मैं एक घर तामीर करके उसे रब अपने ख़ुदा के नाम के लिए मख़सूस करना चाहता हूँ। क्योंकि हमें ऐसी जगह की ज़रूरत है जिसमें उसके हुज़ूर ख़ुशबूदार बख़ूर जलाया जाए, रब के लिए मख़सूस रोटियाँ बाक़ायदगी से मेज़ पर रखी जाएँ और ख़ास मौक़ों पर भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश की जाएँ यानी हर सुबहो-शाम, सबत के दिन, नए चाँद की ईदों और रब हमारे ख़ुदा की दीगर मुक़र्ररा ईदों पर। यह इसराईल का दायमी फ़र्ज़ है।
