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زبور 10:9 - किताबे-मुक़द्दस

9 जंगल में बैठे शेरबबर की तरह ताक में रहकर वह मुसीबतज़दा पर हमला करने का मौक़ा ढूँडता है। जब उसे पकड़ ले तो उसे अपने जाल में घसीटकर ले जाता है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

9 وہ دبک کر بیٹھا رہتاہے، جَیسے جھاڑی میں شیر۔ اَور بے قُصُور اَور غریب کو پکڑنے کے لیٔے گھات لگائے رہتاہے، اَور اُنہیں پکڑکر اَپنے جال میں گھسیٹ کر لے جاتا ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

9 وہ پوشِیدہ مقام میں شیرِ بَبر کی طرح دبک کر بَیٹھتا ہے۔ وہ غرِیب کے پکڑنے کو گھات لگائے رہتا ہے۔ وہ غرِیب کو اپنے جال میں پھنسا کر پکڑ لیتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

9 جنگل میں بیٹھے شیرببر کی طرح تاک میں رہ کر وہ مصیبت زدہ پر حملہ کرنے کا موقع ڈھونڈتا ہے۔ جب اُسے پکڑ لے تو اُسے اپنے جال میں گھسیٹ کر لے جاتا ہے۔

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زبور 10:9
28 حوالہ جات  

वह उस शेरबबर की मानिंद हैं जो शिकार को फाड़ने के लिए तड़पता है, उस जवान शेर की मानिंद जो ताक में बैठा है।


देख, वह मेरी ताक में बैठे हैं। ऐ रब, ज़बरदस्त आदमी मुझ पर हमलाआवर हैं, हालाँकि मुझसे न ख़ता हुई न गुनाह।


मुल्क में से दियानतदार मिट गए हैं, एक भी ईमानदार नहीं रहा। सब ताक में बैठे हैं ताकि एक दूसरे को क़त्ल करें, हर एक अपना जाल बिछाकर अपने भाई को पकड़ने की कोशिश करता है।


मेरे तमाम आज़ा कह उठेंगे, “ऐ रब, कौन तेरी मानिंद है? कोई भी नहीं! क्योंकि तू ही मुसीबतज़दा को ज़बरदस्त आदमी से छुटकारा देता, तू ही नाचार और ग़रीब को लूटनेवाले के हाथ से बचा लेता है।”


मज़दूर चरवाहे का किरदार अदा नहीं करता, क्योंकि भेड़ें उस की अपनी नहीं होतीं। इसलिए ज्योंही कोई भेड़िया आता है तो मज़दूर उसे देखते ही भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है। नतीजे में भेड़िया कुछ भेड़ें पकड़ लेता और बाक़ियों को मुंतशिर कर देता है।


सुनो, चरवाहे रो रहे हैं, क्योंकि उनकी शानदार चरागाहें बरबाद हो गई हैं। सुनो, जवान शेरबबर दहाड़ रहे हैं, क्योंकि वादीए-यरदन का गुंजान जंगल ख़त्म हो गया है।


उसके अपने नेज़ों से तूने उसके सर को छेद डाला। पहले उसके दस्ते कितनी ख़ुशी से हम पर टूट पड़े ताकि हमें मुंतशिर करके मुसीबतज़दा को पोशीदगी में खा सकें! लेकिन अब वह ख़ुद भूसे की तरह हवा में उड़ गए हैं।


क्या शेरबबर दहाड़ता है अगर उसे शिकार न मिला हो? क्या जवान शेर अपनी माँद में गरजता है अगर उसने कुछ पकड़ा न हो?


मुल्क के आम लोग भी एक दूसरे का इस्तेह्साल करते हैं। वह डकैत बनकर ग़रीबों और ज़रूरतमंदों पर ज़ुल्म करते और परदेसियों से बदसुलूकी करके उनका हक़ मारते हैं।


अल्लाह रीछ की तरह मेरी घात में बैठ गया, शेरबबर की तरह मेरी ताक लगाए छुप गया।


बदमाश के तरीक़े-कार शरीर हैं। वह ज़रूरतमंद को झूट से तबाह करने के मनसूबे बाँधता रहता है, ख़ाह ग़रीब हक़ पर क्यों न हो।


यह तुमने कैसी गुस्ताख़ी कर दिखाई? यह मेरी ही क़ौम है जिसे तुम कुचल रहे हो। तुम मुसीबतज़दों के चेहरों को चक्की में पीस रहे हो।” क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज यों फ़रमाता है।


पस्तहाल क़ौम पर हुकूमत करनेवाला बेदीन ग़ुर्राते हुए शेरबबर और हमलाआवर रीछ की मानिंद है।


एक पस्तहाल पर ज़ुल्म करता है ताकि दौलत पाए, दूसरा अमीर को तोह्फ़े देता है लेकिन ग़रीब हो जाता है।


जो पस्तहाल पर ज़ुल्म करे वह उसके ख़ालिक़ की तहक़ीर करता है जबकि जो ज़रूरतमंद पर तरस खाए वह अल्लाह का एहतराम करता है।


मग़रूरों ने मेरे रास्ते में फंदा और रस्से छुपाए हैं, उन्होंने जाल बिछाकर रास्ते के किनारे किनारे मुझे पकड़ने के फंदे लगाए हैं। (सिलाह)


लेकिन रब फ़रमाता है, “नाचारों पर तुम्हारे ज़ुल्म की ख़बर और ज़रूरतमंदों की कराहती आवाज़ें मेरे सामने आई हैं। अब मैं उठकर उन्हें उनसे छुटकारा दूँगा जो उनके ख़िलाफ़ फुँकारते हैं।”


लेकिन उनकी बात न मानें, क्योंकि उनमें से चालीस से ज़्यादा आदमी उस की ताक में बैठे हैं। उन्होंने क़सम खाई है कि हम न कुछ खाएँगे न पिएँगे जब तक उसे क़त्ल न कर लें। वह अभी तैयार बैठे हैं और सिर्फ़ इस इंतज़ार में हैं कि आप उनकी बात मानें।”


दुश्मन उन सबको काँटे के ज़रीए पानी से निकाल लेता है, अपना जाल डालकर उन्हें पकड़ लेता है। जब उनका बड़ा ढेर जमा हो जाता है तो वह ख़ुश होकर शादियाना बजाता है।


क्योंकि मेरी क़ौम में ऐसे बेदीन अफ़राद पाए जाते हैं जो दूसरों की ताक लगाए रहते हैं। जिस तरह शिकारी परिंदे पकड़ने के लिए झुककर छुप जाता है, उसी तरह वह दूसरों की घात में बैठ जाते हैं। वह फंदे लगाकर लोगों को उनमें फँसाते हैं।


बेदीनों ने तलवार को खींचा और कमान को तान लिया है ताकि नाचारों और ज़रूरतमंदों को गिरा दें और सीधी राह पर चलनेवालों को क़त्ल करें।


क्योंकि वह मुहताज के दहने हाथ खड़ा रहता है ताकि उसे उनसे बचाए जो उसे मुजरिम ठहराते हैं।


जब वह अपनी छुपने की जगहों में दबक जाएँ या गुंजान जंगल में कहीं ताक लगाए बैठे हों?


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