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امثال 10:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 जो तरबियत क़बूल करे वह दूसरों को ज़िंदगी की राह पर लाता है, जो नसीहत नज़रंदाज़ करे वह दूसरों को सहीह राह से दूर ले जाता है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 جو تربّیت قبُول کرتا ہے وہ زندگی کی راہ بتاتا ہے، لیکن جو تنبیہ کو ٹھکراتا ہے وہ دُوسروں کو گُمراہ کرتا ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

17 تربِیّت پذِیر زِندگی کی راہ پر ہے لیکن ملامت کو ترک کرنے والا گُمراہ ہو جاتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 جو تربیت قبول کرے وہ دوسروں کو زندگی کی راہ پر لاتا ہے، جو نصیحت نظرانداز کرے وہ دوسروں کو صحیح راہ سے دُور لے جاتا ہے۔

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امثال 10:17
22 حوالہ جات  

क्योंकि बाप का हुक्म चराग़ और माँ की हिदायत रौशनी है, तरबियत की डाँट-डपट ज़िंदगीबख़्श राह है।


लेकिन ईसा ने जवाब दिया, “बात यह नहीं है। हक़ीक़त में वह मुबारक हैं जो अल्लाह का कलाम सुनकर उस पर अमल करते हैं।”


जो सहीह राह को तर्क करे उस की सख़्त तादीब की जाएगी, जो नसीहत से नफ़रत करे वह मर जाएगा।


जो मुतअद्दिद नसीहतों के बावुजूद हटधर्म रहे वह अचानक ही बरबाद हो जाएगा, और शफ़ा का इमकान ही नहीं होगा।


कहेगा, “हाय, मैंने क्यों तरबियत से नफ़रत की, मेरे दिल ने क्यों सरज़निश को हक़ीर जाना?


जो उसका दामन पकड़ ले उसके लिए वह ज़िंदगी का दरख़्त है। मुबारक है वह जो उससे लिपटा रहे।


अपने मुँह को इजाज़त न दे कि वह तुझे गुनाह में फँसाए, और अल्लाह के पैग़ंबर के सामने न कह, “मुझसे ग़ैरइरादी ग़लती हुई है।” क्या ज़रूरत है कि अल्लाह तेरी बात से नाराज़ होकर तेरी मेहनत का काम तबाह करे?


जिसे इल्मो-इरफ़ान प्यारा है उसे तरबियत भी प्यारी है, जिसे नसीहत से नफ़रत है वह बेअक़्ल है।


तरबियत का दामन थामे रह! उसे न छोड़ बल्कि महफ़ूज़ रख, क्योंकि वह तेरी ज़िंदगी है।


चुनाँचे ख़बरदार रहें कि आप उस की सुनने से इनकार न करें जो इस वक़्त आपसे हमकलाम हो रहा है। क्योंकि अगर इसराईली न बचे जब उन्होंने दुनियावी पैग़ंबर मूसा की सुनने से इनकार किया तो फिर हम किस तरह बचेंगे अगर हम उस की सुनने से इनकार करें जो आसमान से हमसे हमकलाम होता है।


तो मेरे बाप ने मुझे तालीम देकर कहा, “पूरे दिल से मेरे अलफ़ाज़ अपना ले और हर वक़्त मेरे अहकाम पर अमल कर तो तू जीता रहेगा।


मेरा मशवरा उन्हें क़बूल नहीं था बल्कि वह मेरी हर सरज़निश को हक़ीर जानते थे।


अमसियाह ने नबी की बात काटकर कहा, “हमने कब से तुझे बादशाह का मुशीर बना दिया है? ख़ामोश, वरना तुझे मार दिया जाएगा।” नबी ने ख़ामोश होकर इतना ही कहा, “मुझे मालूम है कि अल्लाह ने आपको आपकी इन हरकतों की वजह से और इसलिए कि आपने मेरा मशवरा क़बूल नहीं किया तबाह करने का फ़ैसला कर लिया है।”


इसलिए लाज़िम है कि हम और ज़्यादा ध्यान से कलामे-मुक़द्दस की उन बातों पर ग़ौर करें जो हमने सुन ली हैं। ऐसा न हो कि हम समुंदर पर बेकाबू कश्ती की तरह बेमक़सद इधर-उधर फिरें।


मुसाफ़िरों को चौक में देखकर उसने पूछा, “आप कहाँ से आए और कहाँ जा रहे हैं?”


जमात के दरमियान ही रहते हुए मुझ पर ऐसी आफ़त आई कि मैं तबाही के दहाने तक पहुँच गया हूँ।”


जो तरबियत की परवा न करे वह अपने आपको हक़ीर जानता है, लेकिन जो नसीहत पर ध्यान दे उस की समझ में इज़ाफ़ा होता है।


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