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گنتی 35:33 - किताबे-मुक़द्दस

33 जिस मुल्क में तुम रहते हो उस की मुक़द्दस हालत को नापाक न करना। जब किसी को उसमें क़त्ल किया जाए तो वह नापाक हो जाता है। जब इस तरह ख़ून बहता है तो मुल्क की मुक़द्दस हालत सिर्फ़ उस शख़्स के ख़ून बहने से बहाल हो जाती है जिसने यह ख़ून बहाया है। यानी मुल्क का सिर्फ़ क़ातिल की मौत से ही कफ़्फ़ारा दिया जा सकता है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

33 ” ’جِس مُلک میں تُم ہو اُسے ناپاک نہ کرنا۔ خُونریزی مُلک کو ناپاک کردیتی ہے اَور اُس مُلک کے لیٔے جِس میں خُون بہایا جائے اُس شخص کے خُون کے علاوہ جِس نے خُون بہایا ہو، اَور کسی چیز کا کفّارہ نہیں دیا جا سَکتا۔

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کِتابِ مُقادّس

33 سو تُم اُس مُلک کو جہاں تُم رہو گے ناپاک نہ کرنا کیونکہ خُون مُلک کو ناپاک کر دیتا ہے اور اُس مُلک کے لِئے جِس میں خُون بہایا جائے سِوا قاتِل کے خُون کے اَور کِسی چِیز کا کفّارہ نہیں لِیا جا سکتا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

33 جس ملک میں تم رہتے ہو اُس کی مُقدّس حالت کو ناپاک نہ کرنا۔ جب کسی کو اُس میں قتل کیا جائے تو وہ ناپاک ہو جاتا ہے۔ جب اِس طرح خون بہتا ہے تو ملک کی مُقدّس حالت صرف اُس شخص کے خون بہنے سے بحال ہو جاتی ہے جس نے یہ خون بہایا ہے۔ یعنی ملک کا صرف قاتل کی موت سے ہی کفارہ دیا جا سکتا ہے۔

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گنتی 35:33
26 حوالہ جات  

हाँ, उन्होंने अपने बेटे-बेटियों को कनान के देवताओं के हुज़ूर पेश करके उनका मासूम ख़ून बहाया। इससे मुल्क की बेहुरमती हुई।


इस वक़्त तो मुतअद्दिद क़ौमें तेरे ख़िलाफ़ जमा हो गई हैं। आपस में वह कह रही हैं, “आओ, यरूशलम की बेहुरमती हो जाए, हम सिय्यून की हालत देखकर लुत्फ़अंदोज़ हो जाएँ।”


क्योंकि देख, रब अपनी सुकूनतगाह से निकलने को है ताकि दुनिया के बाशिंदों को सज़ा दे। तब ज़मीन अपने आप पर बहाया हुआ ख़ून फ़ाश करेगी और अपने मक़तूलों को मज़ीद छुपाए नहीं रखेगी।


वह यह हक़ीक़त भी नज़रंदाज़ न कर सका कि मनस्सी ने यरूशलम को बेक़ुसूर लोगों के ख़ून से भर दिया था। रब यह मुआफ़ करने के लिए तैयार नहीं था।


तो भी रब यहूदाह पर अपने ग़ुस्से से बाज़ न आया, क्योंकि मनस्सी ने अपनी ग़लत हरकतों से उसे हद से ज़्यादा तैश दिलाया था।


मुल्क ख़ुद भी नापाक हुआ। इसलिए मैंने उसे उसके क़ुसूर के सबब से सज़ा दी, और नतीजे में उसने अपने बाशिंदों को उगल दिया।


जो भी किसी का ख़ून बहाए उसका ख़ून भी बहाया जाएगा। क्योंकि अल्लाह ने इनसान को अपनी सूरत पर बनाया है।


वह बाल-फ़ग़ूर देवता से लिपट गए और मुरदों के लिए पेश की गई क़ुरबानियों का गोश्त खाने लगे।


