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فلپیوں 3:9 - किताबे-मुक़द्दस

9 और उसमें पाया जाऊँ। लेकिन मैं इस नौबत तक अपनी उस रास्तबाज़ी के ज़रीए नहीं पहुँच सकता जो शरीअत के ताबे रहने से हासिल होती है। इसके लिए वह रास्तबाज़ी ज़रूरी है जो मसीह पर ईमान लाने से मिलती है, जो अल्लाह की तरफ़ से है और जो ईमान पर मबनी होती है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

9 اَور المسیح میں پایا جاؤں، لیکن اَپنی شَریعت والی راستبازی کے ساتھ نہیں، بَلکہ اُس راستبازی کے ساتھ جو المسیح پر ایمان لانے سے حاصل ہوتی ہے۔ یہ راستبازی خُدا کی طرف سے ہے اَور ایمان کی بُنیاد پر مَبنی ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

9 اور اُس میں پایا جاؤُں۔ نہ اپنی اُس راست بازی کے ساتھ جو شرِیعت کی طرف سے ہے بلکہ اُس راست بازی کے ساتھ جو مسِیح پر اِیمان لانے کے سبب سے ہے اور خُدا کی طرف سے اِیمان پر مِلتی ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

9 اور اُس میں پایا جاؤں۔ لیکن مَیں اِس نوبت تک اپنی اُس راست بازی کے ذریعے نہیں پہنچ سکتا جو شریعت کے تابع رہنے سے حاصل ہوتی ہے۔ اِس کے لئے وہ راست بازی ضروری ہے جو مسیح پر ایمان لانے سے ملتی ہے، جو اللہ کی طرف سے ہے اور جو ایمان پر مبنی ہوتی ہے۔

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فلپیوں 3:9
56 حوالہ جات  

मसीह बेगुनाह था, लेकिन अल्लाह ने उसे हमारी ख़ातिर गुनाह ठहराया ताकि हमें उसमें रास्तबाज़ क़रार दिया जाए।


यह अल्लाह की तरफ़ से है कि आप मसीह ईसा में हैं। अल्लाह की बख़्शिश से ईसा ख़ुद हमारी दानाई, हमारी रास्तबाज़ी, हमारी तक़दीस और हमारी मख़लसी बन गया है।


लेकिन हम जानते हैं कि इनसान को शरीअत की पैरवी करने से रास्तबाज़ नहीं ठहराया जाता बल्कि ईसा मसीह पर ईमान लाने से। हम भी मसीह ईसा पर ईमान लाए हैं ताकि हमें रास्तबाज़ क़रार दिया जाए, शरीअत की पैरवी करने से नहीं बल्कि मसीह पर ईमान लाने से। क्योंकि शरीअत की पैरवी करने से किसी को भी रास्तबाज़ क़रार नहीं दिया जाएगा।


अब जो मसीह ईसा में हैं उन्हें मुजरिम नहीं ठहराया जाता।


क्योंकि इस ख़ुशख़बरी में अल्लाह की ही रास्तबाज़ी ज़ाहिर होती है, वह रास्तबाज़ी जो शुरू से आख़िर तक ईमान पर मबनी है। यही बात कलामे-मुक़द्दस में दर्ज है जब लिखा है, “रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा।”


इतनी तकलीफ़ बरदाश्त करने के बाद उसे फल नज़र आएगा, और वह सेर हो जाएगा। अपने इल्म से मेरा रास्त ख़ादिम बहुतों का इनसाफ़ क़ायम करेगा, क्योंकि वह उनके गुनाहों को अपने ऊपर उठाकर दूर कर देगा।


उन दिनों में यहूदाह को छुटकारा मिलेगा और यरूशलम पुरअमन ज़िंदगी गुज़ारेगा। तब यरूशलम ‘रब हमारी रास्ती’ कहलाएगा।


तो उसने हमें बचाया। यह नहीं कि हमने रास्त काम करने के बाइस नजात हासिल की बल्कि उसके रहम ही ने हमें रूहुल-क़ुद्स के वसीले से बचाया जिसने हमें धोकर नए सिरे से जन्म दिया और नई ज़िंदगी अता की।


क्योंकि उसने हमें नजात देकर मुक़द्दस ज़िंदगी गुज़ारने के लिए बुलाया। और यह चीज़ें हमें अपनी मेहनत से नहीं मिलीं बल्कि अल्लाह के इरादे और फ़ज़ल से। यह फ़ज़ल ज़मानों की इब्तिदा से पहले हमें मसीह में दिया गया


चुनाँचे जो मसीह में है वह नया मख़लूक़ है। पुरानी ज़िंदगी जाती रही और नई ज़िंदगी शुरू हो गई है।


मैं इतना सरगरम था कि मसीह की जमातों को ईज़ा पहुँचाई। हाँ, मैं शरीअत पर अमल करने में रास्तबाज़ और बेइलज़ाम था।


क्योंकि जब हम दिल से ईमान लाते हैं तो अल्लाह हमें रास्तबाज़ क़रार देता है, और जब हम अपने मुँह से इक़रार करते हैं तो हमें नजात मिलती है।


मूसवी शरीअत हमारी पुरानी फ़ितरत की कमज़ोर हालत की वजह से हमें न बचा सकी। इसलिए अल्लाह ने वह कुछ किया जो शरीअत के बस में न था। उसने अपना फ़रज़ंद भेज दिया ताकि वह गुनाहगार का-सा जिस्म इख़्तियार करके हमारे गुनाहों का कफ़्फ़ारा दे। इस तरह अल्लाह ने पुरानी फ़ितरत में मौजूद गुनाह को मुजरिम ठहराया


