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گنتی 21:5 - किताबे-मुक़द्दस

5 वह रब और मूसा के ख़िलाफ़ बातें करने लगे, “आप हमें मिसर से निकालकर रेगिस्तान में मरने के लिए क्यों ले आए हैं? यहाँ न रोटी दस्तयाब है न पानी। हमें इस घटिया क़िस्म की ख़ुराक से घिन आती है।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

5 وہ خُدا اَور مَوشہ کے خِلاف بکنے لگے اَور کہا، ”تُم ہمیں مِصر سے نکال کر بیابان میں مرنے کے لیٔے کیوں لے آئے؟ یہاں نہ تو روٹی ہے نہ پانی! اَور ہم اِس نکمّی خُوراک سے بھی عاجز آ چُکے ہیں۔“

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کِتابِ مُقادّس

5 اور لوگ خُدا کی اور مُوسیٰ کی شِکایت کر کے کہنے لگے کہ تُم کیوں ہم کو مِصرؔ سے بیابان میں مَرنے کے لِئے لے آئے؟ یہاں تو نہ روٹی ہے نہ پانی اور ہمارا جی اِس نِکمّی خُوراک سے کراہِیّت کرتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

5 وہ رب اور موسیٰ کے خلاف باتیں کرنے لگے، ”آپ ہمیں مصر سے نکال کر ریگستان میں مرنے کے لئے کیوں لے آئے ہیں؟ یہاں نہ روٹی دست یاب ہے نہ پانی۔ ہمیں اِس گھٹیا قسم کی خوراک سے گھن آتی ہے۔“

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گنتی 21:5
19 حوالہ جات  

अल्लाह के ख़िलाफ़ कुफ़र बककर वह बोले, “क्या अल्लाह रेगिस्तान में हमारे लिए मेज़ बिछा सकता है?


अगले दिन इसराईल की पूरी जमात मूसा और हारून के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाने लगी। उन्होंने कहा, “आपने रब की क़ौम को मार डाला है।”


लेकिन इसराईलियों ने मूसा से कहा, “हाय, हम मर जाएंगे। हाय, हम हलाक हो जाएंगे, हम सब हलाक हो जाएंगे।


उन्होंने मूसा से कहा, “क्या मिसर में क़ब्रों की कमी थी कि आप हमें रेगिस्तान में ले आए हैं? हमें मिसर से निकालकर आपने हमारे साथ क्या किया है?


जो सेर है वह शहद को भी पाँवों तले रौंद देता है, लेकिन भूके को कड़वी चीज़ें भी मीठी लगती हैं।


अल्लाह बेघरों को घरों में बसा देता और क़ैदियों को क़ैद से निकालकर ख़ुशहाली अता करता है। लेकिन जो सरकश हैं वह झुलसे हुए मुल्क में रहेंगे।


इसराईलियों ने इस ख़ुराक का नाम ‘मन’ रखा। उसके दाने धनिये की मानिंद सफ़ेद थे, और उसका ज़ायक़ा शहद से बने केक की मानिंद था।


जब इसराईलियों ने उसे देखा तो एक दूसरे से पूछने लगे, “मन हू?” यानी “यह क्या है?” क्योंकि वह नहीं जानते थे कि यह क्या चीज़ है। मूसा ने उनको समझाया, “यह वह रोटी है जो रब ने तुम्हें खाने के लिए दी है।


यह देखकर लोग मूसा के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाकर कहने लगे, “हम क्या पिएँ?”


हम ख़ुदावंद की आज़माइश भी न करें जिस तरह उनमें से बाज़ ने की और नतीजे में साँपों से हलाक हुए।


लेकिन यह बच्चे भी मुझसे बाग़ी हुए। न उन्होंने मेरी हिदायात के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारी, न एहतियात से मेरे अहकाम पर अमल किया, हालाँकि इनसान उनकी पैरवी करने से ही जीता रहता है। उन्होंने मेरे सबत के दिनों की भी बेहुरमती की। यह देखकर मैं अपना ग़ुस्सा उन पर नाज़िल करके उन्हें वहीं रेगिस्तान में तबाह करना चाहता था।


तुम एक पूरा महीना ख़ूब गोश्त खाओगे, यहाँ तक कि वह तुम्हारी नाक से निकलेगा और तुम्हें उससे घिन आएगी। और यह इस सबब से होगा कि तुमने रब को जो तुम्हारे दरमियान है रद्द किया और रोते रोते उसके सामने कहा कि हम क्यों मिसर से निकले’।”


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