तो उसे अगली सुबह तक वहाँ न छोड़ना। हर सूरत में उसे उसी दिन दफ़ना देना, क्योंकि जिसे भी दरख़्त से लटकाया गया है उस पर अल्लाह की लानत है। अगर उसे उसी दिन दफ़नाया न जाए तो तू उस मुल्क को नापाक कर देगा जो रब तेरा ख़ुदा तुझे मीरास में दे रहा है।


रब ने कहा, “तूने क्या किया है? तेरे भाई का ख़ून ज़मीन में से पुकारकर मुझसे फ़रियाद कर रहा है।


उस शख़्स से भी पैसे क़बूल न करना जिससे ग़ैरइरादी तौर पर कोई हलाक हुआ हो और जो इस सबब से पनाह के शहर में रह रहा है। उसे इजाज़त नहीं कि वह पैसे देकर पनाह का शहर छोड़े और अपने घर वापस चला जाए। लाज़िम है कि वह इसके लिए इमामे-आज़म की वफ़ात का इंतज़ार करे।


वरना तेरे मुल्क में जो रब तेरा ख़ुदा तुझे मीरास में दे रहा है बेक़ुसूर लोगों को जान से मारा जाएगा और तू ख़ुद ज़िम्मादार ठहरेगा।


यों अल्लाह ने उसे इसकी सज़ा दी कि उसने अपने भाइयों यानी जिदौन के 70 बेटों को क़त्ल किया था। सिकम के बाशिंदों को भी सज़ा मिली, क्योंकि उन्होंने इसमें अबीमलिक की मदद की थी।


तब बादशाह ने हुक्म दिया, “चलो, उस की मरज़ी! उसे वहीं मारकर दफ़न कर दो ताकि मैं और मेरे बाप का घराना उन क़त्लों के जवाबदेह न ठहरें जो उसने बिलावजह किए हैं।


ज़मीन के अपने बाशिंदों ने उस की बेहुरमती की है, क्योंकि वह शरीअत के ताबे न रहे बल्कि उसके अहकाम को तबदील करके अल्लाह के साथ का अबदी अहद तोड़ दिया है।


अब मैं उन्हें उनके गुनाहों की दुगनी सज़ा दूँगा, क्योंकि उन्होंने अपने मुरदार बुतों और घिनौनी चीज़ों से मेरी मौरूसी ज़मीन को भरकर मेरे मुल्क की बेहुरमती की है।”


लेकिन एक बात जान लें। अगर आप मुझे सज़ाए-मौत दें तो आप बेक़ुसूर के क़ातिल ठहरेंगे। आप और यह शहर उसके तमाम बाशिंदों समेत क़ुसूरवार ठहरेंगे। क्योंकि रब ही ने मुझे आपके पास भेजा ताकि आपके सामने ही यह बातें करूँ।”


उस पर रहम मत करना। लाज़िम है कि तू इसराईल में से बेक़ुसूर की मौत का दाग़ मिटाए ताकि तू ख़ुशहाल रहे।


क्योंकि योआब और उसके बाप का घराना क़ुसूरवार हैं। रब उसे और उसके बाप के घराने को मुनासिब सज़ा दे। अब से अबद तक उस की हर नसल में कोई न कोई हो जिसे ऐसे ज़ख़म लग जाएँ जो भर न पाएँ, किसी को कोढ़ लग जाए, किसी को बैसाखियों की मदद से चलना पड़े, कोई ग़ैरतबई मौत मर जाए, या किसी को ख़ुराक की मुसलसल कमी रहे।”


इन सात आदमियों को दाऊद ने जिबऊनियों के हवाले कर दिया। सातों आदमियों को मज़कूरा पहाड़ पर लाया गया। वहाँ जिबऊनियों ने उन्हें क़त्ल करके रब के हुज़ूर लटका दिया। वह सब एक ही दिन मर गए। उस वक़्त जौ की फ़सल की कटाई शुरू हुई थी।


वह अतलियाह को पकड़कर वहाँ से बाहर ले गए और उसे घोड़ों के दरवाज़े पर मार दिया जो शाही महल के पास था।


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