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گنتی 26:29 - किताबे-मुक़द्दस

29-34 मनस्सी के क़बीले के 52,700 मर्द थे। क़बीले के आठ कुंबे मकीरी, जिलियादी, इयज़री, ख़लक़ी, असरियेली, सिकमी, समीदाई और हिफ़री थे। मकीरी मनस्सी के बेटे मकीर से जबकि जिलियादी मकीर के बेटे जिलियाद से निकले हुए थे। बाक़ी कुंबे जिलियाद के छः बेटों इयज़र, ख़लक़, असरियेल, सिकम, समीदा और हिफ़र से निकले हुए थे। हिफ़र सिलाफ़िहाद का बाप था। सिलाफ़िहाद का कोई बेटा नहीं बल्कि पाँच बेटियाँ महलाह, नुआह, हुजलाह, मिलकाह और तिरज़ा थीं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

29 منشّہ کے بیٹے یہ تھے: مکیرؔ جِس سے مکیریوں کی برادری چلی (مکیرؔ سے گِلعادؔ پیدا ہُوا تھا)؛ گِلعادؔ سے گِلعادیوں کی برادری چلی؛

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کِتابِ مُقادّس

29 اور منَسّی کا بیٹا مکِیر تھا جِس سے مکِیرِیوں کا خاندان چلا اور مکِیر سے جِلعاد پَیدا ہُؤا جِس سے جِلعادِیوں کا خاندان چلا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

29-34 منسّی کے قبیلے کے 52,700 مرد تھے۔ قبیلے کے آٹھ کنبے مکیری، جِلعادی، اِیعزری، خلقی، اسری ایلی، سِکمی، سمیدعی اور حِفری تھے۔ مکیری منسّی کے بیٹے مکیر سے جبکہ جِلعادی مکیر کے بیٹے جِلعاد سے نکلے ہوئے تھے۔ باقی کنبے جِلعاد کے چھ بیٹوں اِیعزر، خلق، اسری ایل، سِکم، سمیدع اور حِفر سے نکلے ہوئے تھے۔ حِفر صِلافِحاد کا باپ تھا۔ صِلافِحاد کا کوئی بیٹا نہیں بلکہ پانچ بیٹیاں محلاہ، نوعاہ، حُجلاہ، مِلکاہ اور تِرضہ تھیں۔

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گنتی 26:29
9 حوالہ جات  

यूसुफ़ के पहलौठे मनस्सी की औलाद को दो इलाक़े मिल गए। दरियाए-यरदन के मशरिक़ में मकीर के घराने को जिलियाद और बसन दिए गए। मकीर मनस्सी का पहलौठा और जिलियाद का बाप था, और उस की औलाद माहिर फ़ौजी थी।


एक दिन जिलियाद बिन मकीर बिन मनस्सी बिन यूसुफ़ के कुंबे से निकले हुए आबाई घरानों के सरपरस्त मूसा और उन सरदारों के पास आए जो दीगर आबाई घरानों के सरपरस्त थे।


इफ़राईम से जिसकी जड़ें अमालीक़ में हैं वह उतर आए, और बिनयमीन के मर्द उनके पीछे हो लिए। मकीर से हुक्मरान और ज़बूलून से सिपहसालार उतर आए।


मैंने जिलियाद का शिमाली हिस्सा मनस्सी के कुंबे मकीर को दिया


लेकिन याक़ूब ने अपना दहना हाथ बाईं तरफ़ बढ़ाकर इफ़राईम के सर पर रखा अगरचे वह छोटा था। इस तरह उसने अपना बायाँ हाथ दाईं तरफ़ बढ़ाकर मनस्सी के सर पर रखा जो बड़ा था।


मौत से पहले उसने न सिर्फ़ इफ़राईम के बच्चों को बल्कि उसके पोतों को भी देखा। मनस्सी के बेटे मकीर के बच्चे भी उस की मौजूदगी में पैदा होकर उस की गोद में रखे गए।


60 साल की उम्र में कालिब के बाप हसरोन ने दुबारा शादी की। बीवी जिलियाद के बाप मकीर की बेटी थी। इस रिश्ते से बेटा सजूब पैदा हुआ।


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