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زبور 10:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 बेदीन ग़ुरूर से फूलकर कहता है, “अल्लाह मुझसे जवाबतलबी नहीं करेगा।” उसके तमाम ख़यालात इस बात पर मबनी हैं कि कोई ख़ुदा नहीं है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 بدکار آدمی اَپنے تکبُّر میں خُدا کو نہیں ڈھونڈتا؛ اُس کے ذہن میں یہی خیالات ہیں: کویٔی خُدا ہے ہی نہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

4 شرِیر اپنے تکبُّر میں کہتا ہے کہ وہ بازپُرس نہیں کرے گا۔ اُس کا خیال سراسر یِہی ہے کہ کوئی خُدا نہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 بےدین غرور سے پھول کر کہتا ہے، ”اللہ مجھ سے جواب طلبی نہیں کرے گا۔“ اُس کے تمام خیالات اِس بات پر مبنی ہیں کہ کوئی خدا نہیں ہے۔

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زبور 10:4
30 حوالہ جات  

और चूँकि उन्होंने अल्लाह को जानने से इनकार कर दिया इसलिए उसने उन्हें उनकी मकरूह सोच में छोड़ दिया। और इसलिए वह ऐसी हरकतें करते रहते हैं जो कभी नहीं करनी चाहिएँ।


अपनी इस शरारत से तौबा करके ख़ुदावंद से दुआ करें। शायद वह आपको इस इरादे की मुआफ़ी दे जो आपने दिल में रखा है।


रब ने देखा कि इनसान निहायत बिगड़ गया है, कि उसके तमाम ख़यालात लगातार बुराई की तरफ़ मायल रहते हैं।


अल्लाह को जानने के बावुजूद उन्होंने उसे वह जलाल न दिया जो उसका हक़ है, न उसका शुक्र अदा किया बल्कि वह बातिल ख़यालात में पड़ गए और उनके बेसमझ दिलों पर तारीकी छा गई।


दिन-भर मैंने अपने हाथ फैलाए रखे ताकि एक सरकश क़ौम का इस्तक़बाल करूँ, हालाँकि यह लोग ग़लत राह पर चलते और अपने कजरौ ख़यालात के पीछे पड़े रहते हैं।


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। हिकमत का गीत। तर्ज़ : महलत। अहमक़ दिल में कहता है, “अल्लाह है ही नहीं!” ऐसे लोग बदचलन हैं, उनकी हरकतें क़ाबिले-घिन हैं। एक भी नहीं है जो अच्छा काम करे।


उन्होंने अल्लाह से कहा, ‘हमसे दूर हो जा,’ और ‘क़ादिरे-मुतलक़ हमारे लिए क्या कुछ कर सकता है?’


तो कहीं तू मग़रूर होकर रब अपने ख़ुदा को भूल न जाए जो तुझे मिसर की ग़ुलामी से निकाल लाया।


फ़िरौन ने जवाब दिया, “यह रब कौन है? मैं क्यों उसका हुक्म मानकर इसराईलियों को जाने दूँ? न मैं रब को जानता हूँ, न इसराईलियों को जाने दूँगा।”


उस वक़्त आप मसीह के बग़ैर ही चलते थे। आप इसराईल क़ौम के शहरी न बन सके और जो वादे अल्लाह ने अहदों के ज़रीए अपनी क़ौम से किए थे वह आपके लिए नहीं थे। इस दुनिया में आपकी कोई उम्मीद नहीं थी, आप अल्लाह के बग़ैर ही ज़िंदगी गुज़ारते थे।


क्योंकि लोगों के अंदर से, उनके दिलों ही से बुरे ख़यालात, हरामकारी, चोरी, क़त्लो-ग़ारत,


ऐ मुल्क के तमाम फ़रोतनो, ऐ उसके अहकाम पर अमल करनेवालो, रब को तलाश करो! रास्तबाज़ी के तालिब हो, हलीमी ढूँडो। शायद तुम उस दिन रब के ग़ज़ब से बच जाओ।


ऐ यरूशलम, अपने दिल को धोकर बुराई से साफ़ कर ताकि तुझे छुटकारा मिले। तू अंदर ही अंदर कब तक अपने शरीर मनसूबे बाँधती रहेगी?


