिंद हैं जो कभी नहीं डगमगाता बल्कि अबद तक क़ायम रहता है।


दाऊद का ज़ियारत का गीत। इसराईल कहे, “अगर रब हमारे साथ न होता,


तेरे अहकाम मेरी अबदी मीरास बन गए हैं, क्योंकि उनसे मेरा दिल ख़ुशी से उछलता है।


ज़ियारत का गीत। इसराईल कहे, “मेरी जवानी से ही मेरे दुश्मन बार बार मुझ पर हमलाआवर हुए हैं।


ज़ियारत का गीत। जब रब ने सिय्यून को बहाल किया तो ऐसा लग रहा था कि हम ख़ाब देख रहे हैं।


पहले हालात याद करके मैं अपने सामने अपने दिल की आहो-ज़ारी उंडेल देता हूँ। कितना मज़ा आता था जब हमारा जुलूस निकलता था, जब मैं हुजूम के बीच में ख़ुशी और शुक्रगुज़ारी के नारे लगाते हुए अल्लाह की सुकूनतगाह की जानिब बढ़ता जाता था। कितना शोर मच जाता था जब हम जशन मनाते हुए घुमते-फिरते थे।


ज़ियारत का गीत। ऐ रब, दाऊद का ख़याल रख, उस की तमाम मुसीबतों को याद कर।


ऐ रब, तेरी सुकूनतगाह मुझे प्यारी है, जिस जगह तेरा जलाल ठहरता है वह मुझे अज़ीज़ है।


हुक्मरान उस वक़्त सहन में दाख़िल हो जब बाक़ी इसराईली दाख़िल हो रहे हों, और वह उस वक़्त रवाना हो जब बाक़ी इसराईली रवाना हो जाएँ।


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