21 अपनी पैदावार का जो दसवाँ हिस्सा इसराईली मुझे देते हैं वह मैं लावियों को देता हूँ। यह उनकी विरासत है, जो उन्हें मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत करने के बदले में मिलती है।
21 اپنی پیداوار کا جو دسواں حصہ اسرائیلی مجھے دیتے ہیں وہ مَیں لاویوں کو دیتا ہوں۔ یہ اُن کی وراثت ہے، جو اُنہیں ملاقات کے خیمے میں خدمت کرنے کے بدلے میں ملتی ہے۔
उस वक़्त कुछ आदमियों को उन गोदामों के निगरान बनाया गया जिनमें हदिये, फ़सलों का पहला फल और पैदावार का दसवाँ हिस्सा महफ़ूज़ रखा जाता था। उनमें शहरों की फ़सलों का वह हिस्सा जमा करना था जो शरीअत ने इमामों और लावियों के लिए मुक़र्रर किया था। क्योंकि यहूदाह के बाशिंदे ख़िदमत करनेवाले इमामों और लावियों से ख़ुश थे
उन्हें हम साल के पहले ग़ल्ला से गूँधा हुआ आटा, अपने दरख़्तों का पहला फल, अपनी नई मै और ज़ैतून के नए तेल का पहला हिस्सा देकर रब के घर के गोदामों में पहुँचाएँगे। देहात में हम लावियों को अपनी फ़सलों का दसवाँ हिस्सा देंगे, क्योंकि वही देहात में यह हिस्सा जमा करते हैं।
अपने बुज़ुर्ग भाइयों के साथ मिलकर उन्होंने क़सम खाकर वादा किया, “हम उस शरीअत की पैरवी करेंगे जो अल्लाह ने हमें अपने ख़ादिम मूसा की मारिफ़त दी है। हम एहतियात से रब अपने आक़ा के तमाम अहकाम और हिदायात पर अमल करेंगे।”
तो रज़ाकाराना हदिये, पैदावार का दसवाँ हिस्सा और रब के लिए मख़सूस किए गए अतियात उनमें रखे गए। कूननियाह लावी इन चीज़ों का इंचार्ज बना जबकि उसका भाई सिमई उसका मददगार मुक़र्रर हुआ।
फ़ौजियों के हिस्से के पाँच पाँच सौ क़ैदियों में से एक एक निकालकर रब को देना। इसी तरह पाँच पाँच सौ बैलों, गधों, भेड़ों और बकरियों में से एक एक निकालकर रब को देना।
चुनाँचे ज़रुब्बाबल और नहमियाह के दिनों में तमाम इसराईल रब के घर के गुलूकारों और दरबानों की रोज़ाना ज़रूरियात पूरी करता था। लावियों को वह हिस्सा दिया जाता जो उनके लिए मख़सूस था, और लावी उसमें से इमामों को वह हिस्सा दिया करते थे जो उनके लिए मख़सूस था।
के लिए एक बड़ा कमरा ख़ाली कर दिया था जिसमें पहले ग़ल्ला की नज़रें, बख़ूर और कुछ आलात रखे जाते थे। नीज़, ग़ल्ला, नई मै और ज़ैतून के तेल का जो दसवाँ हिस्सा लावियों, गुलूकारों और दरबानों के लिए मुक़र्रर था वह भी उस कमरे में रखा जाता था और साथ साथ इमामों के लिए मुक़र्रर हिस्सा भी।
रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “मेरे घर के गोदाम में अपनी पैदावार का पूरा दसवाँ हिस्सा जमा करो ताकि इसमें ख़ुराक दस्तयाब हो। मुझे इसमें आज़माकर देखो कि मैं अपने वादे को पूरा करता हूँ कि नहीं। क्योंकि मैं तुमसे वादा करता हूँ कि जवाब में मैं आसमान के दरीचे खोलकर तुम पर हद से ज़्यादा बरकत बरसा दूँगा।”
आपको फ़िरौन को फ़सल का पाँचवाँ हिस्सा देना है। बाक़ी पैदावार आपकी होगी। आप इससे बीज बो सकते हैं, और यह आपके और आपके घरानों और बच्चों के खाने के लिए होगा।”
इस तरह यूसुफ़ ने मिसर में यह क़ानून नाफ़िज़ किया कि हर फ़सल का पाँचवाँ हिस्सा बादशाह का है। यह क़ानून आज तक जारी है। सिर्फ़ पुजारियों की ज़मीन बादशाह की मिलकियत में न आई।
दसवाँ हिस्सा मिलते वक़्त कोई इमाम यानी हारून के ख़ानदान का कोई मर्द लावियों के साथ होगा, और लावी माल का दसवाँ हिस्सा हमारे ख़ुदा के घर के गोदामों में पहुँचाएँगे।