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نحمیاہ 2:13 - किताबे-मुक़द्दस

13 चुनाँचे मैं अंधेरे में वादी के दरवाज़े से शहर से निकला और जुनूब की तरफ़ अज़दहे के चश्मे से होकर कचरे के दरवाज़े तक पहुँचा। हर जगह मैंने गिरी हुई फ़सील और भस्म हुए दरवाज़ों का मुआयना किया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

13 رات کے وقت وادی کے پھاٹک سے باہر نکل کر میں چشمہ شُغال اَور گوبر کے پھاٹک کو گیا اَور یروشلیمؔ کی فصیل کو جو توڑ دی گئی تھی اَور اُس کے پھاٹکوں کو جو آگ سے جَلا دئیے گیٔے تھے دیکھا۔

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کِتابِ مُقادّس

13 اور مَیں رات کو وادی کے پھاٹک سے نِکل کر اژدہا کے کنوئیں اور کُوڑے کے پھاٹک کو گیا اور یروشلیِم کی فصِیل کو جو توڑ دی گئی تھی اور اُس کے پھاٹکوں کو جو آگ سے جلے ہُوئے تھے دیکھا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

13 چنانچہ مَیں اندھیرے میں وادی کے دروازے سے شہر سے نکلا اور جنوب کی طرف اژدہے کے چشمے سے ہو کر کچرے کے دروازے تک پہنچا۔ ہر جگہ مَیں نے گری ہوئی فصیل اور بھسم ہوئے دروازوں کا معائنہ کیا۔

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نحمیاہ 2:13
9 حوالہ جات  

उन्होंने जवाब दिया, “जो यहूदी बचकर जिलावतनी से यहूदाह वापस गए हैं उनका बहुत बुरा और ज़िल्लतआमेज़ हाल है। यरूशलम की फ़सील अब तक ज़मीनबोस है, और उसके तमाम दरवाज़े राख हो गए हैं।”


लेकिन अब मैं उनसे मुख़ातिब हुआ, “आपको ख़ुद हमारी मुसीबत नज़र आती है। यरूशलम मलबे का ढेर बन गया है, और उसके दरवाज़े राख हो गए हैं। आएँ, हम फ़सील को नए सिरे से तामीर करें ताकि हम दूसरों के मज़ाक़ का निशाना न बने रहें।”


और कहा, “शहनशाह अबद तक जीता रहे! मैं किस तरह ख़ुश हो सकता हूँ? जिस शहर में मेरे बापदादा को दफ़नाया गया है वह मलबे का ढेर है, और उसके दरवाज़े राख हो गए हैं।”


यरूशलम में उज़्ज़ियाह ने कोने के दरवाज़े, वादी के दरवाज़े और फ़सील के मोड़ पर मज़बूत बुर्ज बनवाए।


इसके बाद मैंने यहूदाह के क़बीले के बुज़ुर्गों को फ़सील पर चढ़ने दिया और गुलूकारों को शुक्रगुज़ारी के दो बड़े गुरोहों में तक़सीम किया। पहला गुरोह फ़सील पर चलते चलते जुनूब में वाक़े कचरे के दरवाज़े की तरफ़ बढ़ गया।


इसलिए मैं वादीए-क़िदरोन में से गुज़रा। अब तक अंधेरा ही अंधेरा था। वहाँ भी मैं फ़सील का मुआयना करता गया। फिर मैं मुड़ा और वादी के दरवाज़े में से दुबारा शहर में दाख़िल हुआ।


जाओ, उसके अंगूर के बाग़ों पर टूट पड़ो और सब कुछ बरबाद कर दो। लेकिन उन्हें मुकम्मल तौर पर ख़त्म मत करना। बेलों की शाख़ों को दूर करो, क्योंकि वह रब के लोग नहीं हैं।”


मैं रात के वक़्त शहर से निकला। मेरे साथ चंद एक आदमी थे, और हमारे पास सिर्फ़ वही जानवर था जिस पर मैं सवार था। अब तक मैंने किसी को भी उस बोझ के बारे में नहीं बताया था जो मेरे ख़ुदा ने मेरे दिल पर यरूशलम के लिए डाल दिया था।


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