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امثال 24:23 - किताबे-मुक़द्दस

23 ज़ैल में दानिशमंदों की मज़ीद कहावतें क़लमबंद हैं। अदालत में जानिबदारी दिखाना बुरी बात है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

23 یہ بھی دانشمندوں کے اقوال ہیں: اِنصاف کرتے وقت جانِبداری سے کام لینا اَچھّا نہیں:

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کِتابِ مُقادّس

23 یہ بھی داناؤں کے اقوال ہیں:- عدالت میں طرف داری کرنا اچھّا نہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

23 ذیل میں دانش مندوں کی مزید کہاوتیں قلم بند ہیں۔ عدالت میں جانب داری دکھانا بُری بات ہے۔

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امثال 24:23
18 حوالہ جات  

जानिबदारी बुरी बात है, लेकिन इनसान रोटी का टुकड़ा हासिल करने के लिए मुजरिम बन जाता है।


बेदीन की जानिबदारी करके रास्तबाज़ का हक़ मारना ग़लत है।


कौन दानिशमंद है? वह इस पर ध्यान दे, वह रब की मेहरबानियों पर ग़ौर करे।


अदालत में किसी की हक़तलफ़ी न करना। फ़ैसला करते वक़्त किसी की भी जानिबदारी न करना, चाहे वह ग़रीब या असरो-रसूख़वाला हो। इनसाफ़ से अपने पड़ोसी की अदालत कर।


और याद रखें कि आसमानी बाप जिससे आप दुआ करते हैं जानिबदारी नहीं करता बल्कि आपके अमल के मुताबिक़ आपका फ़ैसला करेगा। चुनाँचे जब तक आप इस दुनिया के मेहमान रहेंगे ख़ुदा के ख़ौफ़ में ज़िंदगी गुज़ारें।


आसमान की हिकमत फ़रक़ है। अव्वल तो वह पाक और मुक़द्दस है। नीज़ वह अमनपसंद, नरमदिल, फ़रमाँबरदार, रहम और अच्छे फल से भरी हुई, ग़ैरजानिबदार और ख़ुलूसदिल है।


ज़ाहिरी सूरत की बिना पर फ़ैसला न करो बल्कि बातिनी हालत पहचानकर मुंसिफ़ाना फ़ैसला करो।”


कौन दानिशमंद है? वह समझ ले। कौन साहबे-फ़हम है? वह मतलब जान ले। क्योंकि रब की राहें दुरुस्त हैं। रास्तबाज़ उन पर चलते रहेंगे, लेकिन सरकश उन पर चलते वक़्त ठोकर खाकर गिर जाएंगे।


तब वह अमसाल और तमसीलें, दानिशमंदों की बातें और उनके मुअम्मे समझ लेगा।


चुनाँचे अल्लाह का ख़ौफ़ मानकर एहतियात से लोगों का इनसाफ़ करें। क्योंकि जहाँ रब हमारा ख़ुदा है वहाँ बेइनसाफ़ी, जानिबदारी और रिश्वतख़ोरी हो ही नहीं सकती।”


न किसी के हुक़ूक़ मारना, न जानिबदारी दिखाना। रिश्वत क़बूल न करना, क्योंकि रिश्वत दानिशमंदों को अंधा कर देती और रास्तबाज़ की बातें पलट देती है।


अदालत करते वक़्त जानिबदारी न करना। छोटे और बड़े की बात सुनकर दोनों के साथ एक जैसा सुलूक करना। किसी से मत डरना, क्योंकि अल्लाह ही ने तुम्हें अदालत करने की ज़िम्मादारी दी है। अगर किसी मामले में फ़ैसला करना तुम्हारे लिए मुश्किल हो तो उसे मुझे पेश करो। फिर मैं ही उसका फ़ैसला करूँगा।”


कान लगाकर दानाओं की बातों पर ध्यान दे, दिल से मेरी तालीम अपना ले!


क्या तुम उस की जानिबदारी करना चाहते हो, अल्लाह के हक़ में लड़ना चाहते हो?


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