ऐ मौजूदा नसल, रब के कलाम पर ध्यान दो! क्या मैं इसराईल के लिए रेगिस्तान या तारीकतरीन इलाक़े की मानिंद था? मेरी क़ौम क्यों कहती है, ‘अब हम आज़ादी से इधर-उधर फिर सकते हैं, आइंदा हम तेरे हुज़ूर नहीं आएँगे?’


जहाँ भी ग़लत काम करने का मौक़ा मिले वहाँ उनके पाँव भागकर पहुँच जाते हैं। वह बेक़ुसूर को क़त्ल करने के लिए तैयार रहते हैं। उनके ख़यालात शरीर ही हैं, अपने पीछे वह तबाहीओ-बरबादी छोड़ जाते हैं।


उनकी जानिबदारी उनके ख़िलाफ़ गवाही देती है। और वह सदूम के बाशिंदों की तरह अलानिया अपने गुनाहों पर फ़ख़र करते हैं, वह उन्हें छुपाने की कोशिश ही नहीं करते। उन पर अफ़सोस! वह तो अपने आपको मुसीबत में डाल रहे हैं।


तब इनसान की मग़रूर आँखों को नीचा किया जाएगा, मर्दों का तकब्बुर ख़ाक में मिलाया जाएगा। उस दिन सिर्फ़ रब ही सरफ़राज़ होगा।


ऐसी नसल भी है जिसकी आँखें बड़े तकब्बुर से देखती हैं, जो अपनी पलकें बड़े घमंड से मारती है।


ऐसा न हो कि मैं दौलत के बाइस सेर होकर तेरा इनकार करूँ और कहूँ, “रब कौन है?” ऐसा भी न हो कि मैं ग़ुरबत के बाइस चोरी करके अपने ख़ुदा के नाम की बेहुरमती करूँ।


मग़रूर आँखें और मुतकब्बिर दिल जो बेदीनों का चराग़ हैं गुनाह हैं।


वह आँखें जो ग़ुरूर से देखती हैं, वह ज़बान जो झूट बोलती है, वह हाथ जो बेगुनाहों को क़त्ल करते हैं,


जो चुपके से अपने पड़ोसी पर तोहमत लगाए उसे मैं ख़ामोश कराऊँगा, जिसकी आँखें मग़रूर और दिल मुतकब्बिर हो उसे बरदाश्त नहीं करूँगा।


रब के ख़ादिम दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। बदकारी बेदीन के दिल ही में उससे बात करती है। उस की आँखों के सामने अल्लाह का ख़ौफ़ नहीं होता,


मेरा दिल तुझे याद दिलाता है कि तूने ख़ुद फ़रमाया, “मेरे चेहरे के तालिब रहो!” ऐ रब, मैं तेरे ही चेहरे का तालिब रहा हूँ।


क्योंकि तू पस्तहालों को नजात देता और मग़रूर आँखों को पस्त करता है।


वह कहते हैं, “अल्लाह को क्या पता है? अल्लाह तआला को इल्म ही नहीं।”


मुजरिमों को जल्दी से सज़ा नहीं दी जाती, इसलिए लोगों के दिल बुरे काम करने के मनसूबों से भर जाते हैं।


तब मैं चराग़ लेकर यरूशलम के कोने कोने में उनका खोज लगाऊँगा जो इस वक़्त बड़े आराम से बैठे हैं, ख़ाह हालात कितने बुरे क्यों न हों। मैं उनसे निपट लूँगा जो सोचते हैं, ‘रब कुछ नहीं करेगा, न अच्छा काम और न बुरा।’


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