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نحمیاہ 9:32 - किताबे-मुक़द्दस

32 ऐ हमारे ख़ुदा, ऐ अज़ीम, क़वी और महीब ख़ुदा जो अपना अहद और अपनी शफ़क़त क़ायम रखता है, इस वक़्त हमारी मुसीबत पर ध्यान दे और उसे कम न समझ! क्योंकि हमारे बादशाह, बुज़ुर्ग, इमाम और नबी बल्कि हमारे बापदादा और पूरी क़ौम असूरी बादशाहों के पहले हमलों से लेकर आज तक सख़्त मुसीबत बरदाश्त करते रहे हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

32 ”اِس لیٔے اَب اَے ہمارے خُدائے عظیم، آپ جو قادر اَور مُہیب خُدا ہیں؛ آپ جو اَپنی مَحَبّت کے عہد کو قائِم رکھتے ہیں، یہ دُکھ درد جو شاہانِ اشُور کے زمانہ سے لے کر آج تک ہمارے بادشاہوں، سرداروں، کاہِنوں، نبیوں اَور ہمارے آباؤاَجداد اَور ہمارے تمام لوگوں نے برداشت کئے آپ کے حُضُور میں مَعمولی نہ سمجھے جایٔیں

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کِتابِ مُقادّس

32 سو اب اَے ہمارے خُدا بزُرگ اور قادِر و مُہِیب خُدا جو عہد و رحمت کو قائِم رکھتا ہے وہ دُکھ جو ہم پر اور ہمارے بادشاہوں پر اور ہمارے سرداروں اور ہمارے کاہِنوں پر اور ہمارے نبِیوں اور ہمارے باپ دادا پر اور تیرے سب لوگوں پر اسُور کے بادشاہوں کے زمانہ سے آج تک پڑا ہے سو تیرے حضُور ہلکا نہ معلُوم ہو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

32 اے ہمارے خدا، اے عظیم، قوی اور مہیب خدا جو اپنا عہد اور اپنی شفقت قائم رکھتا ہے، اِس وقت ہماری مصیبت پر دھیان دے اور اُسے کم نہ سمجھ! کیونکہ ہمارے بادشاہ، بزرگ، امام اور نبی بلکہ ہمارے باپ دادا اور پوری قوم اسوری بادشاہوں کے پہلے حملوں سے لے کر آج تک سخت مصیبت برداشت کرتے رہے ہیں۔

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نحمیاہ 9:32
42 حوالہ جات  

“ऐ रब, आसमान के ख़ुदा, तू कितना अज़ीम और महीब ख़ुदा है! जो तुझे प्यार और तेरे अहकाम की पैरवी करते हैं उनके साथ तू अपना अहद क़ायम रखता और उन पर मेहरबानी करता है।


चुनाँचे जान ले कि सिर्फ़ रब तेरा ख़ुदा ही ख़ुदा है। वह वफ़ादार ख़ुदा है। जो उससे मुहब्बत रखते और उसके अहकाम पर अमल करते हैं उनके साथ वह अपना अहद क़ायम रखेगा और उन पर हज़ार पुश्तों तक मेहरबानी करेगा।


ऐ रब, हम अपने बादशाहों, बुज़ुर्गों और बापदादा समेत बहुत शर्मसार हैं, क्योंकि हमने तेरा ही गुनाह किया है।


मैंने रब अपने ख़ुदा से दुआ करके इक़रार किया, “ऐ रब, तू कितना अज़ीम और महीब ख़ुदा है! जो भी तुझे प्यार करता और तेरे अहकाम के ताबे रहता है उसके साथ तू अपना अहद क़ायम रखता और उस पर मेहरबानी करता है।


हमने नबियों की नहीं सुनी, हालाँकि तेरे ख़ादिम तेरा नाम लेकर हमारे बादशाहों, बुज़ुर्गों, बापदादा बल्कि मुल्क के तमाम बाशिंदों से मुख़ातिब हुए।


आओ, अल्लाह के काम देखो! आदमज़ाद की ख़ातिर उसने कितने पुरजलाल मोजिज़े किए हैं!


अल्लाह से कहो, “तेरे काम कितने पुरजलाल हैं। तेरी बड़ी क़ुदरत के सामने तेरे दुश्मन दबककर तेरी ख़ुशामद करने लगते हैं।


क्योंकि रब तआला पुरजलाल है, वह पूरी दुनिया का अज़ीम बादशाह है।


अब हम अपनी शरीर हरकतों और बड़े क़ुसूर की सज़ा भुगत रहे हैं, गो ऐ अल्लाह, तूने हमें इतनी सख़्त सज़ा नहीं दी जितनी हमें मिलनी चाहिए थी। तूने हमारा यह बचा-खुचा हिस्सा ज़िंदा छोड़ा है।


सिदक़ियाह के देखते देखते उसके बेटों को क़त्ल किया गया। इसके बाद फ़ौजियों ने उस की आँखें निकालकर उसे पीतल की ज़ंजीरों में जकड़ लिया और बाबल ले गए।


यूसियाह की हुकूमत के दौरान मिसर का बादशाह निकोह फ़िरौन दरियाए-फ़ुरात के लिए रवाना हुआ ताकि असूर के बादशाह से लड़े। रास्ते में यूसियाह उससे लड़ने के लिए निकला। लेकिन जब मजिद्दो के क़रीब उनका एक दूसरे के साथ मुक़ाबला हुआ तो निकोह ने उसे मार दिया।


एक दिन असूर के बादशाह सल्मनसर ने इसराईल पर हमला किया। तब होसेअ शिकस्त मानकर उसके ताबे हो गया। उसे असूर को ख़राज अदा करना पड़ा।