उसके दौरे-हुकूमत में यहूदाह को छुटकारा मिलेगा और इसराईल महफ़ूज़ ज़िंदगी गुज़ारेगा। वह ‘रब हमारी रास्तबाज़ी’ कहलाएगा।


दुनिया में कोई भी इनसान इतना रास्तबाज़ नहीं कि हमेशा अच्छा काम करे और कभी गुनाह न करे।


पहले जाओ और कलामे-मुक़द्दस की इस बात का मतलब जान लो कि ‘मैं क़ुरबानी नहीं बल्कि रहम पसंद करता हूँ।’ क्योंकि मैं रास्तबाज़ों को नहीं बल्कि गुनाहगारों को बुलाने आया हूँ।”


हम सब भेड़-बकरियों की तरह आवारा फिर रहे थे, हर एक ने अपनी अपनी राह इख़्तियार की। लेकिन रब ने उसे हम सबके क़ुसूर का निशाना बनाया।


अपने ख़ादिम को अपनी अदालत में न ला, क्योंकि तेरे हुज़ूर कोई भी जानदार रास्तबाज़ नहीं ठहर सकता।


जो ख़ताएँ बेख़बरी में सरज़द हुईं कौन उन्हें जानता है? मेरे पोशीदा गुनाहों को मुआफ़ कर!


अफ़सोस, सब सहीह राह से भटक गए, सबके सब बिगड़ गए हैं। कोई नहीं जो भलाई करता हो, एक भी नहीं।


लेकिन हिज़क़ियाह मग़रूर हुआ, और उसने इस मेहरबानी का मुनासिब जवाब न दिया। नतीजे में रब उससे और यहूदाह और यरूशलम से नाराज़ हुआ।


हो सकता है वह तेरा गुनाह करें, ऐसी हरकतें तो हम सबसे सरज़द होती रहती हैं, और नतीजे में तू नाराज़ होकर उन्हें दुश्मन के हवाले कर दे जो उन्हें क़ैद करके अपने किसी दूर-दराज़ या क़रीबी मुल्क में ले जाए।


यों हर मख़लूक़ को रूए-ज़मीन पर से मिटा दिया गया। इनसान, ज़मीन पर फिरने और रेंगनेवाले जानवर और परिंदे, सब कुछ ख़त्म कर दिया गया। सिर्फ़ नूह और कश्ती में सवार उसके साथी बच गए।


जो गुनाह करता है वह शरीअत की ख़िलाफ़वरज़ी करता है। हाँ, गुनाह शरीअत की ख़िलाफ़वरज़ी ही है।


यह ख़त ईसा मसीह के ख़ादिम और रसूल शमौन पतरस की तरफ़ से है। मैं उन सबको लिख रहा हूँ जिन्हें हमारे ख़ुदा और नजातदहिंदा ईसा मसीह की रास्तबाज़ी के वसीले से वही बेशक़ीमत ईमान बख़्शा गया है जो हमें भी मिला।


हम सबसे तो कई तरह की ग़लतियाँ सरज़द होती हैं। लेकिन जिस शख़्स से बोलने में कभी ग़लती नहीं होती वह कामिल है और अपने पूरे बदन को क़ाबू में रखने के क़ाबिल है।


ग़रज़, यह दो बातें क़ायम रही हैं, अल्लाह का वादा और उस की क़सम। वह इन्हें न तो बदल सकता न इनके बारे में झूट बोल सकता है। यों हम जिन्होंने उसके पास पनाह ली है बड़ी तसल्ली पाकर उस उम्मीद को मज़बूती से थामे रख सकते हैं जो हमें पेश की गई है।


अंदरूनीकुस और यूनिया को मेरा सलाम। वह मेरे हमवतन हैं और जेल में मेरे साथ वक़्त गुज़ारा है। रसूलों में वह नुमायाँ हैसियत रखते हैं, और वह मुझसे पहले मसीह के पीछे हो लिए थे।


चुनाँचे जिस तरह गुनाह मौत की सूरत में हुकूमत करता था उसी तरह अब अल्लाह का फ़ज़ल हमें रास्तबाज़ ठहराकर हुकूमत करता है। यों हमें अपने ख़ुदावंद ईसा मसीह की बदौलत अबदी ज़िंदगी हासिल होती है।


तेरी क़ौम और तेरे मुक़द्दस शहर के लिए 70 हफ़ते मुक़र्रर किए गए हैं ताकि उतने में जरायम और गुनाहों का सिलसिला ख़त्म किया जाए, क़ुसूर का कफ़्फ़ारा दिया जाए, अबदी रास्ती क़ायम की जाए, रोया और पेशगोई की तसदीक़ की जाए और मुक़द्दसतरीन जगह को मसह करके मख़सूसो-मुक़द्दस किया जाए।


मैं अपनी रास्ती क़रीब ही लाया हूँ, वह दूर नहीं है। मेरी नजात के आने में देर नहीं होगी। मैं सिय्यून को नजात दूँगा, इसराईल को अपनी शानो-शौकत से नवाज़ूँगा।


मैं चिल्ला उठा, “मुझ पर अफ़सोस, मैं बरबाद हो गया हूँ! क्योंकि गो मेरे होंट नापाक हैं, और जिस क़ौम के दरमियान रहता हूँ उसके होंट भी नजिस हैं तो भी मैंने अपनी आँखों से बादशाह रब्बुल-अफ़वाज को देखा है।”


एक दिन बाबल के हुक्मरानों ने उसके पास वफ़द भेजा ताकि उस इलाही निशान के बारे में मालूमात हासिल करें जो यहूदाह में हुआ था। उस वक़्त अल्लाह ने उसे अकेला छोड़ दिया ताकि उसके दिल की हक़ीक़ी हालत जाँच ले।


‘उस पर लानत जो इस शरीअत की बातें क़ायम न रखे, न इन पर अमल करे।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’


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