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زبور 10:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 ऐ रब, तू इतना दूर क्यों खड़ा है? मुसीबत के वक़्त तू अपने आपको पोशीदा क्यों रखता है?

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اَے یَاہوِہ، آپ اِس قدر دُور کیوں کھڑے رہتے ہیں؟ اَور میری مُصیبت کے ایّام میں خُود کو کیوں چھپاتے ہیں؟

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کِتابِ مُقادّس

1 اَے خُداوند! تُو کیوں دُور کھڑا رہتا ہے؟ مُصِیبت کے وقت تُو کیوں چِھپ جاتا ہے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 اے رب، تُو اِتنا دُور کیوں کھڑا ہے؟ مصیبت کے وقت تُو اپنے آپ کو پوشیدہ کیوں رکھتا ہے؟

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زبور 10:1
13 حوالہ جات  

दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : तुलूए-सुबह की हिरनी। ऐ मेरे ख़ुदा, ऐ मेरे ख़ुदा, तूने मुझे क्यों तर्क कर दिया है? मैं चीख़ रहा हूँ, लेकिन मेरी नजात नज़र नहीं आती।


अपने चेहरे को मुझसे छुपाए न रख, अपने ख़ादिम को ग़ुस्से से अपने हुज़ूर से न निकाल। क्योंकि तू ही मेरा सहारा रहा है। ऐ मेरी नजात के ख़ुदा, मुझे न छोड़, मुझे तर्क न कर।


ऐ अल्लाह, तू इसराईल की उम्मीद है, तू ही मुसीबत के वक़्त उसे छुटकारा देता है। तो फिर हमारे साथ तेरा सुलूक मुल्क में अजनबी का-सा क्यों है? तू रात को कभी इधर कभी इधर ठहरनेवाले मुसाफ़िर जैसा क्यों है?


ऐ रब, तू मेरी जान को क्यों रद्द करता, अपने चेहरे को मुझसे पोशीदा क्यों रखता है?


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। गीत का तर्ज़ : कुँवारियाँ। अल्लाह हमारी पनाहगाह और क़ुव्वत है। मुसीबत के वक़्त वह हमारा मज़बूत सहारा साबित हुआ है।


तू अपना चेहरा हमसे पोशीदा क्यों रखता है, हमारी मुसीबत और हम पर होनेवाले ज़ुल्म को नज़रंदाज़ क्यों करता है?


ऐ रब, जब तू मुझसे ख़ुश था तो तूने मुझे मज़बूत पहाड़ पर रख दिया। लेकिन जब तूने अपना चेहरा मुझसे छुपा लिया तो मैं सख़्त घबरा गया।


तू अपना चेहरा मुझसे छुपाए क्यों रखता है? तू मुझे क्यों अपना दुश्मन समझता है?


लेकिन अगर वह ख़ामोश भी रहे तो कौन उसे मुजरिम क़रार दे सकता है? अगर वह अपने चेहरे को छुपाए रखे तो कौन उसे देख सकता है? वह तो क़ौम पर बल्कि हर फ़रद पर हुकूमत करता है


शिमाल मैं उसे ढूँडूँ तो वह दिखाई नहीं देता, जुनूब की तरफ़ रुख़ करूँ तो वहाँ भी पोशीदा रहता है।


हमारी जान ख़ाक में दब गई, हमारा बदन मिट्टी से चिमट गया है।


तू क्यों उस आदमी की मानिंद है जो अचानक दम बख़ुद हो जाता है, उस सूरमे की मानिंद जो बेबस होकर बचा नहीं सकता। ऐ रब, तू तो हमारे दरमियान ही रहता है, और हम पर तेरे ही नाम का ठप्पा लगा है। हमें तर्क न कर!


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