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امثال 7:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 तो क्या देखता हूँ कि वहाँ कुछ सादालौह नौजवान खड़े हैं। उनमें से एक बेअक़्ल जवान नज़र आया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 تَب مَیں نے نادان لوگوں میں، اَور جَوانوں کے درمیان، ایک نوجوان کو دیکھا جِس میں سمجھ کی کمی تھی۔

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کِتابِ مُقادّس

7 اور مَیں نے ایک بے عقل جوان کو نادانوں کے درمِیان دیکھا۔ یعنی نَوجوانوں کے درمِیان وہ مُجھے نظر آیا

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 تو کیا دیکھتا ہوں کہ وہاں کچھ سادہ لوح نوجوان کھڑے ہیں۔ اُن میں سے ایک بےعقل جوان نظر آیا۔

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امثال 7:7
24 حوالہ جات  

लेकिन जो किसी दूसरे की बीवी के साथ ज़िना करे वह बेअक़्ल है। जो अपनी जान को तबाह करना चाहे वही ऐसा करता है।


“ऐ सादालौह लोगो, तुम कब तक अपनी सादालौही से मुहब्बत रखोगे? मज़ाक़ उड़ानेवाले कब तक अपने मज़ाक़ से लुत्फ़ उठाएँगे, अहमक़ कब तक इल्म से नफ़रत करेंगे?


ईसा ने कहा, “क्या तुम अभी तक इतने नासमझ हो?


“मेरी क़ौम अहमक़ है और मुझे नहीं जानती। वह बेवुक़ूफ़ और नासमझ बच्चे हैं। गो वह ग़लत काम करने में बहुत तेज़ हैं, लेकिन भलाई करना उनकी समझ से बाहर है।”


समझदार के होंटों पर हिकमत पाई जाती है, लेकिन नासमझ सिर्फ़ डंडे का पैग़ाम समझता है।


“जो सादालौह है वह मेरे पास आए।” जो नासमझ हैं उनसे वह कहती है,


“जो सादालौह है, वह मेरे पास आए।” नासमझ लोगों से वह कहती है,


ऐ सादालौहो, होशियारी सीख लो! ऐ अहमक़ो, समझ अपना लो!


क्योंकि सहीह राह से दूर होने का अमल सादालौह को मार डालता है, और अहमक़ों की बेपरवाई उन्हें तबाह करती है।


यह अमसाल सादालौह को होशियारी और नौजवान को इल्म और तमीज़ सिखाती हैं।


तेरे कलाम का इनकिशाफ़ रौशनी बख़्शता और सादालौह को समझ अता करता है।


ज़हीन आदमी ख़तरा पहले से भाँपकर छुप जाता है, जबकि सादालौह आगे बढ़कर उस की लपेट में आ जाता है।


एक दिन मैं सुस्त और नासमझ आदमी के खेत और अंगूर के बाग़ में से गुज़रा।


ज़हीन आदमी ख़तरा पहले से भाँपकर छुप जाता है, जबकि सादालौह आगे बढ़कर उस की लपेट में आ जाता है।


तानाज़न को मार तो सादालौह सबक़ सीखेगा, समझदार को डाँट तो उसके इल्म में इज़ाफ़ा होगा।


अगर इल्म साथ न हो तो सरगरमी का कोई फ़ायदा नहीं। जल्दबाज़ ग़लत राह पर आता रहता है।


सादालौह मीरास में हमाक़त पाता है जबकि ज़हीन आदमी का सर इल्म के ताज से आरास्ता रहता है।


सादालौह हर एक की बात मान लेता है जबकि ज़हीन आदमी अपना हर क़दम सोच-समझकर उठाता है।


जो अपनी ज़मीन की खेतीबाड़ी करे उसके पास कसरत का खाना होगा, लेकिन जो फ़ज़ूल चीज़ों के पीछे पड़ जाए वह नासमझ है।


रब की शरीअत कामिल है, उससे जान में जान आ जाती है। रब के अहकाम क़ाबिले-एतमाद हैं, उनसे सादालौह दानिशमंद हो जाता है।


ज़िनाकार की आँखें शाम के धुँधलके के इंतज़ार में रहती हैं, यह सोचकर कि उस वक़्त मैं किसी को नज़र नहीं आऊँगा। निकलते वक़्त वह अपने मुँह को ढाँप लेता है।


मेरे बेटे, मेरी हिकमत पर ध्यान दे, मेरी समझ की बातों पर कान धर।


मेरे बेटे, अपने बाप के हुक्म से लिपटा रह, और अपनी माँ की हिदायत नज़रंदाज़ न कर।


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