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امثال 26:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 अहमक़ की इज़्ज़त करना उतना ही ग़ैरमौज़ूँ है जितना मौसमे-गरमा में बर्फ़ या फ़सल काटते वक़्त बारिश।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 جِس طرح موسم گرما میں برف کا گرنا یا فصل کے کاٹنے کے وقت بارش ہونے لگنا ٹھیک نہیں ہوتا، وَیسے ہی احمق کے لیٔے عزّت ٹھیک نہیں ہوتی۔

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کِتابِ مُقادّس

1 جِس طرح ایّامِ گرمی میں برف اور دِرَو کے وقت بارِش اُسی طرح احمق کو عِزّت زیب نہیں دیتی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 احمق کی عزت کرنا اُتنا ہی غیرموزوں ہے جتنا موسمِ گرما میں برف یا فصل کاٹتے وقت بارش۔

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امثال 26:1
16 حوالہ جات  

अहमक़ के लिए ऐशो-इशरत से ज़िंदगी गुज़ारना मौज़ूँ नहीं, लेकिन ग़ुलाम की हुक्मरानों पर हुकूमत कहीं ज़्यादा ग़ैरमुनासिब है।


जहाँ नासमझ हुक्मरान है वहाँ ज़ुल्म होता है, लेकिन जिसे ग़लत नफ़ा से नफ़रत हो उस की उम्र दराज़ होगी।


गो बेदीन आज़ादी से इधर-उधर फिरते हैं, और इनसानों के दरमियान कमीनापन का राज है।


अहमक़ का एहतराम करना फ़लाख़न के साथ पत्थर बाँधने के बराबर है।


अहमक़ के लिए बड़ी बड़ी बातें करना मौज़ूँ नहीं, लेकिन शरीफ़ होंटों पर फ़रेब कहीं ज़्यादा ग़ैरमुनासिब है।


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। हिकमत का यह गीत उस वक़्त से मुताल्लिक़ है जब दोएग अदोमी साऊल बादशाह के पास गया और उसे बताया, “दाऊद अख़ीमलिक इमाम के घर में गया है।” ऐ सूरमे, तू अपनी बदी पर क्यों फ़ख़र करता है? अल्लाह की शफ़क़त दिन-भर क़ायम रहती है।


वह मरदूद को हक़ीर जानता लेकिन ख़ुदातरस की इज़्ज़त करता है। जो वादा उसने क़सम खाकर किया उसे पूरा करता है, ख़ाह उसे कितना ही नुक़सान क्यों न पहुँचे।


हताक वापस आया और मर्दकी की बातों की ख़बर दी।


हताक शाही सहन के दरवाज़े से निकलकर मर्दकी के पास आया जो अब तक साथवाले चौक में था।


लेकिन अगर ऐसा नहीं था तो अल्लाह करे कि अबीमलिक से आग निकलकर आप सबको भस्म कर दे जो सिकम और बैत-मिल्लो में रहते हैं! और आग आपसे निकलकर अबीमलिक को भी भस्म कर दे!”


जब यूताम को इसकी इत्तला मिली तो वह गरिज़ीम पहाड़ की चोटी पर चढ़ गया और ऊँची आवाज़ से चिल्लाया, “ऐ सिकम के बाशिंदो, सुनें मेरी बात! सुनें अगर आप चाहते हैं कि अल्लाह आपकी भी सुने।


घोड़े को छड़ी से, गधे को लगाम से और अहमक़ की पीठ को लाठी से तरबियत दे।


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