जब मूसा मुलाक़ात के ख़ैमे में रब के साथ बात करने के लिए दाख़िल होता था तो वह रब की आवाज़ अहद के संदूक़ के ढकने पर से यानी दो करूबी फ़रिश्तों के दरमियान से सुनता था।
ख़ालिस सोने का शमादान भी बनाना। उसका पाया और डंडी घड़कर बनाना है। उस की प्यालियाँ जो फूलों और कलियों की शक्ल की होंगी पाए और डंडी के साथ एक ही टुकड़ा हों।
उन दिनों में रब ने लावी के क़बीले को अलग करके उसे रब के अहद के संदूक़ को उठाकर ले जाने, रब के हुज़ूर ख़िदमत करने और उसके नाम से बरकत देने की ज़िम्मादारी दी। आज तक यह उनकी ज़िम्मादारी रही है।