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گنتی 4:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 उन तमाम मर्दों को रजिस्टर में दर्ज करना जो 30 से लेकर 50 साल के हैं और मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत करने के लिए आ सकते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 تیس سے لے کر پچاس سال کی عمر کے سبھی مَردوں کو جو خیمہ اِجتماع کی خدمت میں ہاتھ بٹانے کے لیٔے آتے ہیں شُمار کرو۔

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کِتابِ مُقادّس

3 تِیس برس سے لے کر پچاس برس کی عُمر تک کے جِتنے خَیمۂِ اِجتماع میں کام کرنے کے لِئے مَقدِس کی خِدمت میں شامِل ہیں اُن سبھوں کو گِنو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 اُن تمام مردوں کو رجسٹر میں درج کرنا جو 30 سے لے کر 50 سال کے ہیں اور ملاقات کے خیمے میں خدمت کرنے کے لئے آ سکتے ہیں۔

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گنتی 4:3
27 حوالہ جات  

उन तमाम मर्दों को रजिस्टर में दर्ज करना जो 30 से लेकर 50 साल के हैं और मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत के लिए आ सकते हैं।


वह नौमुरीद न हो वरना ख़तरा है कि वह फूलकर इबलीस के जाल में उलझ जाए और यों उस की अदालत की जाए।


यह बात यक़ीनी है कि जो जमात का निगरान बनना चाहता है वह एक अच्छी ज़िम्मादारी की आरज़ू रखता है।


तीमुथियुस मेरे बेटे, मैं आपको यह हिदायत उन पेशगोइयों के मुताबिक़ देता हूँ जो पहले आपके बारे में की गई थीं। क्योंकि मैं चाहता हूँ कि आप इनकी पैरवी करके अच्छी तरह लड़ सकें


ईसा तक़रीबन तीस साल का था जब उसने ख़िदमत शुरू की। उसे यूसुफ़ का बेटा समझा जाता था। उसका नसबनामा यह है : यूसुफ़ बिन एली


जिलावतनी से वापस आने के दूसरे साल के दूसरे महीने में रब के घर की नए सिरे से तामीर शुरू हुई। इस काम में ज़रुब्बाबल बिन सियालतियेल, यशुअ बिन यूसदक़, दीगर इमाम और लावी और वतन में वापस आए हुए बाक़ी तमाम इसराईली शरीक हुए। तामीरी काम की निगरानी उन लावियों के ज़िम्मे लगा दी गई जिनकी उम्र 20 साल या इससे ज़ायद थी।


दूसरे लावियों को अल्लाह की सुकूनतगाह में बाक़ीमाँदा ज़िम्मादारियाँ दी गई थीं।


क्या तुम्हारी नज़र में यह कोई छोटी बात है कि रब तुम्हें इसराईली जमात के बाक़ी लोगों से अलग करके अपने क़रीब ले आया ताकि तुम रब के मक़दिस में और जमात के सामने खड़े होकर उनकी ख़िदमत करो?


उन्होंने उन तमाम मर्दों को रजिस्टर में दर्ज किया जो 30 से लेकर 50 साल के थे और जो मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत कर सकते थे। उनकी कुल तादाद 2,750 थी। मूसा और हारून ने सब कुछ वैसा ही किया जैसा रब ने मूसा की मारिफ़त फ़रमाया था।


उन तमाम मर्दों को रजिस्टर में दर्ज करना जो 30 से लेकर 50 साल के हैं और मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत के लिए आ सकते हैं।


“लावी के क़बीले में से क़िहातियों की मर्दुमशुमारी उनके कुंबों और आबाई घरानों के मुताबिक़ करना।


क़िहातियों की ख़िदमत मुक़द्दसतरीन कमरे की देख-भाल है।


दाऊद 30 साल की उम्र में बादशाह बन गया। उस की हुकूमत 40 साल तक जारी रही।


जो कम अज़ कम बीस साल के और जंग लड़ने के क़ाबिल हों।


इसके बजाए उन्हें शरीअत की सुकूनतगाह और उसका सारा सामान सँभालने की ज़िम्मादारी देना। वह सफ़र करते वक़्त यह ख़ैमा और उसका सारा सामान उठाकर ले जाएँ, उस की ख़िदमत के लिए हाज़िर रहें और रुकते वक़्त उसे अपने ख़ैमों से घेरे रखें।


इन फ़हरिस्तों में इमामों को उनके कुंबों के मुताबिक़ दर्ज किया गया। इसी तरह 20 साल या इससे ज़ायद के लावियों को उन ज़िम्मादारियों और ख़िदमत के मुताबिक़ जो वह अपने गुरोहों में सँभालते थे फ़हरिस्तों में दर्ज किया गया।


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