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امثال 15:15 - किताबे-मुक़द्दस

15 मुसीबतज़दा के तमाम दिन बुरे हैं, लेकिन जिसका दिल ख़ुश है वह रोज़ाना जशन मनाता है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

15 مُصیبت زدوں کے تمام ایّام دُکھ بھرے ہوتے ہیں، لیکن زندہ دِل مُتواتر جَشن مناتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

15 مُصِیبت زدہ کے تمام ایّام بُرے ہیں پر خُوش دِل ہمیشہ جشن کرتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

15 مصیبت زدہ کے تمام دن بُرے ہیں، لیکن جس کا دل خوش ہے وہ روزانہ جشن مناتا ہے۔

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امثال 15:15
17 حوالہ جات  

हम ग़म खा खाकर हर वक़्त ख़ुश रहते हैं, हम ग़रीब हालत में बहुतों को दौलतमंद बना देते हैं। हमारे पास कुछ नहीं है, तो भी हमें सब कुछ हासिल है।


उम्मीद में ख़ुश, मुसीबत में साबितक़दम और दुआ में लगे रहें।


जिसका दिल ख़ुश है उसका चेहरा खुला रहता है, लेकिन जिसका दिल परेशान है उस की रूह शिकस्ता रहती है।


ख़ुशबाश दिल पूरे जिस्म को शफ़ा देता है, लेकिन शिकस्ता रूह हड्डियों को ख़ुश्क कर देती है।


न सिर्फ़ यह बल्कि अब हम अल्लाह पर फ़ख़र करते हैं और यह हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के वसीले से है, जिसने हमारी सुलह कराई है।


क्योंकि जितनी कसरत से मसीह की-सी मुसीबतें हम पर आ जाती हैं उतनी कसरत से अल्लाह मसीह के ज़रीए हमें तसल्ली देता है।


अब ऐसा हुआ कि पौलुस और सीलास आधी रात के क़रीब दुआ कर रहे और अल्लाह की तमजीद के गीत गा रहे थे और बाक़ी क़ैदी सुन रहे थे।


बल्कि ख़ुशी मनाएँ कि आप मसीह के दुखों में शरीक हो रहे हैं। क्योंकि फिर आप उस वक़्त भी ख़ुशी मनाएँगे जब मसीह का जलाल ज़ाहिर होगा।


फ़हम अपने मालिक के लिए ज़िंदगी का सरचश्मा है, लेकिन अहमक़ की अपनी ही हमाक़त उसे सज़ा देती है।


यह बात हमारे लिए फ़ख़र का बाइस है कि हमारा ज़मीर साफ़ है। क्योंकि हमने अल्लाह के सामने सादादिली और ख़ुलूस से ज़िंदगी गुज़ारी है, और हमने अपनी इनसानी हिकमत पर इनहिसार नहीं किया बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल पर। दुनिया में और ख़ासकर आपके साथ हमारा रवैया ऐसा ही रहा है।


याक़ूब ने जवाब दिया, “मैं 130 साल से इस दुनिया का मेहमान हूँ। मेरी ज़िंदगी मुख़तसर और तकलीफ़देह थी, और मेरे बापदादा मुझसे ज़्यादा उम्ररसीदा हुए थे जब वह इस दुनिया के मेहमान थे।”


उसके तमाम बेटे-बेटियाँ उसे तसल्ली देने आए, लेकिन उसने तसल्ली पाने से इनकार किया और कहा, “मैं पाताल में उतरते हुए भी अपने बेटे के लिए मातम करूँगा।” इस हालत में वह अपने बेटे के लिए रोता रहा।


समझदार का दिल इल्मो-इरफ़ान की तलाश में रहता, लेकिन अहमक़ हमाक़त की चरागाह में चरता रहता है।


जो ग़रीब रब का ख़ौफ़ मानता है उसका हाल उस करोड़पति से कहीं बेहतर है जो बड़ी बेचैनी से ज़िंदगी गुज़ारता है।


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