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نحمیاہ 2:14 - किताबे-मुक़द्दस

14 फिर मैं शिमाल यानी चश्मे के दरवाज़े और शाही तालाब की तरफ़ बढ़ा, लेकिन मलबे की कसरत की वजह से मेरे जानवर को गुज़रने का रास्ता न मिला,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

14 پھر مَیں چشمہ کے پھاٹک اَور بادشاہ کے تالاب کی طرف آگے بڑھ گیا۔ لیکن وہاں اُس جانور کے لیٔے جِس پر میں سوار تھا گزرنے کے لیٔے جگہ نہ تھی۔

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کِتابِ مُقادّس

14 پِھر مَیں چشمہ کے پھاٹک اور بادشاہ کے تالاب کو گیا پر وہاں اُس جانور کے لِئے جِس پر مَیں سوار تھا گُذرنے کی جگہ نہ تھی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

14 پھر مَیں شمال یعنی چشمے کے دروازے اور شاہی تالاب کی طرف بڑھا، لیکن ملبے کی کثرت کی وجہ سے میرے جانور کو گزرنے کا راستہ نہ ملا،

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نحمیاہ 2:14
7 حوالہ جات  

चश्मे के दरवाज़े की तामीर सल्लून बिन कुलहोज़ा के हाथ में थी जो ज़िले मिसफ़ाह का अफ़सर था। उसने दरवाज़े पर छत बनाकर उसके किवाड़, चटख़नियाँ और कुंडे लगा दिए। साथ साथ उसने फ़सील के उस हिस्से की मरम्मत की जो शाही बाग़ के पासवाले तालाब से गुज़रता है। यह वही तालाब है जिसमें पानी नाले के ज़रीए पहुँचता है। सल्लून ने फ़सील को उस सीढ़ी तक तामीर किया जो यरूशलम के उस हिस्से से उतरती है जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है।


बाक़ी जो कुछ हिज़क़ियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज हैं। वहाँ यह भी बयान किया गया है कि उसने किस तरह तालाब बनवाकर वह सुरंग खुदवाई जिसके ज़रीए चश्मे का पानी शहर तक पहुँचता है।


हिज़क़ियाह ही ने जैहून चश्मे का मुँह बंद करके उसका पानी सुरंग के ज़रीए मग़रिब की तरफ़ यरूशलम के उस हिस्से में पहुँचाया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। जो भी काम उसने शुरू किया उसमें वह कामयाब रहा।


फिर भी असूर का बादशाह मुतमइन न हुआ। उसने अपने सबसे आला अफ़सरों को बड़ी फ़ौज के साथ लकीस से यरूशलम को भेजा (उनकी अपनी ज़बान में अफ़सरों के ओहदों के नाम तरतान, रब-सारिस और रबशाक़ी थे)। यरूशलम पहुँचकर वह उस नाले के पास रुक गए जो पानी को ऊपरवाले तालाब तक पहुँचाता है (यह तालाब उस रास्ते पर है जो धोबियों के घाट तक ले जाता है)।


चश्मे के दरवाज़े के पास आकर वह सीधे उस सीढ़ी पर चढ़ गए जो यरूशलम के उस हिस्से तक पहुँचाती है जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। फिर दाऊद के महल के पीछे से गुज़रकर वह शहर के मग़रिब में वाक़े पानी के दरवाज़े तक पहुँच गए।


फलने फूलनेवाले जंगल की आबपाशी के लिए मैंने तालाब बनवाए।


अगला हिस्सा नहमियाह बिन अज़बुक़ की ज़िम्मादारी थी जो ज़िले बैत-सूर के आधे हिस्से का अफ़सर था। फ़सील का यह हिस्सा दाऊद बादशाह के क़ब्रिस्तान के मुक़ाबिल था और मसनूई तालाब और सूरमाओं के कमरों पर ख़त्म हुआ।


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