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گنتی 35:32 - किताबे-मुक़द्दस

32 उस शख़्स से भी पैसे क़बूल न करना जिससे ग़ैरइरादी तौर पर कोई हलाक हुआ हो और जो इस सबब से पनाह के शहर में रह रहा है। उसे इजाज़त नहीं कि वह पैसे देकर पनाह का शहर छोड़े और अपने घर वापस चला जाए। लाज़िम है कि वह इसके लिए इमामे-आज़म की वफ़ात का इंतज़ार करे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

32 ” ’اَورجو شخص پناہ کے شہر کو بھاگ گیا ہو اُس کے لیٔے بھی اِس غرض سے فدیہ قبُول نہ کرنا کہ اعلیٰ کاہِن کی موت سے قبل اُسے اَپنے مُلک میں لَوٹ کر رہنے کا موقع مِل سکے۔

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کِتابِ مُقادّس

32 اور تُم اُس سے بھی جو کِسی پناہ کے شہر کو بھاگ گیا ہو اِس غرض سے دِیَت نہ لینا کہ وہ سردار کاہِن کی مَوت سے پہلے پِھر مُلک میں رہنے کو لَوٹنے پائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

32 اُس شخص سے بھی پیسے قبول نہ کرنا جس سے غیرارادی طور پر کوئی ہلاک ہوا ہو اور جو اِس سبب سے پناہ کے شہر میں رہ رہا ہے۔ اُسے اجازت نہیں کہ وہ پیسے دے کر پناہ کا شہر چھوڑے اور اپنے گھر واپس چلا جائے۔ لازم ہے کہ وہ اِس کے لئے امامِ اعظم کی وفات کا انتظار کرے۔

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گنتی 35:32
8 حوالہ جات  

साथ साथ वह एक नया गीत गाने लगे, “तू तूमार को लेकर उस की मुहरों को खोलने के लायक़ है। क्योंकि तुझे ज़बह किया गया, और अपने ख़ून से तूने लोगों को हर क़बीले, हर अहले-ज़बान, हर मिल्लत और हर क़ौम से अल्लाह के लिए ख़रीद लिया है।


लेकिन कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है कि पूरी दुनिया गुनाह के क़ब्ज़े में है। चुनाँचे हमें अल्लाह का वादा सिर्फ़ ईसा मसीह पर ईमान लाने से हासिल होता है।


मैं अल्लाह का फ़ज़ल रद्द करने से इनकार करता हूँ। क्योंकि अगर किसी को शरीअत की पैरवी करने से रास्तबाज़ ठहराया जा सकता तो इसका मतलब यह होता कि मसीह का मरना अबस था।


किसी दूसरे के वसीले से नजात हासिल नहीं होती, क्योंकि आसमान के तले हम इनसानों को कोई और नाम नहीं बख़्शा गया जिसके वसीले से हम नजात पा सकें।”


क़ातिल को ज़रूर सज़ाए-मौत देना। ख़ाह वह इससे बचने के लिए कोई भी मुआवज़ा दे उसे आज़ाद न छोड़ना बल्कि सज़ाए-मौत देना।


जिस मुल्क में तुम रहते हो उस की मुक़द्दस हालत को नापाक न करना। जब किसी को उसमें क़त्ल किया जाए तो वह नापाक हो जाता है। जब इस तरह ख़ून बहता है तो मुल्क की मुक़द्दस हालत सिर्फ़ उस शख़्स के ख़ून बहने से बहाल हो जाती है जिसने यह ख़ून बहाया है। यानी मुल्क का सिर्फ़ क़ातिल की मौत से ही कफ़्फ़ारा दिया जा सकता है।


उन्होंने जवाब दिया, “जो साऊल ने हमारे और हमारे ख़ानदानों के साथ किया है उसका इज़ाला सोने-चाँदी से नहीं किया जा सकता। यह भी मुनासिब नहीं कि हम इसके एवज़ किसी इसराईली को मार दें।” दाऊद ने सवाल किया, “तो फिर मैं आपके लिए क्या करूँ?”


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