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نحمیاہ 8:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 चुनाँचे अज़रा ने हाज़िरीन के सामने शरीअत की तिलावत की। सातवें महीने का पहला दिन था। न सिर्फ़ मर्द बल्कि औरतें और शरीअत की बातें समझने के क़ाबिल तमाम बच्चे भी जमा हुए थे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 چنانچہ ساتویں مہینے کی پہلی تاریخ کو عزراؔ کاہِنؔ تورہ (شَریعت) کو مَردوں اَور عورتوں اَور اُن سبھوں کی جماعت کے سامنے لے آیا جو اُسے سُن کر سمجھ سکتے تھے۔

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کِتابِ مُقادّس

2 اور ساتویں مہِینے کی پہلی تارِیخ کو عزرا کاہِن تَورَیت کو جماعت کے یعنی مَردوں اور عَورتوں اور اُن سب کے سامنے لے آیا جو سُن کر سمجھ سکتے تھے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 چنانچہ عزرا نے حاضرین کے سامنے شریعت کی تلاوت کی۔ ساتویں مہینے کا پہلا دن تھا۔ نہ صرف مرد بلکہ عورتیں اور شریعت کی باتیں سمجھنے کے قابل تمام بچے بھی جمع ہوئے تھے۔

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نحمیاہ 8:2
14 حوالہ جات  

“इसराईलियों को बताना कि सातवें महीने का पहला दिन आराम का दिन है। उस दिन मुक़द्दस इजतिमा हो जिस पर याद दिलाने के लिए नरसिंगा फूँका जाए।


इमामों का फ़र्ज़ है कि वह सहीह तालीम महफ़ूज़ रखें, और लोगों को उनसे हिदायत हासिल करनी चाहिए। क्योंकि इमाम रब्बुल-अफ़वाज का पैग़ंबर है।


सातवें माह के पंद्रहवें दिन भी काम न करना बल्कि मुक़द्दस इजतिमा के लिए इकट्ठे होना। उस दिन नरसिंगे फूँके जाएँ।


क्योंकि मूसवी शरीअत की मुनादी करनेवाले कई नसलों से हर शहर में रह रहे हैं। जिस शहर में भी जाएँ हर सबत के दिन शरीअत की तिलावत की जाती है।”


वह आपस में कहते हैं, “यह शख़्स हमारे साथ इस क़िस्म की बातें क्यों करता है? हमें तालीम देते और इलाही पैग़ाम का मतलब सुनाते वक़्त वह हमें यों समझाता है गोया हम छोटे बच्चे हों जिनका दूध अभी अभी छुड़ाया गया हो।


तख़्तनशीन होते वक़्त वह लावी के क़बीले के इमामों के पास पड़ी इस शरीअत की नक़ल लिखवाए।


शरीअत की बातें सुन सुनकर वह रोने लगे। लेकिन नहमियाह गवर्नर, शरीअत के आलिम अज़रा इमाम और शरीअत की तशरीह करनेवाले लावियों ने उन्हें तसल्ली देकर कहा, “उदास न हों और मत रोएँ! आज रब आपके ख़ुदा के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस ईद है।


उसी महीने के 24वें दिन इसराईली रोज़ा रखने के लिए जमा हुए। टाट के लिबास पहने हुए और सर पर ख़ाक डालकर वह यरूशलम आए।


जो भी हुक्म मूसा ने दिया था उसका एक भी लफ़्ज़ न रहा जिसकी तिलावत यशुअ ने तमाम इसराईलियों की पूरी जमात के सामने न की हो। और सबने यह बातें सुनीं। इसमें औरतें, बच्चे और उनके दरमियान रहनेवाले परदेसी सब शामिल थे।


ईद के हर दिन अज़रा ने अल्लाह की शरीअत की तिलावत की। सात दिन इसराईलियों ने ईद मनाई, और आठवें दिन सब लोग इजतिमा के लिए इकट्ठे हुए, बिलकुल उन हिदायात के मुताबिक़ जो शरीअत में दी गई हैं।


अपने बुज़ुर्ग भाइयों के साथ मिलकर उन्होंने क़सम खाकर वादा किया, “हम उस शरीअत की पैरवी करेंगे जो अल्लाह ने हमें अपने ख़ादिम मूसा की मारिफ़त दी है। हम एहतियात से रब अपने आक़ा के तमाम अहकाम और हिदायात पर अमल करेंगे।”


उस दिन क़ौम के सामने मूसा की शरीअत की तिलावत की गई। पढ़ते पढ़ते मालूम हुआ कि अम्मोनियों और मोआबियों को कभी भी अल्लाह की क़ौम में शरीक होने की इजाज़त नहीं।


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