फ़िक़ह के दौरे-हुकूमत में असूर के बादशाह तिग्लत-पिलेसर ने इसराईल पर हमला किया। ज़ैल के तमाम शहर उसके क़ब्ज़े में आ गए : ऐय्यून, अबील-बैत-माका, यानूह, क़ादिस और हसूर। जिलियाद और गलील के इलाक़े भी नफ़ताली के पूरे क़बायली इलाक़े समेत उस की गिरिफ़्त में आ गए। असूर का बादशाह इन तमाम जगहों में आबाद लोगों को गिरिफ़्तार करके अपने मुल्क असूर ले गया।


मनाहिम के दौरे-हुकूमत में असूर का बादशाह पूल यानी तिग्लत-पिलेसर मुल्क से लड़ने आया। मनाहिम ने उसे 34,000 किलोग्राम चाँदी दे दी ताकि वह उस की हुकूमत मज़बूत करने में मदद करे। तब असूर का बादशाह इसराईल को छोड़कर अपने मुल्क वापस चला गया। चाँदी के यह पैसे मनाहिम ने अमीर इसराईलियों से जमा किए। हर एक को चाँदी के 50 सिक्के अदा करने पड़े।


दुआ की, “ऐ रब इसराईल के ख़ुदा, तुझ जैसा कोई ख़ुदा नहीं है, न आसमान और न ज़मीन पर। तू अपना वह अहद क़ायम रखता है जिसे तूने अपनी क़ौम के साथ बाँधा है और अपनी मेहरबानी उन सब पर ज़ाहिर करता है जो पूरे दिल से तेरी राह पर चलते हैं।


उनसे दहशत न खा, क्योंकि रब तेरा ख़ुदा तेरे दरमियान है। वह अज़ीम ख़ुदा है जिससे सब ख़ौफ़ खाते हैं।


तो मेरा ग़ुस्सा भड़केगा और मैं तुम्हारे ख़िलाफ़ होकर तुम्हारे गुनाहों के जवाब में तुम्हें सात गुना ज़्यादा सज़ा दूँगा।


तो मैं ख़ुद तुम्हारे ख़िलाफ़ हो जाऊँगा। इन गुनाहों के जवाब में मैं तुम्हें सात गुना ज़्यादा सज़ा दूँगा।


अगर तुम फिर भी मेरी मुख़ालफ़त करोगे और मेरी नहीं सुनोगे तो मैं इन गुनाहों के जवाब में तुम्हें इससे भी सात गुना ज़्यादा सज़ा दूँगा।


अगर तुम इसके बाद भी मेरी न सुनो तो मैं तुम्हारे गुनाहों के सबब से तुम्हें सात गुना ज़्यादा सज़ा दूँगा।


मूसा ने यितरो को तफ़सील से बताया कि रब ने इसराईलियों की ख़ातिर फ़िरौन और मिसरियों के साथ क्या कुछ किया है। उसने रास्ते में पेश आई तमाम मुश्किलात का ज़िक्र भी किया कि रब ने हमें किस तरह उनसे बचाया है।


ज़रुब्बाबल और ख़ानदानी सरपरस्तों के पास आकर उन्होंने दरख़ास्त की, “हम भी आपके साथ मिलकर रब के घर को तामीर करना चाहते हैं। क्योंकि जब से असूर के बादशाह असर्हद्दून ने हमें यहाँ लाकर बसाया है उस वक़्त से हम आपके ख़ुदा के तालिब रहे और उसे क़ुरबानियाँ पेश करते आए हैं।”


नीज़ बाक़ी तमाम क़ौमें जिनको अज़ीम और अज़ीज़ बादशाह अशूरबनीपाल ने उठाकर सामरिया और दरियाए-फ़ुरात के बाक़ीमाँदा मग़रिबी इलाक़े में बसा दिया था।


क्योंकि हमारे हाँ बच्चा पैदा हुआ, हमें बेटा बख़्शा गया है। उसके कंधों पर हुकूमत का इख़्तियार ठहरा रहेगा। वह अनोखा मुशीर, क़वी ख़ुदा, अबदी बाप और सुलह-सलामती का शहज़ादा कहलाएगा।


अगर तू उन पर तवज्जुह दे और एहतियात से उन पर चले तो फिर रब तेरा ख़ुदा तेरे साथ अपना अहद क़ायम रखेगा और तुझ पर मेहरबानी करेगा, बिलकुल उस वादे के मुताबिक़ जो उसने क़सम खाकर तेरे बापदादा से किया था।


वह तुझे प्यार करेगा और तुझे उस मुल्क में बरकत देगा जो तुझे देने का वादा उसने क़सम खाकर तेरे बापदादा से किया था। तुझे बहुत औलाद बख़्शने के अलावा वह तेरे खेतों को बरकत देगा, और तुझे कसरत का अनाज, अंगूर और ज़ैतून हासिल होगा। वह तेरे रेवड़ों को भी बरकत देगा, और तेरे गाय-बैलों और भेड़-बकरियों की तादाद बढ़ती जाएगी।


लेकिन आख़िरकार वह होसेअ की हुकूमत के नवें साल में कामयाब हुआ और शहर पर क़ब्ज़ा करके इसराईलियों को जिलावतन कर दिया। उन्हें असूर लाकर उसने कुछ ख़लह के इलाक़े में, कुछ जौज़ान के दरियाए-ख़ाबूर के किनारे पर और कुछ मादियों के शहरों में बसाए।


यही वजह है कि जो कुछ रब ने अपने ख़ादिमों यानी नबियों की मारिफ़त फ़रमाया था वह पूरा हुआ। उसने उन्हें अपने हुज़ूर से ख़ारिज कर दिया, और दुश्मन उन्हें क़ैदी बनाकर असूर ले गया जहाँ वह आज तक ज़िंदगी गुज़ारते हैं।


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