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نحمیاہ 3:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 अगले हिस्से की मरम्मत मरीमोत बिन ऊरियाह बिन हक़्क़ूज़ ने की। अगला हिस्सा मसुल्लाम बिन बरकियाह बिन मशेज़बेल की ज़िम्मादारी थी। सदोक़ बिन बाना ने अगले हिस्से को तामीर किया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 اُن سے آگے مریموتؔ بِن اورِیّاہؔ بِن حقوضؔ نے مرمّت کی اَور اُن سے آگے مِشُلّامؔ بِن بیرکیاہ بِن مشیز بیلؔ نے مرمّت کی اَور اُن سے آگے صدُوقؔ بِن بعنہؔ نے بھی مرمّت کی۔

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کِتابِ مُقادّس

4 اور اُن سے آگے مرِیموؔت بِن اُوریاؔہ بِن ہقُّوص نے مرمّت کی اور اُن سے آگے مُسلاّؔم بِن برکیاؔہ بِن مشیز بیل نے مرمّت کی اور اُن سے آگے صدُوؔق بِن بعنہ نے مرمّت کی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 اگلے حصے کی مرمت مریموت بن اُوریاہ بن ہقوض نے کی۔ اگلا حصہ مسُلّام بن برکیاہ بن مشیزب ایل کی ذمہ داری تھی۔ صدوق بن بعنہ نے اگلے حصے کو تعمیر کیا۔

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نحمیاہ 3:4
11 حوالہ جات  

चौथे दिन हमने अपने ख़ुदा के घर में सोना-चाँदी और बाक़ी मख़सूस सामान तोलकर इमाम मरीमोत बिन ऊरियाह के हवाले कर दिया। उस वक़्त इलियज़र बिन फ़ीनहास और दो लावी बनाम यूज़बद बिन यशुअ और नौअदियाह बिन बिन्नूई उसके साथ थे।


अगला हिस्सा मरीमोत बिन ऊरियाह बिन हक़्क़ूज़ की ज़िम्मादारी थी और इलियासिब के घर के दरवाज़े से शुरू होकर उसके कोने पर ख़त्म हुआ।


बुन्नी, अज़जाद, बबी,


मसुल्लाम, अबियाह, मियामीन,


मछली का दरवाज़ा सनाआह के ख़ानदान की ज़िम्मादारी थी। उसे शहतीरों से बनाकर उन्होंने किवाड़, चटख़नियाँ और कुंडे लगा दिए।


अगला हिस्सा तक़ुअ के बाशिंदों ने बनाया। लेकिन शहर के बड़े लोग अपने बुज़ुर्गों के तहत काम करने के लिए तैयार न थे।


मशेज़बेल, सदोक़, यद्दू,


हबायाह, हक़्क़ूज़ और बरज़िल्ली के ख़ानदानों के कुछ इमाम भी वापस आए, लेकिन उन्हें रब के घर में ख़िदमत करने की इजाज़त न मिली। क्योंकि गो उन्होंने नसबनामे में अपने नाम तलाश किए उनका कहीं ज़िक्र न मिला, इसलिए उन्हें नापाक क़रार दिया गया। (बरज़िल्ली के ख़ानदान के बानी ने बरज़िल्ली जिलियादी की बेटी से शादी करके अपने सुसर का नाम अपना लिया था।)


अगला हिस्सा हननियाह बिन सलमियाह और सलफ़ के छटे बेटे हनून के ज़िम्मे था। अगला हिस्सा मसुल्लाम बिन बरकियाह ने तामीर किया जो उसके घर के मुक़ाबिल था।


असल में यहूदाह के बहुत-से लोगों ने क़सम खाकर उस की मदद करने का वादा किया था। वजह यह थी कि वह सकनियाह बिन अरख़ का दामाद था, और उसके बेटे यूहनान की शादी मसुल्लाम बिन बरकियाह की बेटी से हुई थी।


हबायाह, हक़्क़ूज़ और बरज़िल्ली के ख़ानदानों के कुछ इमाम भी वापस आए, लेकिन उन्हें रब के घर में ख़िदमत करने की इजाज़त न मिली। क्योंकि गो उन्होंने नसबनामे में अपने नाम तलाश किए लेकिन उनका कहीं ज़िक्र न मिला, इसलिए उन्हें नापाक क़रार दिया गया। (बरज़िल्ली के ख़ानदान के बानी ने बरज़िल्ली जिलियादी की बेटी से शादी करके अपने सुसर का नाम अपना लिया था।)


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