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نحمیاہ 8:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 तो सब लोग मिलकर पानी के दरवाज़े के चौक में जमा हो गए। उन्होंने शरीअत के आलिम अज़रा से दरख़ास्त की कि वह शरीअत ले आएँ जो रब ने मूसा की मारिफ़त इसराईली क़ौम को दे दी थी।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 جَب ساتواں مہینہ آیا اَور اِسرائیلی اَپنے اَپنے شہروں میں بسے ہُوئے تھے تو تمام لوگ اِکٹھّے جَیسے ایک ہوکر پانی کے پھاٹک کے سامنے کے چَوک میں جمع ہُوئے۔ اُنہُوں نے شَریعت کے مُعلّم عزراؔ سے کہا کہ مَوشہ کی کِتاب تورہ کو جِس کا یَاہوِہ نے اِسرائیل کو حُکم دیا تھا لایٔے۔

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کِتابِ مُقادّس

1 اور سب لوگ یک تن ہو کر پانی پھاٹک کے سامنے کے مَیدان میں اِکٹّھے ہُوئے اور اُنہوں نے عزرا فقِیہہ سے عرض کی کہ مُوسیٰ کی شرِیعت کی کِتاب کو جِس کا خُداوند نے اِسرائیل کو حُکم دِیا تھا لائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 تو سب لوگ مل کر پانی کے دروازے کے چوک میں جمع ہو گئے۔ اُنہوں نے شریعت کے عالِم عزرا سے درخواست کی کہ وہ شریعت لے آئیں جو رب نے موسیٰ کی معرفت اسرائیلی قوم کو دے دی تھی۔

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نحمیاہ 8:1
25 حوالہ جات  

अज़रा पाक नविश्तों का उस्ताद और उस शरीअत का आलिम था जो रब इसराईल के ख़ुदा ने मूसा की मारिफ़त दी थी। जब अज़रा बाबल से यरूशलम के लिए रवाना हुआ तो शहनशाह ने उस की हर ख़ाहिश पूरी की, क्योंकि रब उसके ख़ुदा का शफ़ीक़ हाथ उस पर था।


और ओफ़ल पहाड़ी पर रहनेवाले रब के घर के ख़िदमतगारों के ज़िम्मे था। यह हिस्सा पानी के दरवाज़े और वहाँ से निकले हुए बुर्ज पर ख़त्म हुआ।


उसे मीरमुंशी साफ़न को देकर उसने कहा, “मुझे रब के घर में शरीअत की किताब मिली है।”


अर्तख़शस्ता बादशाह ने अज़रा इमाम को ज़ैल का मुख़तारनामा दे दिया, उसी अज़रा को जो पाक नविश्तों का उस्ताद और उन अहकाम और हिदायात का आलिम था जो रब ने इसराईल को दी थीं। मुख़तारनामे में लिखा था,


इसलिए मैं नबियों, दानिशमंदों और शरीअत के आलिमों को तुम्हारे पास भेज देता हूँ। उनमें से बाज़ को तुम क़त्ल और मसलूब करोगे और बाज़ को अपने इबादतख़ानों में ले जाकर कोड़े लगवाओगे और शहर बशहर उनका ताक़्क़ुब करोगे।


शरीअत के आलिमो और फ़रीसियो, तुम पर अफ़सोस! रियाकारो! तुम लोगों के सामने आसमान की बादशाही पर ताला लगाते हो। न तुम ख़ुद दाख़िल होते हो, न उन्हें दाख़िल होने देते हो जो अंदर जाना चाहते हैं।


“शरीअत के उलमा और फ़रीसी मूसा की कुरसी पर बैठे हैं।


उसने उनसे कहा, “इसलिए शरीअत का हर आलिम जो आसमान की बादशाही में शागिर्द बन गया है ऐसे मालिके-मकान की मानिंद है जो अपने ख़ज़ाने से नए और पुराने जवाहर निकालता है।”


“मेरे ख़ादिम मूसा की शरीअत को याद रखो यानी वह तमाम अहकाम और हिदायात जो मैंने उसे होरिब यानी सीना पहाड़ पर इसराईली क़ौम के लिए दी थीं।


अल्लाह की हिदायत और मुकाशफ़ा की तरफ़ रुजू करो! जो इनकार करे उस पर सुबह की रौशनी कभी नहीं चमकेगी।


चश्मे के दरवाज़े के पास आकर वह सीधे उस सीढ़ी पर चढ़ गए जो यरूशलम के उस हिस्से तक पहुँचाती है जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। फिर दाऊद के महल के पीछे से गुज़रकर वह शहर के मग़रिब में वाक़े पानी के दरवाज़े तक पहुँच गए।


लोगों ने ऐसा ही किया। वह घरों से निकले और दरख़्तों की शाख़ें तोड़कर ले आए। उनसे उन्होंने अपने घरों की छतों पर और सहनों में झोंपड़ियाँ बना लीं। बाज़ ने अपनी झोंपड़ियों को रब के घर के सहनों, पानी के दरवाज़े के चौक और इफ़राईम के दरवाज़े के चौक में भी बनाया।


तमाम मर्द एक दिल होकर खड़े हुए। सबका फ़ैसला था, “हममें से कोई भी अपने घर वापस नहीं जाएगा


तमाम इसराईली एक दिल होकर मिसफ़ाह में रब के हुज़ूर जमा हुए। शिमाल के दान से लेकर जुनूब के बैर-सबा तक सब आए। दरियाए-यरदन के पार जिलियाद से भी लोग आए।


रब के घर में गया। सब लोग छोटे से लेकर बड़े तक उसके साथ गए यानी यहूदाह के आदमी, यरूशलम के बाशिंदे, इमाम और लावी। वहाँ पहुँचकर जमात के सामने अहद की उस पूरी किताब की तिलावत की गई जो रब के घर में मिली थी।


वजह यह थी कि अज़रा ने अपने आपको रब की शरीअत की तफ़तीश करने, उसके मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने और इसराईलियों को उसके अहकाम और हिदायात की तालीम देने के लिए वक़्फ़ किया था।


सुबह-सवेरे से लेकर दोपहर तक अज़रा पानी के दरवाज़े के चौक में पढ़ता रहा, और तमाम जमात ध्यान से शरीअत की बातें सुनती रही।


इसराईली मूसा की मतलूबा तमाम चीज़ें मुलाक़ात के ख़ैमे के सामने ले आए। पूरी जमात क़रीब आकर रब के सामने खड़ी हो गई।


रब के घर में गया। सब लोग छोटे से लेकर बड़े तक उसके साथ गए यानी यहूदाह के आदमी, यरूशलम के बाशिंदे, इमाम और नबी। वहाँ पहुँचकर जमात के सामने अहद की उस पूरी किताब की तिलावत की गई जो रब के घर में मिली थी।


इन वाक़ियात के काफ़ी अरसे बाद एक आदमी बनाम अज़रा बाबल को छोड़कर यरूशलम आया। उस वक़्त फ़ारस के बादशाह अर्तख़शस्ता की हुकूमत थी। आदमी का पूरा नाम अज़रा बिन सिरायाह बिन अज़रियाह बिन ख़िलक़ियाह


यह आदमी इमामे-आज़म यूयक़ीम बिन यशुअ बिन यूसदक़, नहमियाह गवर्नर और शरीअत के आलिम अज़रा इमाम के ज़माने में अपनी ख़िदमत सरंजाम देते थे।


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