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زبور 10:12 - किताबे-मुक़द्दस

12 ऐ रब, उठ! ऐ अल्लाह, अपना हाथ उठाकर नाचारों की मदद कर और उन्हें न भूल।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

12 اَے یَاہوِہ، اُٹھیں، اَپنا ہاتھ اُٹھائیں، اَے خُدا! اَور مظلوموں کو فراموش نہ کریں۔

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کِتابِ مُقادّس

12 اُٹھ اَے خُداوند! اَے خُدا اپنا ہاتھ بُلند کر! غرِیبوں کو نہ بُھول۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

12 اے رب، اُٹھ! اے اللہ، اپنا ہاتھ اُٹھا کر ناچاروں کی مدد کر اور اُنہیں نہ بھول۔

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زبور 10:12
15 حوالہ جات  

तेरा हाथ तेरे तमाम मुख़ालिफ़ों पर फ़तह पाएगा, तेरे तमाम दुश्मन नेस्तो-नाबूद हो जाएंगे।


क्योंकि जो मक़तूलों का इंतक़ाम लेता है वह मुसीबतज़दों की चीख़ें नज़रंदाज़ नहीं करता।


लेकिन रब फ़रमाता है, “अब मैं उठ खड़ा हूँगा, अब मैं सरफ़राज़ होकर अपनी क़ुव्वत का इज़हार करूँगा।


ऐ रब, गो तेरा हाथ उन्हें मारने के लिए उठा हुआ है तो भी वह ध्यान नहीं देते। लेकिन एक दिन उनकी आँखें खुल जाएँगी, और वह तेरी अपनी क़ौम के लिए ग़ैरत को देखकर शरमिंदा हो जाएंगे। तब तू अपनी भस्म करनेवाली आग उन पर नाज़िल करेगा।


ऐ दुनिया के मुंसिफ़, उठकर मग़रूरों को उनके आमाल की मुनासिब सज़ा दे।


तू जो अपने दहने हाथ से उन्हें रिहाई देता है जो अपने मुख़ालिफ़ों से तुझमें पनाह लेते हैं, मोजिज़ाना तौर पर अपनी शफ़क़त का इज़हार कर।


क्या अल्लाह मेहरबानी करना भूल गया है? क्या उसने ग़ुस्से में अपना रहम बाज़ रखा है?” (सिलाह)


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। ऐ रब, कब तक? क्या तू मुझे अबद तक भूला रहेगा? तू कब तक अपना चेहरा मुझसे छुपाए रखेगा?


ऐ रब, उठ खड़ा हो ताकि इनसान ग़ालिब न आए। बख़्श दे कि तेरे हुज़ूर अक़वाम की अदालत की जाए।


ऐ रब, उठ और अपना ग़ज़ब दिखा! मेरे दुश्मनों के तैश के ख़िलाफ़ खड़ा हो जा। मेरी मदद करने के लिए जाग उठ! तूने ख़ुद अदालत का हुक्म दिया है।


ऐ रब, उठ! ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे रिहा कर! क्योंकि तूने मेरे तमाम दुश्मनों के मुँह पर थप्पड़ मारा, तूने बेदीनों के दाँतों को तोड़ दिया है।


फिर समसून ने दुआ की, “ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, मुझे याद कर। बस एक दफ़ा और मुझे पहले की तरह क़ुव्वत अता फ़रमा ताकि मैं एक ही वार से फ़िलिस्तियों से अपनी आँखों का बदला ले सकूँ।”


ऐ रब, मुझ पर रहम कर! मेरी उस तकलीफ़ पर ग़ौर कर जो नफ़रत करनेवाले मुझे पहुँचा रहे हैं। मुझे मौत के दरवाज़ों में से निकालकर उठा ले


ऐ रब, उठ और उनका सामना कर, उन्हें ज़मीन पर पटख़ दे! अपनी तलवार से मेरी जान को बेदीनों से बचा।


अपने कबूतर की जान को वहशी जानवरों के हवाले न कर, हमेशा तक अपने मुसीबतज़दों की ज़िंदगी को न भूल।


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